December 27, 2024

नदी-नालों में बह रहा डैम का पानी

river

आरूल के पास सापना नदी हुई लबालब टेल क्षेत्र के किसानों के खेत पड़े हैं सूखे

बैतूल, 20 फरवरी.(इ खबरटुडे)।सापना जलाशय से किसानों के खेतों में लगी फसलों की सिंचाई के लिए छोड़ा गया पानी जल संसाधन विभाग की लापरवाही और जल उपभोक्ता संथा के पदाधिकारियों की अनदेखी के चलते नदी-नालों में बह रहा है. फसलों के लिए अंतिम और अमृततुल्य पानी को व्यर्थ बहाए जाने से आरूल ग्राम के पास सूखी पड़ी सापना नदी लबालब हो गई है.

सापना जलाशय से किसानों के खेतों में सिंचाई के लिए 15 फरवरी से पानी छोड़ा गया है. पांच दिन बीतने के बाद भी कमांड क्षेत्र के 20 फीसदी क्षेत्र में पानी नहीं पहुंच सका है. इसके विपरीत सोहागपुर नहर से निकली आरूल माईनर नहर से सापना नदी में पानी बहाया जा रहा है. ग्राम आरूल के किसानों ने बताया कि 17 फरवरी को अचानक ही गांव के समीप से बहने वाली सूखी पड़ी सापना नदी में लबालब पानी भर गया. बीते तीन दिनों से इस नदी में पानी बह रहा है. ग्रामीणों के मुताबिक सापना जलाशय की आरूल नहर से सीधा नदी में पानी पहुंच रहा है, इससे किसानों के खेत जो सूखे पड़े हैं और अमृततुल्य पानी बहाया जा रहा है.

सिंगनवाड़ी और बटामा में बह रहे नाले

सापना जलाशय की सिंगनवाड़ी और बटामा नहर से भी व्यर्थ पानी नाले में बहाया जा रहा है. क्षेत्र के कृषक ओमप्रकाश ने बताया कि उनके खेत के सामने से बह रहे नाले में तीन दिनों से पानी बह रहा है, जबकि नहर में एक इंच पानी भी नहीं बह रहा है.

नहीं हो पाएगी सिंचाई

जल संसाधन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक सापना जलाशय में कुल 145 एमसीएफटी पानी शेष रह गया था. 15 फरवरी को नहर से पानी छोड़ा गया है. प्रतिदिन 10 से 12 एमसीएफटी पानी निकाला जा रहा है. पांच दिन बीतने के बाद लगभग 50 एमसीएफटी पानी छोड़ा गया है. अब जलाशय में 10 एमसीएफटी पानी शेष है. इसी रफ्तार से पानी छोड़ा जाता है तो बमुश्किल 10 दिनों में जलाशय खाली हो जाएगा. पांच दिनों में मात्र 20 फीसदी क्षेत्र में ही पानी पहुंचा है, शेष 10 दिन में यदि 50 फीसदी क्षेत्र सिंचित होता है तो भी 30 फीसदी रकबा असिंचित रह जाएगा.

बेपरवाह अफसर

जल संसाधन विभाग के अफसरों को 2 दिन पहले ही नहर का पानी नदी-नालों में बहाए जाने की जानकारी दी गई थी लेकिन उनके द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. आमल यह है कि नहरों पर न तो चौकीदार नजर आ रहे हैं और ना विभागीय अफसर निरीक्षण करने की जहमत उठा रहे हैं.

 

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