जिले की सीमाएं सील होने का दावा खोखला, नागदा के कोरोना पॉजीटिव मोहल्ले से रतलाम जिले में चला आया परिवार
रतलाम,07 अप्रैल (इ खबरटुडे)। कोरोना से बचाव का एकमात्र तरीका सोशल डिस्टेस्टिंग और लाक डाउन है। प्रशासन का दावा है कि जिले की सीमाओं को पूरी तरह सील कर दिया गया है। लेकिन यह दावा मंगलवार को पूरी तरह खोखला साबित हो गया। नागदा से कोरोना पॉजीटिव पाए गए व्यक्ति के मोहल्ले से एक व्यक्ति पूरे परिवार को लेकर कार से जिलें में आ गया। इतना ही नहीं बल्कि सीमा पार करके आसानी से ग्राम नांदलेटा पहुंचा परिवार अपने रिश्तेदार के घर पांच दिनों तक छुपा भी रहा और अपनी कार भी छुपा दी।
सीमा सील फिर भी आसानी से कर ली पार
जिले की सभी सीमाए सील होने का दावा किया जा रहा हैं। इसके बाद भी संक्रमित क्षैत्रो से लोगो का आवागमन होने की सुचनाए लगातार सामने आ रही हैं। जानकारी के अनुसार मंगलवार सुबह नागदा में जो मरीज कोरोना पॉजीटिव पाया गया है, उसके पिता और परिवार से रतलाम जिले में आने वाला व्यक्ति लगातार संपर्क में था। रतलाम आने वाला व्यक्ति भी उसी मोहल्ले का है। जहां कोरोना पॉजीटिव मरीज पाया गया है। ऐसे में जब उज्जैन प्रशासन ने उनका मोहल्ला सील किया तो रात में ही बिना किसी को बताए यह व्यक्ति अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ कार से रतलाम के ग्राम नांदलेटा आ गया। जिले की सीमा सील होने के बावजूद इन्हें यहां तक आने में कोई परेशानी नहीं हुई। 2 अप्रैल से अपने रिश्तेदार के मकान में रह रहा था न तो इसने प्रशासन को अपने अन्य जिले से आने की सूचना दी और न ही गांव वालों को।
पुलिस स्वास्थ्य टीम का करती रही इंतजार
मंगलवार सुबह जब एसपी गौरव तिवारी को मामले की भनक लगी तो उनके आदेश पर एएसपी और डीएसपी हरकत में आए और पुलिस टीम नांदलेटा के शासकीय डिस्पेंसरी पहुंची। हालांकि स्वास्थ अमले के लिए टीम काफी देर तक इंतजार करती रही। इसके बाद बीएमओ के साथ स्वास्थ्स विभाग की टीम गांव के सरपंच इन्द्रजीतसिंह सिसोदिया, सचिव मुकेश पाटीदार, सहायक सचिव इश्वरलाल परमार, एएनएम , आंगनवाड़ी , आशा कार्यकर्ता आदि के साथ संबंधित के घर पहुंची और स्क्रीनिंग की गई। इस दौरान भी पहले अकेले मुख्य व्यक्ति की स्क्रीनिंग हुई और उसने अपने परिवार की जानकारी तक नहीं दी। बाद में दोबारा सूचना मिलने पर टीम पहुंची और उसकी पत्नी और बच्चों की स्क्रीनिंग की। हालांकि टीम ने उन्हें आईसोलेट करने के बजाय वहीं छोड़ दिया और घर पर ही रहने की हिदायत दे दी।
गांव वालों में दहशत और संशय
गांव वालों को जब इस पूरे घटनाक्रम की भनक लगी तो लोग दहशत में आ गए। लोगों ने कहा कि जो व्यक्ति ऐसे माहौल में छुपकर आ गया और बिना प्रशासन को जानकारी दिए परिवार को छुपा दिया, वह स्वंय आईसोलेट रहेगा इस बात में संशय है। गांव वालों ने इस बात पर भी सवाल उठाए हैं कि परिवार की केवल स्क्रीनिंग की गई है जबकि प्रशासन स्वयं कह रहा है कि स्क्रीनिंग से कोरोना की पहचान शुरुआत में नहीं होती है। परिवार को मेडिकल टीम की देखरेख में रखकर पूरी जांच की जानी चाहिए।