जिला पंचायत में भाजपा नेताओं की बगावत से पांचों सीटे खतरे में
आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को होगा भारी नुकसान
रतलाम,21 जून(इ खबरटुडे)। जिला पंचायत में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के विरुध्द लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के बाद भाजपा की आंतरिक राजनीति में भारी उथल पुथल हो चुकी है। जिला पंचायत में बगावत करने वाले भाजपा सदस्यों में दो तो स्वयं भाजपा के पदाधिकारी है और एक महिला सदस्य का पति भी पदाधिकारी है। अनेक सदस्यों के निकट सम्बन्धी भाजपा के पदाधिकारी है। ऐसी स्थिति में भाजपा का अनुशासन तार तार हो गया है और इसका खामियाजा भाजपा को आसन्न विधानसभा चुनाव में भुगतना पड सकता है। इतना ही नहीं प्रदेश भर में भाजपा की छबि पर प्रतिकूल प्रभाव पडेगा।
राजनीति की रोचक कहानी
जिला पंचायत में मची उथल पुथल की आंतरिक कहानी बेहद रोचक है। पूरे घटनाक्रम में भाजपा नेताओं की कलह सामने आ गई है और अनुशासित कहलाने वाली पार्टी का अनुशासन तार तार हो चुका है। जिला पंचायत में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का पूरा खेल भाजपा के जिला मंत्री शंकरलाल पाटीदार द्वारा खेला गया है। शंकर पाटीदार ने भाजपा के सदस्यों को तो भडकाया ही,अपनी ही पार्टी के जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को हटाने के लिए कांग्रेस की भी मदद हासिल की। जिला पंचायत के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को हटाने की पूरी योजना कांग्रेस के सदस्य वीरेन्द्र सिंह सोलंकी की मदद से बनाई गई।
कांग्रेस को मिली नई जान
कांग्रेस को तो इस बगावत से मुह मांगी मुराद मिल गई। जिले भर में कमजोर होती जा रही कांग्रेस को जिला पंचायत में मिली असाधारण सफलता से नई जान मिल गई। अविश्वास प्रस्ताव की इस नौटंकी में मुख्य रोल भाजपा के शंकरलाल पाटीदार का होने के बावजूद घटनाक्रम के नेता के तौर पर कांग्रेस के वीरेन्द्र सिंह पाटीदार को प्रस्तुत किया गया। इस कवायद के पीछे मकसद यह था कि भाजपा के बागी नेताओं को संगठन की नारागजी ना झेलना पडी। हांलाकि भाजपा में जल्दी ही यह साफ हो गया कि सारे घटनाक्रम के पीछे मुख्य रोल शंकरलाल पाटीदार का ही है। हांलाकि वीरेन्द्र सिंह को अविश्वास प्रस्ताव का नेता बताए जाने के बडा भारी फायदा कांग्रेस को आलोट क्षेत्र में मिलने वाला है। जिला पंचायत में मिलने वाली सफलता से भाजपा के गढ माने जाने वाले आलोट में कांग्रेस को नया आत्मविश्वास मिलेगा वहीं भाजपा कार्यकर्ताओं में हताशा आएगी। चूंकि जिला पंचायत में कांग्रेस विपक्ष की भूमिका में है इसलिए भाजपा की फूट का पूरा फायदा हर हाल में कांग्रेस को मिलेगा। कांग्रेस नेता जानते थे कि चाहे वे अविश्वास प्रस्ताव में सफल हो या ना हो,उन्हे हर हाल में फायदा होने वाला है। नतीजतन कांग्रेस के नेता पूरी ताकत से भाजपा की इस बगावत के साथ हो गए। इस पूरे घटनाक्रम पर होने वाला लाखों रुपए का व्यय भी भाजपा के बागी नेताओं के ही जिम्मे था। कांग्रेस के नेताओं के लिए इससे अच्छा क्या हो सकता था।
पदाधिकारियों की बगावत
जिला पंचायत में हुई बगावत के पीछे भाजपा के ही अनेक पदाधिकारी शामिल थे। बगावत का पूरा खेल बनाने वाले भाजपा नेता शंकरलाल पाटीदार की पत्नी संगीता जिला पंचायत सदस्य है। शंकरलाल स्वयं भाजपा के जिला मंत्री है। शंकर लाल के चाचा ईश्वरलाल पाटीदार भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति सदस्य और रतलाम विकास प्राधिकरण के सदस्य है। इसके अलावा जिला पंचायत की एक अन्य बागी सदस्य भावना कुंवर भाजपा की जिला मंत्री है,जबकि कैलाश निनामा अनुसूचित जनजाति मोर्चे की प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य है। कुल मिलाकर अनुशासित भाजपा के जिम्मेदार पदाधिकारी ही भाजपा की जिला पंचायत को नष्ट करने पर तुले है।
जिले की पांचों सीटे पडी खतरे में
अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान की तिथि पास आने के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा इस बगावत को रोकने के लिए की गई असफल कोशिशों से यह स्पष्ट हो गया कि अब जिले की पांचों सीटों पर खतरा मण्डरा रहा है। जिला पंचायत के संकट से निपटने के लिए भाजपा के संभागीय संगठन मंत्री राकेश डागोर, वरिष्ठ नेता हिम्मत कोठारी,नगरीय प्रशासन राज्य मंत्री मनोहर उंटवाल,जावरा के पूर्व विधायक डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय,पूर्व सांसद दिलीपसिंह भूरिया,भाजपा जिलाध्यक्ष बजरंग पुरोहित आदि ने कमान सम्हाली। भाजपा सूत्रों के मुताबिक आलोट क्षेत्र से आने वाले जिला पंचायत के सदस्यों को मनाने की जिम्मेदारी नगरीय प्रशासन मंत्री मनोहर उंटवाल को दी गई,वहीं जावरा क्षेत्र के सदस्यों को समझाने का दायित्व डॉ. राजेन्द्र पाण्डे को सौंपा गया। वरिष्ठ नेताओं की तगडी मशक्कत के बावजूद उपाध्यक्ष पद के विरुध्द लाया गया अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया।
जानकार सूत्रों का कहना है कि बागी सदस्यों को बगावत के लिए जहां धन का लालच दिया गया वहीं जावरा की सदस्य भावना कुंवर को नया जिला पंचायत अध्यक्ष बनाए जाने का वादा किया गया था। योजना के मुताबिक अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को हटाए जाने के बाद भाजपा की भावना कुंवर को अध्यक्ष जबकि कांग्रेस के वीरेन्द्र सिंह को उपाध्यक्ष बनाने का समझौता कांग्रेस और बागी भाजपा नेताओं के बीच हुआ है। भाजपा के आंतरिक सूत्रों का कहना है कि जावरा की भाजपा कुंवर को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने की योजना डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय की ही थी। इसीलिए वे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के सामने तो बगावत को रोकने का दिखावा करते रहे लेकिन भीतर ही भीतर बगावत को सफल हो जाने के प्रयास करते रहे। यही कारण था कि तमाम वरिष्ठ नेताओं की कोशिशों के बावजूद बगावत समाप्त नहीं की जा सकी और उपाध्यक्ष का पद गंवाना पडा।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद भाजपा के लिए स्थितियां खराब होती जा रही है। आलोट क्षेत्र के कांग्रेस नेता वीरेन्द्र सिंह का कद बढने से जहां आलोट में भाजपा के लिए खतरा बढ गया है,वहीं जावरा क्षेत्र के जिला पंचायत उपाध्यक्ष दशरथ आंजना को हटाए जाने से जावरा क्षेत्र में भाजपा कमजोर होने वाली है। रतलाम ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में जिपं अध्यक्ष के पति राजमल जैन का अच्छा खासा प्रभाव है। ऐसे में रतलाम ग्रामीण सीट भी खतरे में पडती दिखाई दे रही है। जिले के तीन बडे क्षेत्रों में भाजपा संगठन के कमजोर होने का अप्रत्यक्ष असर शेष दो सीटों पर भी पडना तय है। पार्टी नेताओं के बीच पडी दरारें अब भरना मुश्किल है और ऐसे में विधानसभा चुनाव कठिन समय भाजपा के लिए और भी कठिन हो जाना तय है।