November 15, 2024

देश की एकात्मता और समरसता के प्रतीक है महादेव शंकर-बाबा मौर्य

रतलाम,14 जनवरी (इ खबरटुडे)। हिन्दू धर्म और संस्कृति पर आधारित प्रदर्शनियों और भारत माता की आरती जैसे अनूठे कार्यक्रम से देश विदेश में चर्चित ख्यातनाम कलाकार बाबा सत्यनारायण मौर्य का कहना है कि देवाधिदेव महादेव भगवान शंकर भारत की एकात्मता और समरसता के जीवन्त प्रतीक है। भगवान शिव से जुडा एक एक प्रतीक इस तथ्य को साबित करता है।
प्रदेश शासन द्वारा निकाली जा रही एकात्म यात्रा में भाग लेने आए बाबा सत्यनारायण मौर्य ने इस संवाददाता से विशेष चर्चा के दौरान बताया कि इन्ही तथ्यों के आधार पर उनके द्वारा बनाई गई 108 पोस्टर्स की प्रदर्शनी को हाल ही में उज्जैन में संपन्न हुए शैव महोत्सव में प्रदर्शित किया गया था। इस प्रदर्शनी को संघ प्रमुख डॉ.मोहन भागवत और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी देखा और इसकी प्रशंसा की।
बाबा मौर्य ने देवाधिदेव महादेव के विभिन्न रुपों की चर्चा करते हुए बताया कि केवल भगवान शंकर ही एक ऐसे विशिष्ट देव हैं,जिन्हे देवाधिदेव या महादेव की संज्ञा दी गई है क्योंकि महादेव ही एकमात्र ऐसे देव है,जो सभी के लिए है। भगवान राम भी महादेव की आराधना करते हैं और रावण भी उन्ही की आराधना करता है। उनके साथ जितने भी प्रतीक जुडे है उनके पीछे गूढ निहितार्थ है। शिव परिवार में सभी सदस्यों के वाहन अलग अलग है। इनमें शिव का वाहन बैल,दुर्गा अर्थात पार्वती का वाहन शेर,पुत्र गणेश का वाहन चूहा और कार्तिकेय का वाहन मोर है। ये सभी प्राणी एक दूसरे के जानी दुश्मन है। परन्तु शिव परिवार में ये एक साथ दिखाई देते है। यही समरसता का प्रतीक है।
बाबा मौर्य के मुताबिक आधुनिक विज्ञान के सिध्दान्त भी महादेव ने पहले ही बता दिए थे। इतना ही नहीं वर्तमान समय के वैज्ञानिकों ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया है। बाबा मौर्य ने उदाहरण देते हुए बताया कि परमाणु भट्टियां और शिवलिंग एक समान आकार के है। यही नहीं परमाणु भट्टियों को ठण्डा रखना पडता है,शिवलिंग पर भी निरन्तर जल का अभिषेक किया जाता है,ताकि वह गर्म ना हो पाए। देवताओं की सारी प्रतिमाओं की परिक्रमा की जाती है लेकिन शिवलिंग का परिक्रमा पूरी नहीं की जाती। बाबा मौर्य ने इसका कारण स्पष्ट करते हुए बताया कि परमाणु भट्टियों से रेडियो विकीरण वाले तत्व निकलते है और उनके सम्पर्क में नहीं आना चाहिए। इसी तरह शिवलिंग पर होने वाले जलाभिषेक को रेडियो एक्टिव तत्व के समकक्ष माना जाता है,इसलिए उसे पार नहीं किया जाता। बाबा मौर्य ने कहा कि परमाणु शक्ति से विनाशक बम भी बनाया जा सकता है और इसी शक्ति से मानव उपयोगी बिजली का निर्माण भी किया जा सकता है। इसी प्रकार शिव संहारक भी है और कल्याणकारी भी है।
बाबा मौर्य ने बताया कि सेंसर बोर्ड की पूर्व अध्यक्ष लीला सैमसन ने नटराज के लोगो (प्रतीक) को सांप्रदायिक बताते हुए हटा दिया था। लेकिन इसके विपरित गॉड पार्टिकल की खोज में जुटी विश्व की सबसे बडी प्रयोगशाला जिनेवा की सर्न लैबोरेट्रीज के बाहर भगवान नटराज की बारह फीट उंची प्रतिमा स्थापित की गई है। इसी के सामने विश्वविख्यात वैज्ञानिक कार्ल सगन और कुमार स्वामी का एक वाक्य अंकित किया गया है कि ब्रम्हाण्ड की सबसे सटीक व्याख्या नटराज की प्रतिमा से होती है। कुल मिलाकर भारतीय संस्कृति पूर्णत: वैज्ञानिक है और यह अब प्रमाणित होने लगा है।
बाबा मौर्य ने शिव पर आधारित प्रदर्शनी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उन्होने इसे सबसे पहले वर्ष 2014 में वेस्ट इण्डीज के  त्रिनिदाद और टौबेगो में  प्रदर्शित किया था। वर्ष 2016 में सिंहस्थ के दौरान उनकी इस प्रदर्शनी को मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा महाकालेश्वर मन्दिर में भी प्रदर्शित किया गया था। अभी हाल ही में शैव महोत्सव के दौरान जब संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस प्रदर्शनी को देखा,तो उन्होने इसे पुस्तक के रुप में प्रकाशित किए जाने की इच्छा भी व्यक्त की। साथ ही इस प्रदर्शनी को महाकालेश्वर मन्दिर परिसर में स्थाई रुप से प्रदर्शित करने के लिए भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कहा। उम्मीद है कि यह प्रदर्शनी जल्दी ही महाकालेश्वर मन्दिर परिसर में जनसामान्य के लिए स्थाई रुप से उपलब्ध कराई जाएगी।

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