चोरों की गिरफ्त में शहर,जनता पर पुलिस का कहर
चोरियों पर रोक लगा पाने में असफल पुलिस का डण्डा चला आम नागरिकों पर
रतलाम,10 अगस्त (इ खबरटुडे)। कुछ दिनों से पुलिस सख्त हो गई है। शहर की सड़कों पर रात के साढे दस बजते ही पुलिसिया कहर नाजिल होने लगता है। नेताओं पर गोली चलाने जैसे गंभीर अपराधों को सुलझाने में नाकाम पुलिस रोजाना हो रही चोरियों को भी नहीं रोक पा रही है। इसी असफलता की खीज पुलिस अफसर आम नागरिकों को धमका कर दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले करीब तीन महीनों से शहर में एक भी रात ऐसी नहीं गुजरी होगी,जब किसी मकान में ताले ना टूटे हो और चोरी ना हुई हो। पुलिस थानों पर चोरी के ऐसे कई मामलों को रफा दफा कर दिया जाता है,जिनमें चोरी का माल कम हो या फरियादी कुछ कमजोर किस्म का हो। फरियादी के मजबूत होने की दशा में ही पुलिस थाने पर चोरी का प्रकरण दर्ज किया जाता है। चोरी के मामलों को छुपाने की तमाम कोशिशों के बावजूद शहर में रोजाना चोरियां हो रही है।
रोजाना हो रही चोरी की वारदातों को देखकर लगता है कि चोरी करने वाले गिरोहों को बडे अच्छे से पता है कि रतलाम में वारदातें करने पर उनका कुछ भी बिगडने वाला नहीं है। कई नागरिकों को तो ऐसा भी प्रतीत होने लगा है कि पुलिसवालों की वारदात करने वालों से कोई सांठगांठ है। क्योकि पुलिस के आला अफसर बडे बडे दावे करते है। पुलिस अफसर हर रात को चाक चौबन्द गश्त किए जाने के दावे भी करते है। लेकिन इसके बावजूद चोरी की वारदातें यथावत जारी है।
चोरी की वारदातें ही नहीं कई ऐसे गंभीर अपराध लम्बे समय से अनसुलझे है,जिनकी वजह से आम लोगों में सुरक्षा का भाव जागृत नहीं हो पाता। कांग्रेस पार्षद यास्मीन शैरानी युवा कांग्रेस से जुड़े सैयद वूसद आदि पर गोली चलने के मामले हो या रेलवे कालोनी के एक घर पर फायरिंग का मामला। रेलकर्मी की संदिग्ध हत्या का मामला भी अब तकर अनसुलझा है। इस तरह के गंभीर अपराधों का ना सुलझ पाना आम आदमी को खौफजदा करने के लिए पर्याप्त है।
अपराधों पर नियंत्रण कर पाने में नाकाम पुलिस ने अपनी सक्रियता प्रदर्शित करने का नया तरीका ढूंढ निकाला है। चोरी की वारदातें कालोनियों में भीतरी हिस्सों में होती है। पुलिसकर्मी शहर की मुख्यसड़कों पर रात ग्यारह बजे से आम लोगों को डराना धमकाना शुरु कर देते है। जिससे कि लोगों को पता चले कि पुलिस सक्रिय है। पुलिस के अफसर और गश्त वाले जवान अपना सारा ध्यान मुख्य सड़कों पर मौजूद लोगों को डराने,दुकानों को बन्द कराने में लगाते है। नतीजा यह है कि चोरी जैसी वारदातें बदस्तूर जारी है। आम जनता पर कहर बरपाने के इस अभियान में पुलिस के अफसर यह तक भूल जाते है कि कुछ सुविधाएं चौबीसों घण्टे आवश्यक होती है। कुछ समय पहले तक रेलवे स्टेशन का क्षेत्र पूरी रात चालू रहा करता था। इसका कारण यह था कि रेलवे स्टेशन पर रातभर रेलों की आवाजाही होती है और बाहर से आने वाले यात्रियों को खाद्य सामग्री चाय आदि मिल जाती थी। अपराधों को रोक पाने में असफल पुलिस अपना सारा जोर स्टेशन की दुकाने बन्द कराने,पान की गुमटियों पर डण्डे बजाने में कर रही है। शहर के नागरिक हैरान है कि उन्हे चोरी और गंभीर अपराधों से कब निजात मिल सकेगी और कब वे सुकून से चौराहे पर अपने मित्रों के साथ पान खाकर गप्पे लगा सकेंगे।