January 28, 2025

चुनावी चकल्लस 5/ शिवराज के साथ मोदी का नाम भुनाने की कोशिशें,नवाबी शहर में पंजा परेशान

chunavi chakallas

रतलाम,18 नवंबर (इ खबरटुडे)। चुनाव प्रचार शुरु होकर चार दिन गुजर गए। पांचवे दिन जाकर शहर के लोगों को महसूस हुआ कि चुनावी सरगर्मी चालू हो गई है। पांचवे दिन फूल छाप वालों की आमसभा हुई। केन्द्रीय मंत्री तोमर सा.भैयाजी के पक्ष में वोट मांगने रतलाम पंहुचे और नाहरपुरा चौराहे पर मैजिक में भर भर कर बुलाई गई जनता को उन्होने सम्बोधित किया। हांलाकि जिले में पहली सभा पिपलौदा में छ: दिन पहले पंजा पार्टी की हुई थी,जिसमें श्रीमंत खुद आए थे। रतलाम की सभा कुछ मायनों में बेहद खास रही। यह पहली बार सामने आया कि मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में अकेले शिवराज सिंह ही नहीं बल्कि नरेन्द्र मोदी के नाम पर भी वोट मांगे जा रहे हैं। तोमर सा.केन्द्रीय मंत्री तो है ही,इस विधानसभा चुनाव में फूल छाप की चुनाव प्रबन्धन समिति के भी मुखिया है। उन्होने भाषण में वो सब कहा जो चुनावी सभा में कहा जाता है,लेकिन आखिर में उन्होने मतदाताओं से कहा कि आपका एक वोट विधायक और मुख्यमंत्री के साथ साथ प्रधानमंत्री को भी मजबूत करेगा। विधानसभा चुनाव के लिए की जा रही इस सभा में वे पंजा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर तंज कसना भी नहीं भूले। उन्होने यहां तक कह दिया कि पंजा पार्टी के नेता मसखरों जैसा बर्ताव कर रहे है। इससे साफ है कि फूल छाप के नेता बहुत अच्छे से जानते है कि मध्यप्रदेश के नतीजे अगली लोकसभा के चुनाव पर भी गहरा असर डालेंगे।

नवाबी शहर में पंजा परेशान

जिले के नवाबी शहर जावरा में पंजा पार्टी इन दिनों बहेद परेशानी में है। केके साहब को चुनौती देने वाले डाक्टर सा चुनावी मैदान में खम ठोक रहे है। पंजा पार्टी की जानकारी रखने वालों का कहना है कि ज्यादातर लोग पंजे का साथ छोडकर डाक्टर सा.की मदद में लगे हुए है। इसका नतीजा यह है कि केके साहब का प्रचार अभियान पिछडता हुआ नजर आ रहा है। हांलाकि यह टिकट खुद श्रीमंत ने दिलवाया है और वे इसकी चिंता भी कर रहे हैं.लेकिन उनकी मेहनत पर भी पानी फिर सकता है। डाक्टर सा.बिना पार्टी के है,लेकिन पंजा पार्टी के लोग उनके साथ है। दूसरी तरफ फूल छाप वाले भैया,पिपलौदा के बागी से परेशान है। हांलाकि फूल छाप वाले इस बागी को ज्यादा नुकसान पंहुचाने वाला नहीं मान रहे हैं। लेकिन पिपलौदा के लोग,अपने शहर के नेता का साथ देने की बातें कर रहे है। नवाबी शहर की उलझन अब तक सुलझती हुई नजर नहीं आ रही है।

क्या गुल खिलाएगी नाराजगी..?

कोई जमाना था कि फूल छाप पार्टी में उनकी इजाजत के बगैर पत्ता भी नहीं हिलता था। वक्त वक्त की बात है। आज उन्हे कोई बुला नहीं रहा है। वे बुलावे के इन्तजार में है कि कोई तो बुलाए। शहर में फूल छाप पार्टी की पहली चुनावी सभा में भी उन्हे बुलाया नहीं गया। सभा उनके घर से महज दो सौ मीटर दूर ही हो रही थी। लेकिन वे सभा में नहीं थे। खबरचियों के सामने उन्होने अपनी पीडा भी व्यक्त की। उनका कहना है कि पार्टी प्रत्याशीअहंकारी है। पार्टी गौण हो गई है.व्यक्तिवाद हावी है। वे अपनी नाराजगी खुल कर जता रहे है। फूल छाप पार्टी में उनकी वरिष्ठता की पूछ परख भी है। अब उनकी नाराजगी क्या गुल खिलाएगी,यह देखने वाली बात है।

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