July 3, 2024

डायवर्शन,सीमांकन जैसे कामों के लिए भी अब जाना होगा लोक सेवा केन्द्रों पर

27 विभागों की कुल 141 सेवाएं अब लोक सेवा केन्द्रों से मिलेगी

रतलाम,17 नवंबर (इ खबरटुडे)। खाता खसरा और भूमि के नक्शे इत्यादि के बाद अब राजस्व विभाग के डायवर्शन और सीमांकन जैसे कई महत्वपूर्ण काम भी लोक सेवा केन्द्रों को सौंप दिए गए हैं। जमीन का डायवर्शन या सीमांकन कराने के लिए अब आवेदकों को तहसील या एसडीएम आफिस नहीं जाना होगा। यहां तक कि राजस्व न्यायालयों में दायर किए जाने वाले प्रकरण भी लोक सेवा केन्द्रों के माध्यम से ही दर्ज किए जाएंगे।
नई व्यवस्था के बाद अब एक तरह से सारे सरकारी कामों के लिए अब सीधे लोक सेवा केन्द्रों पर ही आवेदन दर्ज करना होंगे।  इस तरह नागरिकों सरकारी दफ्तरों में चक्कर लगाने की समस्या से पूरी तरह मुक्ति मिल जाएगी।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में लोकसेवा गारंटी अधिनियम लागू किए जाने के बाद अनेक विभागों की कई सारी सेवाएं लोक सेवा केन्द्रों पर जोडी जा चुकी है। अधिकारिक जानकारी के मुताबिक अब तक राजस्व विभाग की कुल 25 सेवाएं लोक सेवा केन्द्रों के माध्यम से उपलब्ध थी। लेकिन हाल ही में राज्य शासन ने राजस्व न्यायालयों के लिए राजस्व न्यायालय प्रबन्ध प्रणाली ( रेवेन्यू कोर्ट मैनेजमेनट सिस्टम-आरसीएमसी) प्रारंभ कर दिया है। आरसीएमसी के लागू होने के साथ ही राजस्व न्यायालयों की पन्द्रह सेवाएं भी लोक सेवा केन्द्रों को दे दी गई है। इसके तहत डायवर्शन,नामान्तरण,सीमांकन और आदिवासी की भूमि विक्रय की अनुमति जैसे तमाम मामलों में अब लोक सेवा केन्द्रों के माध्यम से ही आवेदन प्रस्तुत किए जाएंगे। इसके अलावा जीवन बीमा निगम की किश्ते जमा करने और रेड बस के टिकट क्रय करने जैसी सेवाएं भी लोक सेवा केन्द्रों को दे दी गई है।
अधिकारिक जानकारी के अनुसार,आरसीएमसी की कुल पन्द्रह नई सेवाएं लोक सेवा केन्द्रों से जोडी गई है। वे इस प्रकार है-
1.डायवर्शन/पुन: निर्धारण,
2 बंदोबस्त सम्बन्धी मामले
3 बंदोबस्त अभिलेख में सुधार
4 नामांतरण
5 अभिलेख दुरस्ती
6 सीमांकन
7 रास्ता विवाद
8 भूमि आवंटन
9 नजूल भूमि स्थाई पट्टे पर देना
10 आदिवासी की भूमि विक्रय की अनुमति
11 धारा 165 के उलंघन में भूमि हस्तांतरण को रद्द करना
12 भूमि का बटवारा
13 कोटवार नियुक्ति
14 वृक्ष काटने की अनुमति
15 गैर खाते की भूमि पर वृक्ष लगाने की अनुमति आदि

आरसीएमसी लागू होने के बाद अब राजस्व न्यायालयों में प्रचलित प्रकरणों में अनावश्यक विलम्ब की समस्या भी समाप्त हो सकेगी और प्रत्येक आवेदन अपने प्रकरण की प्रगति को हर समय आनलाईन देख सकेगा। राजस्व न्यायालयों को प्रत्येक राजस्व प्रकरण की प्रत्येक कार्यवाही को आनलाईन दर्ज करने के निर्देश भी जारी किए गए है।

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