May 16, 2024

देश के अलग-अलग हिस्सों में 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के रहा हड़ताल का असर

नई दिल्ली 2सितम्बर(इ खबरटुडे)। केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों में बदलाव और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण के खिलाफ 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आज राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जाने से पश्चिम बंगाल और केरल सहित देश के विभिन्न हिस्सों में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ। भाजपा समर्थित बीएमएस और एनएफआईटीयू ने हालांकि हड़ताल से दूरी बना रखी है।ट्रेड यूनियन के नेताओं का दावा है कि उनकी 12 सूत्री मांगों के समर्थन में औपचारिक क्षेत्र के करीब 15 करोड़ कामगार हड़ताल पर हैं। दिनभर की हड़ताल का परिवहन एवं बैंकिंग परिचालनों समेत अन्य सेवाओं पर असर दिख रहा है। कोलकाता में उपनगरीय ट्रेनों पर आंशिक असर देखा गया, जबकि ज्यादातर इलाकों में दुकानें, बाजार और कारोबारी प्रतिष्ठान बंद हैं। राज्य प्रशासन बड़ी संख्या में सार्वजनिक परिवहन की बसें चला रहा है, जबकि निजी बसों व टैक्सियों के परिचालन पर आंशिक असर देखा गया।

दिल्ली

देश के दस प्रमुख ट्रेड यूनियन (श्रमिक संगठन) की बुलाई गई राष्ट्रव्यापी हड़ताल का असर दिल्ली में दिखने लगा है। दिल्ली में DTC बसों और फीडर में भारी भीड़, पश्चिम विहार, पंजाबी बाग, संसद मार्ग पर भी ऑटो बहुत कम चल रहे हैं। वहीं,  ट्रेड यूनियनों की हड़ताल के तहत दिल्ली में 90 हजार ऑटो रिक्शा नहीं चल रहे हैं। इसके चलते सुबह के समय ऑफिस जाने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में राजधानी भोपाल सहित अन्य इलाकों में बुधवार को देशव्यापी ट्रेड यूनियन हड़ताल का व्यापक असर दिखाई दिया। नगर परिवहन सेवा और अंतर नगरीय बस सेवा बुरी तरह प्रभावित रही, जिससे सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ।  ट्रेड यूनियनों ने बुधवार को केंद्र सरकार की आर्थिक, मजदूर-विरोधी नीतियों के खिलाफ  और 12 सूत्रीय मांगों को लेकर देशव्यापी हड़ताल का आहवान किया। हड़ताल को सफल बनाने के लिए वि्भिन्न मजदूर संगठनों से जुड़े लोग सड़कों पर नजर आए। नगर परिवहन सेवा भी पूरी तरह बंद रही।

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र भी देशभर में सरकारी, निजी सेक्टर, वित्तीय सेक्टर, बैंक, वित्तीय संस्थानों और कृषक समुदाय के 30 करोड़ कर्मचारियों की देशव्यापी हड़ताल में शामिल रहा। एक शीर्ष आयोजक ने यहां बुधवार को कहा कि कर्मचारी सरकार की ‘कर्मचारी विरोधी’ नीतियों का विरोध कर रहे हैं। तड़के-तड़के शुरू हुई हड़ताल में सरकार, बंदरगाह, कॉलेजों के प्रोफेसर, राज्य परिवहन और अन्य सेक्टरों का एक बहुत बड़ा तबका शामिल रहा। हड़ताल से सबसे ज्यादा वित्त और व्यापार सेक्टर प्रभावित हुए, जिन पर देश की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई निर्भर करती है।

तमिलनाडु
तमिलनाडु में बुधवार को 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन के देशव्यापी बंद से सामान्य जनजीवन ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ है। दस केंद्रीय ट्रेड यूनियन ने अपनी मांगों को लेकर देशव्यापी बंद का आान किया है, जिसे विभिन्न क्षेत्रों के कई श्रमिक संघों ने भी समर्थन दिया है। तमिलनाडु में सड़कों पर सिटी बसों और ऑटोरिक्शा की आवाजाही सामान्य दिनों की तरह ही है, हालांकि सड़कों पर भीड़भाड़ कम देखी जा रही है।
स्कूल और कॉलेज सामान्य दिनों की तरह ही खुले हैं। राज्य के अलग अलग जिलों से मिल रही रिपोर्ट के मुताबिक, बंद के कारण बस यातायात प्रभावित हुआ है। तमिलनाडु एवं केरल के बीच अंतर-राज्य परिवहन भी बंद के कारण प्रभावित है। कपड़ों के व्यवसाय के लिए विख्यात तिरुप्पुर शहर में बंद के कारण दुकानें बंद हैं।

यूनियनों की 12 सूत्रीय मांगें

इससे पहले, 12 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 12 सूत्रीय मांगों के समर्थन में हड़ताल का आहवान किया था। उनकी मांगों में श्रम कानून में प्रस्तावित श्रमिक विरोधी संशोधन को वापस लेना और सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश व निजीकरण रोकना शामिल है। इसके अलावा यूनियनों की मांग है कि न्यूनतम वेतन 15 हजार रुपये किया जाए। आल इंडिया ट्रेड यूनियन के सचिव डीएल सचदेव ने कहा कि मांगों के समर्थन में श्रम मंत्री को पत्र भी लिखा गया है। हम सरकार की ओर से दिए गए आश्वासन से संतुष्ट नहीं हैं, इसलिए दस ट्रेड यूनियन और 40 स्टेट यूनियन हड़ताल पर रहेंगी। उन्होंने दावा किया यह 2013 की हड़ताल से भी बड़ी हड़ताल साबित होगी।

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