November 14, 2024

डॉ अम्बेडकर ने कभी हिन्दूओं का नहीं हिन्दू समाज की कुरीतियों का विरोध किया – प्रो.गुहा

रतलाम,15 अप्रैल(इ खबरटुडे)।  नगर के  प्रख्यात चिंतक एवम् शिक्षाविद् स्व. श्री भँवरलाल जी भाटी की स्मृति में दो दिवसीय व्याख्यानमाला का शुभारंभ शनिवार को स्थानीय रँगोली सभागृह में हुआ । व्याख्यानमाला के प्रथम दिन ” सामाजिक समरसता में डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर का योगदान ” विषय पर प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ सुब्रतो गुहा ने उपस्थित प्रबुद्ध समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन के झंझावातों से टूट जाये वो मानव होता है और जो संघर्ष कर सफलता प्राप्त करे वो महामानव होता है और डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर ऐसे ही महामानव थे । पूजनीय बाबा साहेब ने सदैव हिन्दू समाज की जातिगत और सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध संघर्ष किया न कि हिन्दू समाज के खिलाफ।
इस पुण्यभूमि भारत में महान् व्यक्तित्वों का जन्म हुआ है , जिन्होंने अपने जीवनकाल में एवम् मरणोपरांत भी अपने कालजयी विचारों से इस देश का एवम् समाज को दिशा दी है , उन्ही व्यक्तित्वों में से एक थे डॉ अम्बेडकर ।मात्र 5 वर्ष की आयु में जन्मदात्री माता का साया सिर से उठ जाने के बद भी पुण्यभूमि भारत को अपनी माँ मानकर अपना संपूर्ण जीवन भारत माता को एवम् उनकी संतानो के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया ।जन्म से ही जातिगत छुआछुत और मानसिक प्रताड़ना का घोर सामना करने वाले डॉ अम्बेडकर ने कभी घृणा को अपने जीवन में स्थान नहीं दिया । पूजनीय बाबा साहेब ने सदैव हिन्दू समाज की जातिगत और सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध संघर्ष किया न कि हिन्दू समाज के खिलाफ , । जब उन्होंने पंडित नेहरू के दोहरे व्यवहार के बावजूद हिन्दू कोड बिल बनाया तो उसमें सिख , जैन बौद्ध सभी पंथो को हिन्दू कोड बिल के अंतर्गत ही शामिल किया । जब पूजनीय बाबा साहेब अम्बेडकर ने संविधान का निर्माण कर उसकी पहली प्रति संविधान सभा के अध्यक्ष को प्रस्तुत की तो उसके प्रथम पृष्ठ पर राम दरबार का चित्र अंकित किया क्योंकि उनकी स्पष्ट मान्यता थी विश्व में कोई श्रेष्ठ राज्य की प्रेरणा कोई हो सकता है तो वो सिर्फ राम राज्य ही हो सकता है । संविधान की प्रथम प्रति में भी उनके हस्ताक्षर उन्होंने भीमराव राम अम्बेडकर के नाम से ही किये । यह उनके मन में अपनी संस्कृति के प्रति समर्पण को दर्शाता है । उक्त विचार डॉ सुब्रतो गुहा ने अपने व्याख्यान में व्यक्त किये । डॉ सुब्रतो गुहा ने डॉ अम्बेडकर के कई जीवन प्रसंगों का उल्लेख करते हुए सामाजिक समरसता और समानता के अधिकार के प्रति उनके संघर्षमयी योगदान को निरूपित किया ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समाजसेवी एवम् भील समाज के अध्यक्ष राजेन्द्र बारिया ने समाज को तोड़ने और देश के विखण्डित करने का सपना देखने वाले संगठनो की आलोचना करते हुए कहा कि जाति विहीन समाज का निर्माण करने का डॉ अम्बेडकर का सपना समस्त हिन्दू समाज को एक होकर पूरा करना होगा , यह केवल एक जाति की जिम्मेदारी नहीं है ।
स्वागत उदबोधन प्रदान करते हुए स्व, भँवर लाल भाटी स्मृति व्याख्यानमाला समिति के अध्यक्ष शिक्षाविद् डॉ देवकीनन्दन पचौरी ने भेदभाव के खिलाफ संघर्ष कैसे किया जाता है , इसकी सीख डॉ अम्बेडकर जी से लेने का आग्रह किया , डॉ पचौरी ने विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि पूजनीय बाबा साहेब आज के समय में विरोध के तरीकों से निश्चित शर्मिंदा होते । कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों ने भारत माता और पूजनीय डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर के चित्र का पूजन कर व्याख्यानमाला का शुभारंभ किया । स्वागत दशरथ पाटीदार और डॉ पचौरी ने किया । संचालन श्रीमती संतोष निनामा ने किया । इस अवसर पर नगर के प्रबुद्ध नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे ।

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