टॉप सीक्रेट स्टडी के बाद नोटबंदी का हुआ फैसला
नई दिल्ली, 15 नवम्बर(इ खबरटुडे)। सरकार की तरफ से 1000 और 500 के पुराने नोटों का चलन बंद करने का फैसला लिए जाने की अहम वजह देशभर में नकली नोटों के जाल को लेकर इंडियन स्टैटिस्टकल इंस्टीट्यूट (ISI) सहित कई सिक्योरिटी एजेंसियों की तरफ से हुई टॉप सीक्रेट स्टडी है।
यह स्टडी फरवरी और मार्च में प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी के सामने पेश की गई थी। इस पर मोदी ने अपनी टीम को इस दिशा काम करने के लिए कहा था। ब्लैक मनी और जाली नोट के खिलाफ एक ही बार में एक्शन लेने का फैसला टॉप लेवल पर लिया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक देश में कुल 400 करोड़ रुपये के जाली नोट यानी फेक इंडियन करेंसी नोट (एफआईसीएल) चल रहे थे। स्टडी में यह भी बताया गया था, ‘यह पिछले चार साल में 2011-12 से 2014-15 के बीच एक ही स्तर पर रहा है।’
रिपोर्ट के हिसाब से सिस्टम में 500 रुपये के मुकाबले 1000 के जाली नोट कम पाए गए थे। स्टडी में यह भी पता चला था कि सिस्टम में 100 के जाली नोट 1000 वाले जितने ही हैं। लेकिन सरकार ने 100 के करेंसी नोट को खत्म नहीं करने का फैसला किया।
स्टडी नेशनल इनवेस्टिगेटिंग एजेंसी और आईएसआई दोनों ने मिलकर की है। इसमें कहीं यह सुझाव नहीं दिया गया था करेंसी को डी-मॉनेटाइज कर दिया जाए। इसमें फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस की तरफ से जाली नोटों की पहचान में सुधार लाने के लिए पांच एक्शन प्वाइंट की पहचान की गई थी। स्टडी में दिए गए सुझावों को लागू किए जाने से अगले तीन से पांच वर्षों में जाली नोटों की संख्या आधी रह जाएगी।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि स्टडी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजित डोवल को सौंपी गई और उस पर अगले कुछ हफ्ते तक गहन चर्चा के बाद यह महसूस किया गया कि बड़े कदम उठाने की जरूरत नहीं है। ~1000 और ~500 के करेंसी नोट डीमॉनेटाइज करने पर आरबीआई के जोर दिए जाने से चर्चा व्यापक हो गई।
दूसरे देशों के मुकाबले भारत की तुलना करें तो ब्रिटेन, कनाडा, मेक्सिको जैसे देशों के मुकाबले यहां नकली करेंसी की संख्या ज्यादा है। यहां हर 10 लाख रुपये के नोट पर 250 रुपये के नकली नोट होने का अनुमान है। उसने आगे यह अनुमान भी लगाया कि हर साल इंडियन इकनॉमी में 70 करोड़ रुपये के जाली नोट घुसाने की कोशिश की जा रही है। इसमें से एक तिहाई ही पकड़ में आ पाते हैं।
स्टडी में यह भी पाया गया है कि 80 पर्सेंट जाली इंडियन नोट तीन प्राइवेट सेक्टर बैंकों- HDFC, ICICI और एक्सिस बैंक ने पकड़े हैं। स्टडी में कहा गया है, ‘दूसरे फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस की रिपोर्टिंग में सुधार के लिए तत्काल उपाय किए जाने चाहिए।’ स्टडी में एनबीएफसी की पहचान बड़े लूपहोल की तरह की गई है जहां बड़ी संख्या में कैश हैंडलिंग होती है, लेकिन यह डिटेक्शन सिस्टम से बाहर रहता है।