November 8, 2024

नारी जन्म से ही नेतृत्वकर्ता होती है-डा.स्वाति चांदोरकर

  डा. हेडगेेवार व्याख्यान माला-प्रथम दिवस

उज्जैन,11 अप्रैल (इ खबरटुडे)। डा. हेडगेवार स्मृति व्याख्यान माला के प्रथम दिवस कसौटी पर महिला नेतृत्व विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्ष डा. स्वाति चांदोंरकर ने कहा कि नारी जन्म से ही नेतृत्वकर्ता होती है। स्त्री इस पृथ्वी पर आती है तो ईश्वर सारे गुंण प्रदान करता है। इन्ही गुणों के कारण स्त्री परिवार का सशक्त नेतृत्व कर रही होती है।
डा. हेडगेवार जन्म शताब्दी सेवा न्यास द्वारा लोकमान्य तिलक विद्यालय परिसर में आयोजित व्याख्यानमाला के प्रथम दिवस की अध्यक्षता प्रोफेसर डा. उमा वाजपेयी ने की मंच पर डा. हेडगेवार स्मृति व्याख्यानमाला समिति के अध्यक्ष गिरीश भालेराव भी मौजूद थे। प्रारम्भ में डा.हेडगेवार की आदमकद प्रतिमा के समक्ष अतिथियों के द्वारा दीपप्रज्वलित कर व्याख्यानमाला का शुभारम्भ किया। इस दौरान कन्या महाविद्यालय की बालिकाओं ने स्त्री शक्ति पर गीत प्रस्तुत किया। व्याख्यानमाला के दौरान डा.स्वाति चांदोरकर ने महिला नेतृत्व विषय का प्रतिपादन करते हुए कहा कि उन्नीसवी शताब्दी के उत्तर्राद्व में सुधारवादी आन्दोलन सामने आया । इसके तहत कई महिलाएं सामने आयी जो कई क्षेत्रों में सक्रिय हुई। इसके बाद महिला सशक्ती करण का बोलबाला हुआ। परिस्थितियां यह थी कि महिलाओं को दोयम दर्जे का माना गया। लेकिन समय के साथ महिलाओं की परिस्थिति बदली। डा. चांदोरकर ने नेतृत्व के संर्दभ में कहा कि बड़े होर्डिग पर बडी छवि के चित्र ही नेतृत्व नही होते है। नेतृत्व वह होता है जो साथ चलने वाले दूसरों को प्रेरित करे। उन्होने कहा कि नारी यदि अपने कार्य, क्षमता, साहस का तड़का लगा दे तो दुनिया की कोई भी ताकत उसे रोक नही सकती। आज संसार में ऐसा कोई क्षेत्र नही है जहां स्त्री ने अपनी भूमिका नही निभाई हो फिर बात जमीन से लेकर अंतरिक्ष तक की क्यों न हो। उन्होने कहा कि आज विश्व में 19 महिला राष्टअध्यक्ष  या प्रधानमंत्री है। यदि विश्व के 189 देश निकालें तो राजनीतिक सहभागिता में महिलाओं की भूमिका के मामले में भारत 111वें स्थान पर है। जबकि भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में 19 प्रतिशत,बांग्लादेश में 20 प्रतिशत,नेपाल में 30 प्रतिशत महिला सहभागिता है। जबकि भारत में यह आंकड़ा 11.4 प्रतिशत  है। डा. चांदोरकर ने कहा कि आज सबसे ज्यादा महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय हैं लेकिन जब कुलपति या कुलसचिव पद पर बैठाने की बात आती है तो पुरूष वर्ग को जिम्मेंदारी सौंपी जाती है। क्या महिलाओं में इन पदों पर बैठकर संचालन का सामर्थ नही है। उन्होने कहा कि प्रदेश में बडे पदों जिसमें सचिव,प्रुमुख सचिव,आयपीएस,आयएएस जैसे पदों पर भी कितनी महिलाएं बैठी है यह जाहिर है। उन्होने राजनैतिक क्षेत्र के निगम मंडलों के संर्दभ में भी कहा कि महिला आयोग को छोडकर शेष सभी पदों पर पुरूष वर्ग ही बैठा है। उन्होने स्पष्ट कहा कि वे पुरूष विरोधी नही है किन्तु हर क्षेत्र में महिलाएं भी सक्रिय रहकर कन्धे से कन्धा मिलाकर कार्य कर रही है तो समानता का अधिकार होना चाहिए। व्याख्यामाला के अन्त में वन्देमातरम् का गान हुआ। व्याख्यानमाला का सिंचालन किरण रमण सोलंकी ने किया व आभार दुर्गाशक्ति सिंह चैधरी ने माना।

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