देश विदेश में सराही जा चुकी भारत माता की आरती 17 अक्टूबर को रतलाम में
चित्रकला,गीत और संगीत का अद्भूत समन्वय है इस अनूठे कार्यक्रम में
रतलाम,16 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। चित्रकार,कार्टूनिस्ट,कवि,गायक,गीतकार,संगीतकार, प्रखर वक्
ता। किसी एक ही व्यक्ति में इतनी सारी खूबियां हो,तो ऐसा व्यक्ति एक ही हो सकता है। वह है अन्तर्राष्ट्रिय ख्याति प्राप्त कलाकार बाबा सत्यनारायण मौर्य। अपने विशीष्ट कार्यक्रम भारत माता की आरती से देश के कोने कोने में ही नहीं बल्कि सात समंदर पार अमेरिका और वेस्टइण्डीज जैसे कई देशों में ख्याति प्राप्त कर चुके बाबा मौर्य 17 अक्टूूबर को रतलाम में होंगे।
बिजली की तेजी से कैनवास पर ब्रश चलाने वाले चित्रकार बाबा मौर्य ज्वलन्त विषयों पर अपनी विशीष्ट चित्र प्रदर्शनियों के कारण विश्व भर में प्रतिष्ठित चित्रकार माने जाते हैं। बाबा मौर्य ने अपने विद्यार्थी काल में एमए चित्रकला में विक्रम विश्व विद्यालय का स्वर्णपदक अर्जित किया है।
अमेरिका,वेस्ट इण्डीज,जिम्बाब्वे जैसे अनेक देशों में विशीष्ट विषयों पर आधारित उनकी चित्रप्रदर्शनियां नियमित तौर प्रदर्शित की जाती है। हर साल बाबा मौर्य एक नए विषय पर प्रदर्शनी तैयार करते है और इन प्रदर्शनियों को विदेशों की प्रख्यात कलादीर्घाओं में प्रदर्शित किया जाता है। उनकी प्रदर्शनियों में गहन शोध का आधार होता है। प्राचीन भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों पर आधारित उनकी प्रदर्शनी-इसलिए मेरा भारत महान-को विश्वस्तर पर सराहा गया है। भगवान शिव पर बनाई गई उनकी प्रदर्शनी को सिंहस्थ के मौके पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा महाकाल प्रांगण में प्रदर्शित किए जाने की तैयारी की जा रही है।
चित्रकार के रुप में चर्चित बाबा मौर्य देश के अग्रणी काटूनिस्टों में भी शामिल है। कई राष्ट्रीय समाचार पत्रों में वे नियमित तौर पर कार्टूनिस्ट के रुप में कार्य कर चुके है। देश के ज्वलन्त विषयों पर बनाए गए उनके कार्टूनों की अनेक पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी है। बाबा मौर्य मंचीय कवि सम्मेलनों के ख्यातिप्राप्त कवि रहे हैं और देश के लगभग सभी प्रसिध्द कवियों के साथ विभिन्न मंचों पर वे काव्यपाठ कर चुके है। उनकी देशभक्ति पूर्ण ओज भरी कविताओं को जितनी सराहना मिलती है,उतनी ही प्रसिध्द उनकी हास्य कविताएं भी है।
कला के इन विभिन्न आयामों के साथ ही बाबा मौर्य संगीत में भी गहरी दखल रखते है। बाबा ने संगीत की कोई विधिवत शिक्षा नहीं ली है,परन्तु ग्रामीण परिवेश की संगीत मण्डलियों से प्रारंभ हुई उनकी संगीत यात्रा आज भी मंचों पर जारी है। उनके स्वरचित गीतों को उन्होने स्वयं ही स्वरबध्द किया है और उनके गीतों की कई आडियो सीडी जारी हो चुकी है। यू ट्यूब भी उनके कार्यक्रम भारत माता की आरती के विडीयोज को लाखों बार देखा जाता है।
कला के विभिन्न आयामों में महारत रखने वाले बाबा मौर्य एक क्रान्तिकारी व्यक्तित्व रखते हैं। उनका पूरा जीवन भारत भक्ति को समर्पित है। उनकी कला के विभिन्न आयामों में सिर्फ भारत भक्ति समाहित है। उनके चित्र हो,या गीत या कविता,सभी में भारत का गौरवगान होता है। देशभक्ति के अपने इस मिशन के चलते बाबा मौर्य की प्रेरणा से देश के विभिन्न स्थानों पर भारत भक्ति संस्थान सक्रिय है।
उनके अनूठे आयोजन भारत माता की आरती के प्रारंभ होने की कहानी भी अत्यन्त रोचक है। बाबा मौर्य के अनुसार,अमेरिका में चित्रकार के रुप में पेन्टिग्स बनाने के दौरान उनके अमेरिका निवासी मित्रों ने वहां काव्यपाठ का कार्यक्रम भी आयोजित किया। इसी दौरान बाबा को विचार आया कि क्यों न गीत,संगीत और चित्रकला को एक ही मंच पर एकसाथ प्रस्तुत किया जाए। बस वहीं से शुरुआत हुई उस अनूठे कार्यक्रम की,जिसमें बाबा मौर्य राष्ट्रभक्ति गीत गातें हुए देश के महानायकों चित्र भी कैनवास पर बनाते जाते है। कार्यक्रम में उपस्थित दर्शकों के लिए ये रोमांचक करने वाला दृश्य होता है,जब बाबा बिजली की तेजी से ब्रश चलाते है और देखते ही देखते कैनवास पर किसी क्रान्तिकारी का चेहरा उभर आता है।
बाबा मौर्य देश के हर प्रान्त में भारत माता की आरती प्रस्तुत कर चुके है। कारगिल से लेकर कन्याकुमारी तक और सुदूर उत्तर पूर्व में गुवाहाटी और शिलांग तक जाकर बाबा मौर्य ने भारत माता की आरती की है। भारत माता की आरती कार्यक्रम में शामिल होने वाला कोई भी श्रोता इसके सम्मोहन से बच नहीं पाता और देशभक्ति के संस्कारों से ओत प्रोत हो जात है। बाबा मौर्य १७ अक्टूबर को कालिका माता प्रांगण में नगर निगम के मंच पर भारत माता की आरती करेंगे।