नवरत्न सागरजी के अग्निदाह में उमड़े अनुयायी, 5 करोड़ से अधिक की बोलियां
राजगढ़,31 जनवरी (इ खबरटुडे)।भोपावर महातीर्थ में रविवार को आचार्य नवरत्न सागर सूरीश्वरजी के अग्निदाह में बड़ी संख्या में समाजजन पहुंचे। विभिन्न रस्मों में करीब 5 करोड़ रुपए से अधिक की बोलियां लगाई गईं।
आचार्य श्री का सपना था कि भोपावर तीर्थ का जीर्णोद्धार हो, इसी भावना को ध्यान में रखते हुए उनका अंतिम संस्कार यहां पर करने का निर्णय लिया गया। एक ग्रुप ने 2 करोड़ 65 लाख रुपए में आचार्यश्री को अग्नि देने की बोली ली।
भोपावर में आचार्य नवरत्न सागर को नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान हजारों समाजजन मौजूद थे। उनके जन्मस्थल राजगढ़ से पार्थिव देह की पालकी यात्रा निकाली गई।आंध्रप्रदेश के वेल्लोर के पास पालकी से गिरने से आचार्य नवरत्न सागर का देवलोकगमन हो गया था।
आचार्यश्री का जीवन परिचय
आचार्यश्री नवरत्न सागर सूरीश्वरजी का जन्म विक्रम संवत 1999 चैत्र वदी तीज गुरुवार, 5 मार्च 1942 को संघवी श्री लालचंद व धर्म पत्नी माणकबेन के यहां राजगढ़ में हुआ था। पूज्य श्री का सांसारिक नाम रतनकुमार था। उन्होंने 12 वर्ष की अल्पायु में आचार्य भगवंत श्री चंद्रसागर सूरीश्वर जी से दीक्षा 16 नवंबर 1954 को ली थी। विक्रम संवत 2036 में अहमदाबाद में उन्हें गणिपद प्रदान किया गया। विसं 2039 को शंखेश्वर महातीर्थ में इन्हें पन्यास पद और 2045 में उज्जैन में मालव-भूषण से सम्मानित किया। 2047 में पुणे में आचार्यश्री को उपाध्याय पद प्रदान किया गया। जैन श्रीसंघों व साधु भगवंतों की विनती पर 30 नवंबर 1992 को मुंबई में आचार्य पद प्रदान किया गया।