दुष्कर्म के लिए नाबालिग का अपहरण करने वाले को 7-7 वर्ष की सश्रम कैद
रतलाम, 8 फरवरी(इ खबरटुडे)। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश एमएस चन्द्रावत ने नामली निवासी राकेश पिता बद्रीलाल (25) को दुष्कर्म के लिए नाबालिग का अपहरण करने के आरोप में दोषी पाया। उसे भादवि की धारा 366 और लैगिंक अपराधों से बालको का सरंक्षण अधिनियम 2012 की धारा 4 के तहत 7-7 वर्ष के सश्रम कारावास और 2-2 हजार के अर्थदंड से दंडित किया है। उसके सहयोगी आरोपियों को बरी कर दिया गया है।
अपर लोक अभियोजक प्रकाश राव पंवार ने बताया कि नामली निवासी राकेश के अलावा ओमप्रकाश पिता बद्रीलाल, सुरेश पिता बाबूलाल, राहुल पिता दिनेश और जगदीश चन्द्र पिता ख्यालीराम के विरूद्ध रिंगनोद पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया था। इसमे बताया गया था कि, 8 नवंबर 2012 को रात्रि में लघुशंका के लिए बाडे में गई 17 वर्षीय नाबालिग युवती की गुमशुदगी दर्ज की गई थी। पुलिस ने 31 जनवरी 2013 को प्रीतमपुर ओवर ब्रिज के पास से नाबालिग को बरामद किया था। पूछताछ में उसने आरोपी राकेश द्वारा बहला फुसलाकर ग्राम चौकी से पैदल रिंगनोद ले जाने की जानकारी दी। रिंगनोद से आरोपी रेत के ट्रेक्टर में बैठाकर कलालिया फंटा और फिर बस से मंदसौर ले गया था। मंदसौर स्टेशन पर आरोपी सुरेश ओर ओमप्रकाश ने ट्रेन में बैठाने में सहयोग किया और राकेश गुजरात के पानोला ले गया। पानोला में सुरेश ने राकेश को धर्मेन्द्रसिंह चौहान का कमरा किराये पर दिलाया था। पानोला में उसे 25 दिन रखा गया और प्रतिदिन आरोपी राकेश ने दुष्कर्म किया। फिर वह पीथमपुर ले गया और कमरा लेकर दो माह तक रखा। वहां भी उसने दुष्कर्म किया। पुलिस द्वारा मेडिकल परीक्षण कराए जाने पर नाबालिग को 28 सप्ताह का गर्भ होना बताया गया था। पीडिता की रिपोर्ट पर अपहरण व दुष्कर्म का प्रकरण दर्ज कर पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में चालान पेश किया। न्यायालय ने राकेश को अर्थदंड नहीं भरने पर 3-3 माह का सश्रम कारावास अतिरिक्त भुगताने के आदेश भी दिए है।