देश का पहला डिफेंस क्लस्टर होगा जबलपुर
जबलपुर 11 अगस्त (इ खबरटुडे)। रक्षामंत्री मनोहर पार्रिकर के हालिया दौरे के बाद अब जबलपुर के देश के पहले डिफेंस क्लस्टर बनने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। रक्षामंत्री के निर्देश पर शहर की सुरक्षा निर्माणियों ने ‘जबलपुर डिफेंस क्लस्टर एण्ड ऐनसेलिरी’ के लिए प्रस्ताव की रूपरेखा पर काम शुरू कर दिया है। इस क्लस्टर से महाकोशल क्षेत्र सैन्य सामग्री निर्माण में देश का प्रमुख केंद्र बन जाएगा वहीं यहां के उद्योगों को भी फायदा होगा।
रक्षामंत्री पार्रिकर ने 31 जुलाई को अपने दौरे में डिफेंस क्लस्टर की स्थापना के लिए जबलपुर को उपयुक्त माना था। उनका कहना था कि यह क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से सुरक्षित है। यहां पर आयुध निर्माणी बोर्ड के 4 सुरक्षा संस्थान ओएफके, जीसीएफ, वीएफजे और जीआईएफ भी हैं। ये चारों जितनी जल्दी प्रस्ताव भेजेंगे, क्लस्टर के काम में उतनी ही तेजी आएगी।
रक्षामंत्री की मंशा भांपकर संस्थानों ने भी प्रस्ताव की रूपरेखा बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। 2012 में हैदराबाद में डिफेंस इंडस्ट्रियों को बढ़ावा देने के लिए एसईजेड (सेज) बनाया गया था। जबलपुर में यह अपनी ही तर्ज का डिफेंस क्लस्टर होगा।
क्लस्टर से उद्योगों को फायदा
-क्लस्टर बनने के बाद करीब 50 से 200 उद्योग सुरक्षा निर्माणियों से संबंद्ध हो जाएंगे।
-सुरक्षा उपकरणों के कलपुर्जे यहां तैयार होंगे।
-इससे निजी उद्योगों को आर्डर मिलेंगे और हजारों कर्मचारियों को रोजगार मिलेगा।
-निजी उद्योगों में कलपुर्जे बनेंगे तो तकनीक भी उन्नात होगी। इससे पूरे उद्योग को फायदा मिलेगा।
-जबलपुर की सुरक्षा निर्माणियों को रक्षा सामग्रियों के निर्माण के ज्यादा आर्डर मिलेंगे जिसका फायदा पूरे महाकौशल के उद्योगों को होगा।
क्लस्टर से सुरक्षा निर्माणियों को फायदा
-संपूर्ण सुरक्षा सामग्री का निर्माण करती हैं जिस कारण कच्चे माल, कलपुर्जे की अक्सर कमी हो जाती है।
-कलपुर्जे के निर्माण में ज्यादा समय लगता है जिस कारण सुरक्षा सामग्री के निर्माण की क्षमता सीमित हो जाती है।
-निर्माण एक पैटर्न पर होता है जिस कारण उन्नत तकनीक का फायदा नहीं मिलता।
-निर्माण की धीमी गति के कारण आर्डर कम मिलते हैं। इसलिए जबलपुर की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं हो रहा है।
-सुरक्षा सामग्री निर्माण का फायदा मजदूरों को कर्मचारियों को वेतन के अलावा किसी रूप में नहीं मिलता। क्लस्टर बनने से निजी उद्योगों का मुनाफा बढ़ेगा जिससे क्षेत्र के विकास को भी पंख लगेंगे।
ऐसे बनेगा क्लस्टर
सुरक्षा निर्माणियों के प्रस्ताव के बाद रक्षा मंत्रालय क्लस्टर का स्वरूप और शर्तें तय करेगा। इसके बाद क्लस्टर की जमीन तय होगी। इसके लिए एसपीवी (स्पेशल पर्पस व्हीकल) कंपनी का गठन होगा जिसमें 50 से 200 उद्योगपति शामिल होंगे। क्लस्टर के उद्योगपतियों को ही कलपुर्जे बनाने की अनुमति मिलेगी। इन्हें सुरक्षा संस्थानों के उत्पाद (सैन्य वाहन, अस्त्र-शस्त्र, गोलाबारूद) से जुड़े कलपुर्जे बनाने का अधिकार होगा। गुणवत्ता की जांच के बाद ही सुरक्षा संस्थानों को आपूर्ति की जा सकेगी।
कितना समय लगेगा
-सुरक्षा निर्माणियों को प्रस्ताव बनाने में दो से तीन महीने लग सकते हैं।
-इस प्रस्ताव को सीधे या संशोधनों के साथ मंजूरी देने में दो महीने लग सकते हैं।
-मंजूरी के बाद जमीन फाइनल होने, कंपनी का गठन व अन्य औपचारिकताओं में करीब तीन साल लगेंगे।