नियमों के उल्लंघन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा म.प्र. उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार व प्रिंसिपल रजिस्ट्रार (परीक्षा)को नोटिस जारी
नई दिल्ली,12मार्च(इ खबर टुडे)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व विशेष कर्तव्य अधिकारी एवं निलंबित तृतीय अपर जिला न्यायाधीश आरके श्रीवास की याचिका पर 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शासन विधि विभाग भोपाल, रजिस्ट्रार जनरल महोदय हाई कोर्ट जबलपुर, प्रिंसिपल रजिस्ट्रार परीक्षा हाई कोर्ट जबलपुर को नोटिस जारी किए।
माननीय हाईकोर्ट द्वारा मध्य प्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवा नियम 1994 जो कि 23. 11.94 से लागू किए गए नियम अनुसार 50% पद वरिष्ठ सिविल न्यायालय न्यायाधीशों से, व 25% पद सिविल न्यायाधीश सीमित प्रतियोगिता के माध्यम से अर्थात जम्प प्रमोशन से वह बाकी बचे 25% पद अधिवक्ता के माध्यम से सीधी भर्ती द्वारा किए जाने का प्रावधान किया गया। किंतु हाई कोर्ट जबलपुर द्वारा नियमों का उल्लंघन करते हुए भर्ती की गई इसी को लेकर यह याचिका लगाई गई थी। हाई कोर्ट जबलपुर द्वारा सूचना के अधिकार में दी गई जानकारी के अनुसार उच्च न्यायिक सेवा का स्वीकृत कैडर 740 पद का होना बताया गया। ऑन लाईन ग्रेडेशन रिकार्ड अनुसार 18 जनवरी 18 तक सुपर टाइम स्केल के 67 पद सिलेक्शन ग्रेड के 156 पर एंट्री लेवल के 285 पद इस तरह कुल 508 पद भरे हुए थे उक्त संपूर्ण पदों के मान से अधिक से अधिक 51 पद सीमित प्रतियोगिता अर्थात जम्प प्रमोशन परीक्षाओं के माध्यम से भरे जा सकते थे। अधिक से अधिक पूरे न्यायिक सेवा कैडर 740 को भी मान लिया जाए तो भी 10% के मान से पूरे कैडर में 74 पद सीमित प्रतियोगी परीक्षा से अधिक नहीं हो सकते हैं। जबकि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में 2007 के बाद से वर्ष 2017 तक माननीय उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश द्वारा 10% पदों के मान से लगभग 78 पद सीमित प्रतियोगिता एवं प्रमोशन परीक्षाओं के माध्यम से पूर्व में ही भरे जा चुके हैं। जो स्वीकृत कैडर 740 के 10% के 74 के मान से चार ज्यादा है जो आइए क्रमांक 227 तथा 265 में पारित आदेश दिनांक 20 अप्रैल 2010 का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है 2017 में सीमित प्रतियोगी अर्थात जम्प प्रमोशन का कोई भी पद रिक्त न होने के बावजूद 11 पद अवैध रूप से नियमों के उल्लंघन में निकालें जाकर परीक्षाएं आयोजित कर अभ्यर्थियों को योग्य पाया गया किसी भी दृष्टि से सीमित प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से भरे जाने वाले पदों का 10% से अधिक नहीं हो सकता है। वर्ष 2017 में पूर्ण रूप से भरे होने के बावजूद परीक्षाएं ली जाकर पदों को नियमों के उल्लंघन में 11 पदों में से 6 पदों पर अवैध रूप से नियुक्तियां दी गई जिसके कारण संपूर्ण कैडर में असंतुलन की स्थिति निर्मित होकर अराजकता उत्पन्न होगी जो संपूर्ण उच्च न्यायिक सेवा के कैडर को ध्वस्त कर उसके दूरगामी परिणाम होगे। इस कारण 7 पदों पर किए जाने वाली नियुक्ति व पदस्थापना को अवैध घोषित किए जाने के संबंध में उक्त याचिका पेश की गई थी ज्ञातव्य हो कि उक्त याचिका को हाईकोर्ट जबलपुर में सरसरी तौर पर खारिज कर दिया था जिसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की गई थी उसी के तारतम्य में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एस ए बोबडे अब्दुल नजीर द्वारा प्रारंभिक सुनवाई करते हुए याचिका से सहमत होकर सभी को नोटिस जारी किए गए। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायिक इतिहास में दुर्लभ घटना है जब प्रिंसिपल रजिस्टर परीक्षा और माननीय रजिस्ट्रार महोदय को सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाई कोर्ट के ही मामले को लेकर नोटिस जारी किया गया।