जिला सहकारी बैंक के डायरेक्टरों ने भोपाल जाकर दिया त्यागपत्र
अध्यक्ष चौटाला के चयन से नाराज है डायरेक्टर,बोर्ड की बैठक भी रद्द हुई
रतलाम, 2 मई (इ खबरटुडे)। जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष बनाए गए अशोक चौटाला के भाग्य में शायद इस पद का मजा लेना लिखा ही नहीं है। अध्यक्ष बनने के बाद बुलाई गई बैंक बोर्ड की पहली ही बैठक को डायरेक्टरों की गैरमौजूदगी के कारण रद्द करना पडा। पता चला कि अध्यक्ष से नाराज तमाम डायरेक्टरों ने भोपाल पंहुचकर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को अपने त्यागपत्र दे दिए है। यह पूरा वाकया उद्योगपति शहर विधायक चैतन्य काश्यप की पार्टी में घटती साख के प्रमाण के रुप में देखा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि सहकारी बैंक के डायरेक्टर्स के निर्वाचन के बाद निर्वाचन प्रक्रिया पर उच्चन्यायालय द्वारा स्थगन दे दिया गया था। लम्बे समय तक स्थगन प्रभावशील रहने के बाद जब फिर से निर्वाचन प्रक्रिया शुरु हुई तो शहर विधायक ने बहुसंख्यक डायरेक्टरों की इच्छा को ताक पर रखते हुए अपने समर्थक अशोक चौटाला को सहकारी बैंक का अध्यक्ष बनवा दिया।
चौटाला को अध्यक्ष बनाए जाने से बैंक के अन्य डायरेक्टर्स में जमकर आक्रोश फैला और वे तभी से विरोध प्रदर्शन का मौका ढूंढ रहे थे। जैसे ही शनिवार को बोर्ड डायरेक्टर्स की बैठक तय की गई,शहर विधायक चैतन्य काश्यप और बैक अध्यक्ष अशोक चौटाला से नाराज बैंक के ग्यारह भाजपा समर्थित डायरेक्टर भोपाल रवाना हो गए। भाजपा सूत्रों के मुताबिक इन सभी नेताओं ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिह से मिलकर न सिर्फ अपनी शिकायत दर्ज कराई,बल्कि अपने त्यागपत्र भी सौंप दिया।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक इन आक्रोशित डायरेक्टर्स का आरोप था कि शहर विधायक चैतन्य काश्यप ने अपने समर्थक अशोक चौटाला को अध्यक्ष बनवाने के लिए बेईमानी का सहारा लिया। बैंक का एक भी डायरेक्टर अशोक चौटाला के पक्ष में नहीं था। इसके बावजूद अंतिम क्षणों में अशोक चौटाला के नाम की घोषणा कर किसी अन्य डायरेक्टर को फार्म भरने का मौका तक नहीं दिया और इस तरह अशोक चौटाला को निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित करवा लिया गया। नाराज डायरेक्टरों का यह भी आरोप है कि अशोक चौटाला का ग्रामीण जनता से कोई सम्पर्क नहंी है,जबकि जिला सहकारी बैंक ग्रामीण जनता के उपयोग की बैंक है। बैंक का अध्यक्ष ग्रामीण क्षेत्र का होने से ग्रामीणों के लिए अधिक उपयोगी होता है। यही नहीं जिले भर की समितियों से चुनकर आए प्रतिनिधियों से भी चौटाला का कोई सम्पर्क नहीं है।
इधर रतलाम में सहकारी बैंक डायरेक्टर्स के इस कदम की खबर मिलते ही भाजपा के नेताओं में खलबली सी मच गई। सूत्र बताते है कि संगठन मंत्री और बडे पदाधिकारियों ने भाजपा समर्थित तमाम डायरेक्टर्स को बैठक में उपस्थित रहने के लिए फोन लगाए,लेकिन जब यह मालूम पडा कि कोई डायरेक्टर बैठक में आने को तैयार नहीं है,फौरन बैठक रद्द करने का निर्णय लिया गया।
नियमों का उल्लंघन
बैठक रद्द करने के मामले में भी विधि की निर्धारित प्रक्रिया का खुलकर उल्लंघन किया गया। इस तरह की बैठकों को निरस्त करने की प्रक्रिया यह होती है कि निर्धारित समय पर यदि पर्याप्त संख्या में सदस्य उपस्थित नहीं होते,तब विधिवत घोषणा कर कुछ समय बाद फिर से बैठक आहूत की जाती है। यदि दोबारा भी कोरम पूरा नहीं होता तो कोरम के अभाव में कारण उल्लेखित कर बैठक निरस्त की जाती है। अपरिहार्य कारण जैसे कारणों से बैठक निरस्त नहीं की जा सकती। बैठक निरस्त करने का निर्णय बैठक के निर्धारित समय के बाद ही लिया जा सकता है।
शहर विधायक की गिरी साख
बिना जनसमर्थन के अपने समर्थक को सहकारी बैंक अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाने के मामले में शहर विधायक चैतन्य काश्यप की साख गिरी है। जबर्दस्त बहुमत से चुनाव जीते श्री काश्यप,चुनाव के बाद से ही जनसमर्थन खोने लगे है। आम जनता में जहां उनका ग्राफ बेहद नीचे चला गया है,वहीं पार्टी में भी उनकी प्रतिष्ठा बेहद कमजोर हो गई है। उद्योगपति होने के चलते पार्टी के कोषाध्यक्ष बनाए गए श्री काश्यप स्थानीय स्तर पर ही पार्टीजनों को संतुष्ट नहीं कर पा रहे। आम भाजपा कार्यकर्ता में उनके प्रति जबर्दस्त नाराजगी का माहौल है। ऐसे में सहकारी बैंक के तमाम डायरेक्टरों का सामूहिक त्यागपत्र उनकी गिरती साख को और अधिक गिराने में सक्षम है।