जज्बा, कठोर परिश्रम, एक जुटता और लीडरशीप से रतलाम जिला होगा खुले में शौच मुक्त – कलेक्टर
खुले में शौच से मुक्ति हेतु कार्यशाला आयोजित
रतलाम ,30 जून (इ खबरटुडे)। रतलाम जिले को खुले में शौच से मुक्त बनाने के लिये समस्त नागरिकों, जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, कर्मचारियों को एक जुट होकर पूरे जज्बे के साथ कठोर परिश्रम कर स्वयं नेतृत्व करते हुए सकारात्मक सोच के साथ कार्य करना होगा। तभी जिले को सफलतापूर्वक खुले में शौच से मुक्त बना पायेगें। कलेक्टर श्रीमती तन्वी सुन्द्रियाल ने आज स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत डिस्ट्रीक लेवल मिशन एवं एक्सन प्लानिंग वर्कशाप में उक्त विचार व्यक्त किये।
‘‘शौच’’ का सम्मान जनक विसर्जन करें – अजय सिन्हा
कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए फीड बैक फाउंडेशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अजय सिन्हा ने कहा कि शौच शरीर का अभिन्न अंग है। जिस प्रकार से मुण्डन के बालों का और दुध के दांत गिरने पर हम उनका सम्मान जनक विसर्जन करते हैं उसी प्रकार से शौच का भी सम्मान जनक तरीके से विसर्जन करना चाहिए। श्री सिन्हा ने अपने प्रेरक उद्बोधन में बताया कि संसार की सभी सभ्याताओं में हमारी सभ्यता ही ऐसी हैं जहंा पर खुले में शौच करने के प्रमाण नहीं मिलते। मोहन जोदड़ो और हड़प्पा की सभ्यताओं में इसके प्रमाण पत्र मौजूद है। उन्होने जिले को खुले में शौच से मुक्त करने के लिये आम आदमी की मानसिकता और व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिये खुल कर अपने विचार व्यक्त करने की अपेक्षा की।
फीड बैक फाउंडेशन के सीईओ श्री सिन्हा ने समाज को खुले में शौच मुक्त (गॅू से मुंह तक की यात्रा का खात्मा) बनाने के लिये अब तक सरकारों द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रमों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होने इतिहास और विभिन्न धर्मो के उदाहरण देते हुए बताया कि कही पर भी खुले में शौच किये जाने पर सम्मानजनक नहीं माना गया है। सभी धर्मो में इसके सम्मानजनक तरीके के इस्तेमाल पर जोर दिया गया है। उन्होने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन का उद्देश्य यह हैं कि ‘‘खुले में शौच से मुक्ति’’ उद्देश्य की पूर्ति के लिये हमें कार्यक्रम को एक जन आंदोलन का रूप देना पड़ेगा जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को समर्पित होकर अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी होगी। एक भी गॉव में यदि एक भी परिवार खुले में शौच करता हैं तो उस गॉव का प्रत्येक परिवार अप्रत्यक्ष रूप से शौचालय बनवाने के बावजुद भी उन खतरों से विमुक्त नहीं हो सकता जो कि सम्भावित है। खुले में शौच से अप्रत्यक्ष रूप से हम सभी उस ‘‘गूॅ’’ को खाते हैं जिसको घृणित माना जाता है क्योकि उस गंदगी पर बैठने वाली मक्खियॉ पुनः उस गूॅ भोजन के द्वारा हमारे मुंह में पहुॅचा देती है। श्री सिन्हा ने कहा कि खुले में शौच से मुक्ति के लिये हर व्यक्ति को यह शपथ लेनी होगी कि न तो हम गूॅ को खायेगे और न ही किसी को गूॅ खाने देगें । यह तभी सम्भव और सफल होगा जब आम व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन लाकर प्रत्येक घर मंे शौचालय का निर्माण हो जायेगा।
बुरे और दुख भरे अनुभव परिवर्तन के कारक होते हैं
अजय सिन्हा ने कहा कि विभिन्न सरकारों के विभिन्न कार्यक्रमों के बाद भी आज हम खुले में शौच से मुक्त नहीं हो पाये है। प्यार मोहब्बत से परिवर्तन नहीं होते है। परिवर्तन तभी होते हैं जब हमें बुरे और दुख भरे अनुभव होते हैं यह अनुभव हमें और हमारी आत्मा को झझोड़ते है। हमें लोगांे को गूॅ और टट्ट्ी के बारे में बताना होगा, खुल कर बात करनी होगी। बताना होगा कि शौचालय नहीं होने से उनके घर की बहन, बेटियों और मॉ को कितनी शर्मिदगी झेलनी पड़ रही है। पक्के घरों और गाडि़यों में घुम कर, खेती में टेªक्टर का उपयोग कर भी वे यदि वे अपने घरों में शौचालय नहीं बनाकर किस प्रकार से घर परिवार की महिलाओं को शर्मिंदगी झेलने के लिये के वे मजबूर कर रहे है। गरीबी का बाहना बनाकर वे एक शौचालय नहीं बनाना चाहते जबकि बिमारी, विवाह और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों पर हजारों रूपये खर्च करने को कैसे तत्पर रहते है। गूॅ, टट्टी, बहन, बेटियांे की मर्यादा, उनकी बेइज्जती इत्यादि बातों से निःसंदेह लोगों को बुरा लगेगा लेकिन जब तक उन्हें बुरा नहीं लगेगा तब तक वे अच्छा करने के लिये प्रेरित नहीं होगें। यह सत्य हैं कि हमेशा दुख के बाद ही सुख का एहसास होता है।
90 दिन में ओडीएफ करेगें, सौ टीमें बनेगी
कार्यशाला में रतलाम जिले को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिये 90 दिवस की कार्य योजना बनाये जाने का निर्णय लिया गया है। आगामी 02 अक्टूबर 2017 को सम्पूर्ण जिले को खुले में शौच से मुक्त बनाया जाकर ओडीएफ जिला घोषित करवाया जायेगा। इसके लिये सौ टीमें बनायी जायेगी। प्रत्येक टीम में तीन-तीन प्रेरक रहेगें। यह प्रेरक निरंतर सभी गॉवों में लोगों को जागरूक कर प्रेरित करेगें कि कोई भी व्यक्ति खुले में शौच करने नहीं जाये। अपने घरों में शौचालयों का निर्माण कराकर उनका उपयोग सुनिश्चित करे। निगरानियों समितियो द्वारा निरंतर निगरानी की जायेगी। इसमें विकास खण्ड से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारी सतत् निगरानी करेगें। कार्यशाला में बताया गया कि खुले में शौच मुक्त होने पर शिशु मृत्यु दर में आर्श्चयजनक गिरावट आती हैं, किशोरी बालिकाओं का स्कूल से शाला त्याग की दर 30 प्रतिशत तक घट जाती हैं, प्रति व्यक्ति कार्य दिवस 70 दिन बढ़ जाते हैं और जीडीपी ग्रोथ रेट 6.4 तक बढ़ जाती हैं।
कार्ययोजना में ‘‘नौ एम’’ शामिल
जिले को खुले में शौच मुक्त (गॅू से मुंह तक की यात्रा का खात्मा) बनाने के लिये बनायी जाने वाली 90 दिवसीय कार्ययोजना में नौ एम शामिल किये गये है। मिशन, मोबेलाईजेशन, मोटीवेटर, मास्टर टेªनर्स, मेंशन्स, मटेरियल, मॉनीटरिंग, मैनेंजमेंट और मनी। अजय सिन्हा ने प्रत्येक एम पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि कैसे इनके माध्यम से कार्य योजना को बनाया जाकर सफलतापूर्वक उद्देश्य की पूर्ति प्राप्त की जा सकती है।
कार्यशाला में विधायक रतलाम शहर चेतन्य काश्यप, रतलाम ग्रामीण मथुरालाल डामर, आलोट जितेन्द्र गेहलोत, सैलाना श्रीमती संगीता चारेल, जिला पंचायत के अध्यक्ष प्रमेश मईड़ा, आलोट जनपद अध्यक्ष कालुसिंह परिहार, जिला पंचायत के सदस्यगण, पुलिस अधीक्षक अमितसिंह सहित समस्त जिला अधिकारी उपस्थित थें। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सोमेश मिश्रा ने कार्यशाला के अंत में सभी का आभार व्यक्त करते हुए विश्वास दिलाया कि वे आगामी 02 अक्टूबर तक जिले को खुले में शौच से मुक्त बनाने में कोई कमी नहीं रहने देगें।