दिल्ली बनी गैस चैंबर, प्रदूषण का स्तर 17 गुना ज्यादा, आंकड़े भयावह
अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपायों पर चर्चा के लिए सोमवार को एक उच्चस्तरीय बैठक
नई दिल्ली,06 नवम्बर(इ खबरटुडे)। राष्ट्रीय राजधानी में कई जगहों पर प्रदूषण का स्तर सुरक्षित सीमा से 17 गुना अधिक होने से शहर पर धुंध की एक काली चादर छा गई है। प्रदूषण का स्तर दिवाली के बाद के स्तरों को भी लांघ गया, जबकि दृश्यता का स्तर पूरे शहर में घटकर करीब 200 मीटर रह गया। निगरानी एजेंसियों ने ‘गंभीर’ गुणवत्ता की वायु दर्ज की और लोगों को बाहर जाने से परहेज करने की सलाह दी।
जहां श्वसन प्रदूषण पीएम 2.5 और पीएम 10 का चौबीस घंटे का औसत क्रमश: 355 और 482 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा, मौके पर लिए गए आंकड़े भयावह रहे। उदाहरण के तौर पर आनंद विहार में दो बजे पीएम 10 का स्तर 1,711 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया जो सुरक्षित सीमा से करीब 17 गुना अधिक है।
इन अति सूक्ष्म कणों की सुरक्षित सीमा क्रमश: 60 और 100 है। एनओ2 जैसी गैसीय प्रदूषकों के मौके पर लिए गए आंकड़ों के मुताबिक यह मानव श्वसन के लिए निर्धारित मानकों से कहीं अधिक रहे।
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली को एक ‘गैस चैंबर’ बताते हुए केंद्र से हस्तक्षेप की मांग की
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली को एक ‘गैस चैंबर’ बताते हुए केंद्र से हस्तक्षेप की मांग की। केजरीवाल ने इस स्थिति को देखते हुए लोगों से निजी वाहनों का इस्तेमाल कम करने और सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं की ओर रख करने की अपील की। वहीं एलजी नजीब जंग सोमवार को एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है।
केजरीवाल ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि यह धुंध पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में खेतों में खूंट जलाए जाने की वजह से बनी है। बाद में उन्होंने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल दवे के आवास पर एक बैठक में उनके समक्ष इस मुद्दे को उठाया।
उप राज्यपाल नजीब जंग ने भी तत्काल, अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपायों पर चर्चा के लिए सोमवार को एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है, जिसमें उन्होंने केजरीवाल, स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन, पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन, दिल्ली के मुख्य सचिव और पुलिस और नगर निकाय के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया है। केजरीवाल ने कहा कि वाहनों पर पाबंदी जैसी सम-विषम योजना इस धुंध को कम करने में कारगर साबित नहीं होंगी क्योंकि अध्ययनों से पता चला है कि पंजाब और हरियाणा से प्रदूषण युक्त धुंध के ‘व्यापक स्तर’ ने स्थिति को बद से बदतर बना दिया है।
केंद्र के सफर के सभी आठ निगरानी स्टेशनों की वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में लाल बत्ती जल रही है जिससे प्रदूषण के जबरदस्त स्तर का संकेत मिलता है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल कहा था कि दिल्ली में रहना एक ‘गैस चैंबर’ में रहने जैसा है।कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को इससे निपटने के लिए व्यापक कार्य योजनाएं पेश करने का निर्देश दिया था।
दवे ने कहा कि पीएम 10 और पीएम 2.5 के उच्च स्तर के चलते स्थिति दिल्ली में पूरे वर्ष खराब रही लेकिन इस बार फसल और पटाखा जलाने जैसे कारण वायु की गुणवत्ता खराब होने के लिए जिम्मेदार हैं। पर्यावरण मंत्री ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की खराब स्थिति के लिए कोई एक विशेष कारण जिम्मेदार नहीं है। हमें सभी मुद्दों का सामूहिक समाधान करना चाहिए और वायु गुणवत्ता सुधारनी चाहिए। हमें राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप में शामिल नहीं होना चाहिए।