November 23, 2024

नई शिक्षा नीति हेतु मैदानी स्तर पर परामर्श के लिये कार्यशाला आयोजित

शिक्षा पध्दति सहज,सरल एवं सुगम बने – महापौर डॉ. यार्दे

रतलाम 16 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। देश में नई शिक्षा नीति के संबंध में मैदानी स्तर पर नीतिगत परामर्श करने के लिये शासन के निर्देशानुसार जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पिपलौदा द्वारा आयोजित कार्यशाला के पहले सत्र को सम्बोधित करते हुए कलेक्टर ने कहा कि वे बदलाव के लिये उन्मुक्त मन से बेफिकर अपनी सोच को उड़ान दे, अपने विचारों को साझा करें ताकि कार्यशाला से बेहतर परिणाम निकल सके। कार्यशाला में अपने सम्बोधन में महापौर डॉ. सुनिता यार्दे ने कहा कि शिक्षा पध्दति सहज, सरल एवं सुगम बने ताकि उसका सभी को लाभ हो। जिला पंचायत के उपाध्यक्ष एवं शिक्षा समिति के अध्यक्ष डी.पी.धाकड़ ने कहा कि देश के समग्र विकास के लिये जरूरी है कि हम लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति को त्यागे और देश को विश्वगुरू की गरिमा पुन: प्रदान करने के लिये बेहतर शिक्षा नीति बनाकर लागु करें। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष प्रमेश मईड़ा ने भी सम्बोधित किया।

अपनी सोच को उड़ान दें, अच्छे परिणाम निकलेगें – कलेक्टर बी.चन्द्रशेखर

कलेक्टर बी.चन्द्रशेखर ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि गुणवत्तापूर्ण उत्कृष्ट शिक्षा के लिये आवश्यक हैं कि पठन -पाठन के स्तर में अधिक से अधिक सुधार लाया जायें। उन्होने इसके लिये शिक्षकों के बेहतर प्रशिक्षण की आवश्यकता जताई। कलेक्टर ने कहा कि पुरे देश में विभिन्न भाषाओं में विभिन्न स्तरों पर एक ही विषय वस्तु का अध्ययन और अध्यापन एक ही तरीके से एक जैसी सामग्री के साथ कराये जाने से बेहतर परिणाम आ सकते है।उन्होने निजी शिक्षण संस्थान और शासकीय शिक्षण संस्थानों में पठन-पाठन के तौर तरीके और शैक्षणिक वातावरण में दिखाई देने वाले अंतर को रेखाकिंत करते हुए कहा कि स्पष्टत: इसमें असमानता दृष्टिगोचर होती है। कलेक्टर ने शासकीय शालाओं में होने वाले पठन-पाठन के प्रति गत कुछ वर्षो में बनी हुई सोच को बदलने की आवश्यकता जताई है। उन्होने कहा कि शासकीय संस्थानों में भी बेहतर शिक्षा और वातावरण्ा निर्मित करने के लिये निरंतर प्रयास किये जाते रहे है। बावजूद इसके इस प्रकार की सोच का निर्मित होने देने मे शिक्षा जगत से जुड़े हर शख्स की भूमिका सन्निहित है।

महापौर डॉ. सुनिता यार्दे ने कहा कि शिक्षा के तौर तरीकों में बदलाव की आवश्यकता है। आज की शिक्षा के कारण बच्चों पर न केवल भावनात्मक दबाव बन रहा है बल्कि उन पर चिकित्सिय प्रभाव भी पड़ रहे है। आज तीन साल की उम्र में बच्चों को पेन-पेसिंल पकड़ाना और उनके कोमल कंधों पर भारी बस्तों का बोझ डालना कही भी न्यायसंगत प्रतित नहीं होता है।जिस प्रकार से विद्यालय के साथ ही कोचिंग व टयुशन पर जोर देने के विपरित प्रभाव भी बच्चों के मनो मस्तिष्क पर देखे जा सकते है।

लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति से बाहर आना जरूरी – डी.पी.धाकड़

जिला पंचायत के उपाध्यक्ष डी.पी.धाकड़ ने आजादी के इतने वर्षो के बाद भी लार्ड मैकाले के द्वारा लायी गई शिक्षा नीति का आज तक बोझ ढोने को चिंता जनक बताया। उन्होने अपने सम्बोधन में कहा कि विद्यालयों में विद्यार्थियों के साथ उनके माता-पिता की भी सतत सहभागिता होनी चाहिए। अच्छी शिक्षा नीति बनेगी तो अच्छी शिक्षा मिलेगी और देश की उन्नति में वह सार्थक साबित होगी। क्योकि शिक्षा के द्वारा ही देश का भविष्य निर्माण होता है।

डाईट प्राचार्य डॉ. राजेन्द्र सक्सेना ने बताया कि भारत सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति के निर्धारण के संबंध में विभिन्न स्तरों पर कार्यशालाओं का आयोजन किया जाकर मंथन किया जा रहा है। सरकार के द्वारा नवीन शिक्षा नीति के संबंध में कार्यशाला में प्रारम्भिक शिक्षा में अधिगम परिणाम सुनिश्चित करना, माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षा की पहुॅच का विस्तार करना, व्यवसायिक शिक्षा का सुदृढीकरण, स्कूल परीक्षा प्रणालियों में सुधार करना, गुणवत्तायुक्त शिक्षकों के लिये शिक्षक-शिक्षा को नया रूप देना, प्रौढ़ शिक्षा और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय प्रणालियों के माध्यम से महिलाओं, अजा,अजजा और अल्पसंख्यकों पर विशेष जोर देते हुए ग्रामीण साक्षरता को तेज करना, स्कूल और प्रौढ़ शिक्षा में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पध्दतियों का सम्वर्धन, स्कूल शिक्षा में छात्राें के अधिगम परिणामों में सुधार लाने के लिये विज्ञान, गणित और प्रौद्योगिकी के शिक्षण हेतु नवीन ज्ञान, शिक्षण – शास्त्र और दृष्टिकोण, स्कूल मानक, स्कूल मूल्यांकन और स्कूल प्रबंधन प्रणाली, समावेशी शिक्षा के योग्य बनाना-बालिकाओं, अनुसूचित जातियॉ, अनुसूचित जनजातियों, अल्पसंख्यकों और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा, भाषाओं का प्रोन्नयन, व्यापक शिक्षा-नीति शास्त्र, शारीरिक शिक्षा, कला एवम शिल्प, जीवन कौशल एवं बाल स्वास्थ्य पर बल इत्यादि बिन्दुओं पर विचार विमर्श किया गया।

कार्यशाला में रतलाम,नीमच एवं मंदसौर के प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल, हायर सेकेण्ड्री स्कूल, महाविद्यालय के शिक्षकों एवं प्राध्यापकों ने हिस्सा लिया। इसके साथ ही कार्यशाला में जिला शिक्षा अधिकारी अनिल वर्मा, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास एवं जिला परियोजना समन्वयक प्रशांत आर्य के साथ ही विभिन्न विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, विकास खण्ड स्त्रोत समन्वयक भी उपस्थित थे।

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