छोटी सी अनबन फिर तलाक़ ने बना दिया कंचन भाई को पागल, समाजसेवी काकानी ने परिजनों से मिलवाया
रतलाम,29 मई(इ खबरटुडे)। जिंदगी के सुहाने सफर में इंसान शादी कर भविष्य के सपने देखता है परंतु छोटी अनबन में तलाक तक नौबत पहुंच जाती है और इंसान मनोरोगी बन जाता है और समाज में उसे पागल कहा जाने लगता है। लेकिन कोई मनोरोगी जब सही हाथो में पहुँचता है तो उसका उपचार भी हो जाता है और बिछड़े हुए परिवार से उसका मिलन भी हो जाता है। ऐसी ही कहानी है काकन पुर निवासी कंचन भाई की. पागलो की तरह इधर उधर भटकते कंचन भाई का इन दिनों जिला चिकित्सालय में उपचार किया जा रहा है।
धामनोद के डॉ दिनेश राव ने डेलनपुर के आसपास भटकते हुए एक पागल को देखा तो उन्हें उस पर दया आई और वे उस पगले व्यक्ति से मिले। उन्होंने उस व्यक्ति को नहला कर उसकी हजामत बनवाई तो वह व्यक्ति थोड़ा साफ सुथरा दिखाई देने लगा। डॉ राव उस व्यक्ति को रतलाम लेकर आये और उन्होंने समाजसेवी गोविन्द काकानी से संपर्क किया। काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के सचिव गोविंद काकानी ऐसे अनेक मनोरोगियों का उपचार करवा कर उन्हें उनके स्वजनों से मिलवा चुके है। श्री काकानी ने उक्त मनोरोगी के बारे में खोजबीन शुरू की और जल्दी ही उन्हें पता चल गया की उसका नाम कंचन भाई जेठाभाई सुतारिया उम्र लगभग 42 साल निवासी काकन पुर ,पंचमहाल जिला ,गुजरात है। यह मानसिक रूप से कमजोर है | श्री काकानी ने कंचन भाई के बारे में प्रतिदिन जानकारी इकट्ठी कर गुजरात पुलिस के माध्यम से इनके परिवार वालों से संपर्क किया| बुधवार को इनके परिवार के बड़े भाई जयंतीभाई बड़ौदा से एवं हरीश भाई बहनोई सेवानिवृत्त पुलिस विभाग आणंद से कंचन भाई को लेने आए | परिजनों के आने पर जब कंचन भाई की कहानी सामने आई तो हरकोई आश्चर्यचकित रह गया।
बड़े भाई जयंती ने बताया कि कंचन की शादी 20 साल पहले हो चुकी है | शादी के दो-तीन साल बाद ही तलाक हो गया | इसकी एक बेटी भी है| तलाक के बाद से ही कंचन का दिमाग की हालत बिगड़ गई ,माता पिता का साया भी बीते 15 सालों में छूट गया | इस कारण दिमाग की हालत और ज्यादा बिगड़ गई और वह 2 वर्ष पूर्व घर से निकल गया | उसके बाद आज उससे मुलाकात हुई है | मुलाकात में कंचन ने सभी रिश्तेदारों के हालचाल पूछे एवं जानकारी भी ली |
कंचन के परिवार में दो भाई बड़े एवं सात बहने हैं | सभी की शादी हो चुकी है| दिमाग की खराब हालत के कारण इस को घर पर रखना बहुत मुश्किल हो जाता है |
जयंती भाई ने काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के सचिव गोविंद काकानी से इसे एक माह यहीं पर रखने के लिए निवेदन किया , जिस पर उन्होंने अस्पताल प्रशासन से चर्चा कर उसके ठीक होने तक यही रखने का निवेदन स्वीकार किया | फिलहाल कंचन भाई आइसोलेशन वार्ड में स्टाफ की देखरेख में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। श्री काकानी ने कहा कि उन्हें पूज्य गुरुदेव स्वामी सत्यमित्रानंद जी गिरी के आशीर्वाद ,डॉक्टर ,मीडिया कर्मी एवं अस्पताल स्टाफ के सहयोग से एक और बिछड़े व्यक्ति को आज उसके परिवार से मिलाने का सुखद अनुभव मिला |. इस प्रसंग में एक बात देखने को मिली जिसे रास्ते चलते हम पागल समझते हैं , थोड़ी सी समाज जन मेहनत करें तो वह ठीक होकर अपने परिवार वालों तक पहुंच सकता है| जरूरत है मानवता की| इस पूरी घटना के कुछ फोटो शुरुआत से घर पहुंचने तक की कहानी बयां करते हैं|