ट्रीक और टीप्स बदल देंगे चार सीटों के परिणाम
दोनों दलों की गलतियों का फायदा एक-दूसरे उठायेंगे
उज्जैन 26 अक्टूबर। विधानसभा चुनाव 2013 में प्रत्याशी चयन काफी हद तक परिवर्तन के लिये सार्थक होगा। इस परिवर्तन के लिये दोनों ही दल अगर ट्रीक और टीप्स का इस्तेमाल करते हैं तो चुनाव के परिणाम तक उलटफेर की जा सकती है। इसमें शुरुआत ही महत्वपूर्ण बताई जा रही है। पिछले चुनाव के आधार को देखते हुए सियासत की इस ट्रीक को खेलने की बात स्थानीय वरिष्ठ कर रहे हैं।
2013 विधानसभा चुनाव प्रदेश में दो बातें पूरी तरह से साफ करेगा। अगर भाजपा तीसरी बार सरकार बना लेती है तो ऐसी स्थिति में कांग्रेस को बड़ा गहरा झटका लगेगा और अगर दो बार की सत्ता के बाद भाजपा को कांग्रेस बाहर कर देती है तो ऐसी स्थिति में कांग्रेस का वजूद एक बार फिर से प्रदेश में पूरे शबाब पर होगा। दोनों ही दल इस बार कमर कसकर मैदान में भिड़ने वाले हैं। इसकी तैयारियां की गई हैं। इन तैयारियों के बीच प्रत्याशी चयन की जद्दोजहद से दोनों ही दल जूझ रहे हैं। इस जद्दोजहद से ही सियासत की ट्रीक और टीप्स शुरु होती है, जहां
चयन से पहले सुलझन की जुगत
प्रत्याशी चयन से पूर्व दलों में इस बार बगावत की उलझन से सुलझने की जुगत की शुरुआत हो चुकी है। इसके लिये अलग-अलग स्तर पर तैयारी की जा रही है। ट्रीक और टीप्स भी इनमें शामिल किये जा रहे हैं। देखना यह है कि कौन सा दल किस ट्रीक और टीप्स पर कितने बेहतर तरीके से प्रबंधन करता है।
युकां अध्यक्षों की पूछपरख बढ़ी
खबर है कि युवक कांग्रेस के लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों के अध्यक्षों की वर्तमान में पूछपरख बढ़ गई है। इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि आगामी दिनों में टिकट फायनल होने के पहले सीधे दिल्ली से उनके पास फोन आ सकता है और उनसे दावेदार के संबंध में धरातली जानकारी ली जा सकती है। यही नहीं दावेदार के साथ ही विकल्प के नाम भी तत्काल पूछे जा सकते हैं। ऐसी स्थिति में कई स्थानों पर उलटफेर की संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं। ऐन मौके पर ऐसी चर्चा आने के बाद दावेदार दिल्ली-भोपाल की सेटिंग के साथ ही क्षेत्र में भी सेटिंग जमाने में लग गये हैं। युवक कांग्रेस के अध्यक्षों की पूछपरख सम्मान के साथ होने लगी है। से उौन जिले की 7 में से 4 सीटों के परिणाम परिवर्तित किये जा सकते हैं।
कट्टर विरोधियों को चुनाव संचालक बना दिया जाए
कांग्रेस और भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जिले की 7 में से 4 विधानसभा क्षेत्रों में सीधे स्तर पर प्रत्याशी चयन के बाद बगावत का बिगुल बजेगा। सेबोटेज की राजनीति पूरी तरह से खेली जायेगी। पिछली बार के घटनाक्रम इस बार फिर मैदान में दोहराए जाएंगे। इन सबसे बचने और परिणाम पक्ष में करने के लिये प्रत्याशी चयन से ही चयन समिति हल निकाल सकती है। इन वरिष्ठों का मानना है कि सीधे तौर पर जहां कट्टर विरोधियों के बीच एक ही पार्टी से टिकट की मांग हो और आपस में बगावत की स्थितियां हों तो दोनों ही पक्षों को अवसर न देते हुए पार्टी आलाकमान क्षेत्र में वजूद रखने वाले नये कार्यकर्ता को अवसर दे। दोनों ही कट्टर विरोधियों को चुनाव संचालक बनाकर ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की जिम्मेदारी सशर्त दे दी जाए। ऐसे में कट्टर विरोधियों को घेरा भी जा सकता है और उनसे काम भी लिया जा सकता है।
इन सीटों पर है बगावत के आसार
उज्जैन जिले की 7 विधानसभा क्षेत्रों में से 4 पर भाजपा और कांग्रेस को बगावत की बड़ी स्थितियों के दौर से गुजरना पड़ सकता है। प्रत्याशी चयन घोषणा के साथ ही इस सबका खेल शुरु हो जायेगा। उज्जैन दक्षिण, बड़नगर, तराना, महिदपुर इन्हीं में हैं। पिछली बार के चुनाव परिणाम बताते हैं कि दक्षिण में भाजपा की जीत कांग्रेस के बागियों में वोट बंट जाने से हो गई थी। यही स्थिति बड़नगर में रही। महिदपुर में भाजपा से बगावत कर लड़ने वाले प्रत्याशी के कारण स्थितियां बदल गई। तराना में भी कांग्रेस को सेबोटेज की राजनीति से दो-दो होना पड़ा है।
माँ आनंदमयी भी दावेदार
भाजपा से टिकट की अपेक्षा साधु-संत भी रख रहे हैं। यही कारण है कि उज्जैन से टिकट मांगने वालों में माँ आनंदमयी के नाम का भी जिक्र सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि उन्होंने भोपाल में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से मुलाकात की है और उनके सामने अपना दावा प्रस्तुत किया है। सूत्र बताते हैं कि और भी कुछ संतों की ओर से इस तरह की दावेदारी प्रदेश स्तर पर बड़े नेताओं के समक्ष की जा रही है।