धर्मान्तरण का स्पष्ट मामला होने के बावजूद प्रकरण दर्ज करने में हिचक रही है रेलवे पुलिस
रतलाम,22 मई (इ खबरटुडे)। बीती रात ट्रेन से उतारे गए 59 आदिवासी बच्चों के मामले में धर्मान्तरण के प्रयास किए जाने के तथ्य स्पष्ट हो जाने के बावजूद रेलवे पुलिस धर्मान्तरण का प्रयास करने के वालों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने में हिचक रही है। मध्यप्रदेश में धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम लागू होने के बावजूद पुलिस को इस अधिनियम की पर्याप्त जानकारी तक नहीं है।
उल्लेखनीय है कि बीती रात रतलाम रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ ने मेमू ट्रेन से 59 आदिवासी बच्चों को बरामद किया था। झाबुआ के विभिन्न गांवों से लाए गए इन नन्हे बच्चों को बाइबिल पढाने के लिए नागपुर ले जाया जा रहा था। इन बच्चों को ट्रेंन से उतारने के बाद प्रारंभिक पूछताछ में ही स्पष्ट हो गया था कि इन आदिवासी बच्चों का धर्म परिवर्तन करने के लिए इसाई मिशनरीज द्वारा इन्हे नागपुर ले जाया जा रहा था। इन बच्चों को झाबुआ के एक पास्टर द्वारा भेजा गया था और इनके साथ कुछ युवक थे,जो इन्हे झाबुआ से रतलाम तक लाए थे। रतलाम रेलवे स्टेशन से इन्हे बस द्वारा पहले इन्दौर और फिर वहां से नागपुर ले जाने की योजना थी। सभी नन्हे बच्चों के बैग से बाइबिल की प्रतियां भी बरामद हुई थी।
कानून होने के बावजूद कार्यवाही नहीं
मध्यप्रदेश में वर्ष 1968 से ही म.प्र. धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम (एमपी फ्रीडम आफ रिलीजन एक्ट 1968) लागू है। इस अधिनियम की धारा 3 में स्पष्ट उल्लेख है कि प्रत्यक्ष तौर पर या अप्रत्यक्ष तौर पर धर्म परिवर्तन करना या धर्म परिवर्तन का प्रयास करना दोनो ही दण्डनीय अपराध है। इस अधिनियम में यह भी स्पष्ट उल्लेखित है कि धर्म परिवर्तन करने या धर्म परिवर्तन का प्रयास करने के पूर्व सम्बन्धित जिला कलेक्टर की अनुमति आवश्यक है। बिना जिला कलेक्टर की पूर्व अनुमति के ऐसा कोई कार्य नहीं किया जा सकता,जिससे कि किसी व्यक्ति के धार्मिक विश्वास को बदला जा सके। स्पष्ट कानून होने के बावजूद रेलवे पुलिस दोपहर बाद तक इसी उहापोह में थी कि इस मामले में क्या कार्यवाही की जाए। ऐसा लगता है कि पुलिस को इस अधिनियम के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। इ खबरटुडे ने जब रेलवे एसपी सुश्री कृष्णावेनी देसावतू से इस सम्बन्ध में चर्चा की तो उनका कहना था कि पुलिस अभी जांच कर रही है। जांच के बाद ही कार्यवाही के बारे में निर्णय लिया जा सकेगा। दूसरी ओर बजरंग दल जिला संयोजक आशीष सोनी का कहना है कि मध्यप्रदेश में धर्मान्तरण पर पूरी तरह रोक है,ऐसी स्थिति में नन्हे आदिवासी बच्चों को बाइबिल पढाने के लिए ले जाना और उनके बैग में से बाइबिल प्राप्त होना स्पष्टत: धर्मान्तरण के प्रयास का मामला है। इसमें दोषियों के विरुध्द फ्रीडम आफ रिलीजन एक्ट का प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही की जाना चाहिए।