November 15, 2024

नगर में अमले का अभाव, निगम सिंहस्थ क्षेत्र में सिमट गया

पहले भूमि छोड़ी, अब नया अधिग्रहण 
उज्जैन,29फ़रवरी (ई खबर टुडे/ब्रजेश परमार ).सिंहस्थ-2016 के तहत प्रशासन ने इस बार पूर्व सिंहस्थों की अपेक्षा 3061 हेक्टेयर भूमि आयोजन के लिये अधिग्रहित की थी। पूर्व से ही इस भूमि को लेकर सवाल खड़े हो रहे थे। अब जाकर और अधिक भूमि अधिग्रहण की जा रही है।

नये अधिग्रहण में पेयजल और सीवर लाइन की समस्या 
नये भूमि अधिग्रहण में पेयजल और सीवर लाइन की समस्या सामने आ रही है। इसके साथ ही नगर में नगर निगम के अमले का अभाव बन गया है। सिंहस्थ क्षेत्र में यह अमला सिमटकर रह गया है।
सिंहस्थ-2016 की परिकल्पना करते समय इनर रिंग रोड को सिंहस्थ का अंतिम छोर माना गया था। कुछ वर्ष पूर्व एप्को ने प्लान बनाते समय साफ किया था कि इस रिंग रोड के अंदर सिंहस्थ का आयोजन होगा। इससे ढाई कि.मी. दायरे में ही शिप्रा रहेगी। जमीन अधिग्रहण के समय प्रभावी नेताओं और अन्य लोगों की भूमियां छोड़ी गई। अब जाकर नई भूमि अधिग्रहण की जा रही है। हालत यह है कि चिंतामण रोड पर जमीन ली जा रही है।
 सूत्र जानकारी दे रहे हैं कि इस जमीन को लेकर पिछले दिनों हुई बैठक में पीएचई विभाग के अधिकारियों ने साफ कर दिया कि वे इनर रिंग रोड के दायरे से बाहर नये सिरे से पानी और सीवर पाइप लाइन डालने की स्थिति में अब नहीं है। रिंग रोड के अंदर अगर जमीन अधिग्रहण की जाती है तो पीएचई को इसमें समस्या नहीं आती। रिंग रोड के दूसरी ओर एप्को के प्लान मुताबिक पार्किंग दी जा सकती थी और दूसरी ओर मेले का आयोजन रखा जा सकता था। सूत्र जानकारी दे रहे हैं कि हालिया स्थिति में एप्को के प्लान के विपरीत इनर रिंग रोड के बाहर की थीम पकड़ ली गई है। इससे वर्तमान में अधिग्रहित की जा रही जमीनों पर व्यवस्थित कार्य करना टेढ़ी खीर साबित होगा।
पहले ही अमला कम, उस पर फूल रहा दम
नगर निगम के पास निचला अमला पूर्व से ही कम है। वर्तमान में सिंहस्थ के पूर्व ही शहर की आबादी में करीब 10 फीसदी की वृद्धि दिखाई दे रही है। इस वृद्धि के नजरिये से नगर निगम का अमला शहरी क्षेत्र में सामने नहीं है। हालत यह है कि नगर निगम का काफी बड़ा अमला सिंहस्थ क्षेत्र में लगा हुआ है। प्रमुख मद के अधिकारी भी सिंहस्थ क्षेत्र में ही लगे हुए हैं। इसके चलते नगर निगम के तमाम झोन कार्यालयों का कार्य सीधे-सीधे प्रभावित हो रहा है। निचले स्तर पर भी यही स्थिति बनी हुई है जबकि पूर्व में संभागायुक्त ने साफ कहा था कि नगर और सिंहस्थ क्षेत्र की व्यवस्थाएं अलग-अलग होंगी। मेले में इस बार समय से पूर्व ही गहमागहमी बढ़ी हुई है। इसके चलते शहर में करीब 10 फीसदी बढ़ी हुई आबादी के मान से काम नहीं हो रहे। सिंहस्थ के दौरान प्रतिदिन शहर में 10 लाख की आबादी रहेगी। वर्तमान में उज्जैन में 5 लाख की आबादी के हिसाब से अमला कार्य कर रहा है। ऐसे हालातों में अव्यवस्थाओं का आलम बनना तय है। अव्यवस्था की स्थितियों के चलते सफाई सहित अनेक कार्य प्रभावित होंगे और ये सीधे-सीधे बड़ी समस्याओं को आमंत्रण देने जैसा ही रहेगा।

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