December 24, 2024

निगम अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश

भाजपा में भडके असन्तोष के चलते कांग्रेस पार्षदों ने कलेक्टर को दिया प्रस्ताव,विशेष सम्मेलन में होगा फैसला
रतलाम,6 मार्च(इ खबरटुडे)। भाजपा पार्षद दल में भडके असन्तोष और सात भाजपा पार्षदों द्वारा पार्टी से त्यागपत्र दिए जाने का असर अब सामने आने लगा है। भाजपा के असन्तुष्ट पार्षदों के भरोसे कांग्रेस पार्षद दल ने आज निगम अध्यक्ष दिनेश पोरवाल के विरुध्द अविश्वास प्रस्ताव कलेक्टर को पेश किया। कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर अब विशेष सम्मेलन आहूत कर मतदान कराया जा सकता है।

कांग्रेस पार्षद दल के सदस्यों ने आज नेता प्रतिपक्ष विमल छिपानी और शहर कांग्रेस अध्यक्ष डॉ.राजेश शर्मा के नेतृत्व में कलेक्टोरेट पंहुचकर कलेक्टर राजीव दुबे को अविश्वास प्रस्ताव का पत्र दिया। निगम आयुक्त सोमनाथ झारिया भी वहां मौजूद थे। कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष विमल छिपानी ने बताया कि कांग्रेस पार्षद दल में कुल 22 सदस्य है। अविश्वास प्रस्ताव के पत्र पर कुल 21 कांग्रेस पार्षदों के हस्ताक्षर है। एक महिला पार्षद अभी शहर से बाहर हैं इसलिए उनके हस्ताक्षर नहीं करवाए जा सके।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस पार्षद दल के तमाम सदस्य शाम करीब पांच बजे कलेक्टोरेट कार्यालय पंहुचे थे,जहां उन्होने कलेक्टर राजीव दुबे से मुलाकात कर उन्हे अविश्वास प्रस्ताव का पत्र सौंपा।
नेता प्रतिपक्ष विमल छिपानी ने इ खबरटुडे से चर्चा में बताया कि विशेष सम्मेलन के लिए मात्र एक तिहाई पार्षदों के हस्ताक्षरों की आवश्यकता होती है,लेकिन उन्होने इससे कहीं ज्यादा पार्षदों के हस्ताक्षर करवाए है। इतना ही नहीं उन्होने तमाम २० पार्षदों की कलेक्टर के समक्ष परेड करवाई ताकि कोई सन्देह बाकी ना रह जाए।
श्री छिपानी के मुताबिक कांग्रेस पार्षदों के पत्र पर अब कलेक्टर विशेष सम्मेलन की तिथी निर्धारित कर सम्मेलन आहूत करेंगे और इस विशेष सम्मेलन में निगम अध्यक्ष दिनेश पोरवाल के विरुध्द प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होगा। उन्होने कहा कि भाजपा के सात पार्षद भाजपा से इस्तीफा दे चुके है,ऐसे में निगम अध्यक्ष के विरुध्द निश्चित रुप से अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाएगा।
श्री छिपानी ने कहा कि यदि निगम अध्यक्ष को हटाने में कांग्रेस कामयाब रहती है तो फिर कांग्रेस महापौर के विरुध्द अविश्वास प्रस्ताव पेश करने पर भी विचार करेगी।

खतरे में पड सकती है कुर्सी
एमआइसी के मुद्दे पर महापौर से नाराज सात भाजपा पार्षदों द्वारा पार्टी से दिया गया त्यागपत्र निगम अध्यक्ष दिनेश पोरवाल की कुर्सी को खतरे में डाल सकता है। नगर निगम अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक महापौर के विरुध्द अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए सदन के तीन चौथाई पार्षदों की आवश्यकता होती है,लेकिन निगम अध्यक्ष,सदन का नेता होता है। उसका पद बरकरार रखने के लिए सदन में बहुमत जरुरी है। महापौर को यदि सदन में बहुमत ना भी हो तो उसकी कुर्सी को कोई खतरा नहीं होता लेकिन निगम अध्यक्ष की कुर्सी खतरे में पड सकती है।
कांग्रेस द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद अब सबकी नजरे कलेक्टर,आयुक्त और भाजपा के असंतुष्ट पार्षदों पर टिक गई है। यह देखना रोचक होगा कि भाजपा के नेता किस तरह से डैमेज कंट्रोल करते है।

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