नगर निगम ने की जानबूझकर गलती,ज्योति लाज को मिला स्थगन
रतलाम,६ मार्च (इ खबरटुडे)। ज्योति लाज को खाली कराने के मामले में एक बार फिर से नगर निगम ने गैर जिम्मेदाराना तरीके से काम करते हुए ज्योति लाज के पक्ष में स्थगन मिलने का रास्ता साफ कर दिया और आज न्यायालय ने ज्योति लाज के पक्ष में स्थगन आदेश जारी कर दिया।
उल्लेखनीय है कि ज्योति लाज के संचालक द्वारा इन्दौर उच्च न्यायालय में दायर याचिका को उच्च न्यायालय ने गुणदोष के आधार पर खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर दो हजार रु. का अर्थदण्ड लगाया था और नगर निगम को निर्देशित किया था कि वह ज्योति लाज को खाली कराकर इसका कब्जा प्राप्त करले। नगर निगम के तत्कालीन अधिकारियों ने ज्योति लाज प्रोपाईटर से मिलीभगत करके हाईकोर्ट का स्पष्ट आदेश होने के बावजूद ज्योति लाज खाली कराने के लिए एक प्रकरण शहर एसडीएम के कोर्ट में लगा दिया। इसके एवज में तत्कालीन अधिकारियों ने ज्योति लाज संचालक से अवैध लाभ हासिल किए थे। इस मामले में शहर एसडीएम की भूमिका भी संदिग्ध थी। क्योकि शहर एसडीएम ने न्यायिक विवेक को परे रखते हुए इस मामले की सुनवाई स्वीकार की और तीन वर्ष की लम्बी अवधि गुजार दी। इस तरह ज्योति लाज संचालक का कब्जा ज्योति लाज पर बना रहा। जब यह मामला इ खबर टुडे ने उजागर किया तो प्रशासनिक स्तर पर हलचल शुरु हुई और इस मामले में तेजी आई। विधि के जानकारों का स्पष्ट मत था कि इस मामले में नगर निगम को एसडीएम कोर्ट में लगाए गए प्रकरण को तुरंत वापस लेना चाहिए और फिर ज्योति लाज का कब्जा लेने की कार्यवाही करना चाहिए। जिला प्रशासन ने भी नगर निगम के अधिकारियों को प्रकरण वापस लेने के स्पष्ट निर्देश दिए थे।
एसडीएम कोर्ट में शनिवार ४ मार्च को इस प्रकरण की तारीख तय थी। इस दिन निगम को अपना प्रकरण वापस लेना था,लेकिन निगम के अधिकारियों ने इस सम्बन्ध में तो कोई कार्यवाही नहीं की। इसके विपरित उन्होने ज्योति लाज के प्रोपाइटर को २४ घण्टों के भीतर ज्योति लाज खाली कराने का नोटिस जारी कर दिया।
कानून के जानकारों का कहना है कि नगर निगम ने यह गलती जानबूझकर की,जिससे कि ज्योति लाज संचालक को न्यायालय में इसका लाभ मिल सके और वह ज्योति लाज खाली करने से बच सके। यही हुआ भी। जैसे ही ज्योति लाज खाली कराने का नोटिस जारी हुआ,ज्योति लाज संचालक ने इस आधार पर न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर दिया कि जब एसडीएम कोर्ट में प्रकरण लम्बित है तो नोटिस कैसे दिया जा सकता है। इस आधार पर न्यायालय ने ज्योति लाज संचालक के पक्ष में स्थगनादेश जारी कर दिया। प्रकरण की अगली सुनवाई ९ मार्च को होगी।
प्रकरण में नगर निगम के अभिभाषक संतोष त्रिपाठी ने बताया कि स्थगनादेश को रोकने के लिए नगर निगम ने केविएट दायर की थी,परन्तु सम्बन्धित न्यायालय तक केविएट दायर होने की जानकारी नहीं पंहुच पाई. इसलिए एकपक्षीय आधार पर स्थगनादेश जारी हुआ है। आगामी पेशी पर नगर निगम का पक्ष रख कर स्थगनादेश समाप्त करवा देंगे।