चारा घोटाला: चाईबासा केस में लालू प्रसाद यादव को मिली जमानत, मगर नहीं कर पाएंगे बिहार चुनाव में प्रचार
रांची,09 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। चारा घोटाला से जुड़े चाईबासा केस में जेल की सजा काट रहे लालू प्रसाद यादव को जमानत मिल गई है। चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने लालू प्रसाद यादव को जमानत दे दी।
मगर अभी उनकी रिहाई नहीं हो पाएगी। जब तक चारा घोटाले से जुड़े दुमका कोषागार मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, तब तक लालू प्रसाद यादव जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की जमानत याचिका पर शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।
दरअसल, चारा घोटाले से संबंधित चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में लालू प्रसाद को रांची की सीबीआई कोर्ट ने पांच साल की सजा सुनाई है। लालू ने अपनी जमानत याचिका में कहा था कि इस मामले में उन्होंने आधी सजा काट ली है। इस आधार पर उन्हें जमानत मिलनी चाहिए।
कोर्ट ने आदेश दिया कि लालू प्रसाद यादव को 50 हजार का दो निजी मुचलका भरना है और दो लाख जुर्माना भी देना है। कोर्ट ने लालू यादव की बीमारी की रिपोर्ट मांगी है और इस बीच कितने लोग उनसे मिले है उसकी रिपोर्ट भी मांगी है। रिपोर्ट पर छह नवंबर को सुनवाई होगी।
इससे पहले 11 सितंबर को सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से लालू की याचिका का विरोध किया गया था। सीबीआई ने जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि लालू को चार मामले में सजा सुनाई गई है। सभी सजा अलग-अलग चल रही हैं। जब तक सभी सजा एक साथ चलने का आदेश संबंधित अदालत नहीं दे देती है, तब तक सभी सजा अलग-अलग चलेंगी। सभी में आधी सजा काटने के बाद ही इन्हें जमानत मिल सकती है।
जुलाई महीने में लालू प्रसाद ने जमानत याचिका दाखिल की थी। इसमें उनके बिगड़ते स्वास्थ्य का भी हवाला दिया गया था। जमानत याचिका में आधार बनाया गया है कि लालू प्रसाद यादव ने चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में सीबीआइ कोर्ट द्वारा सजा की आधी अवधि पूरी कर ली है और लालू प्रसाद यादव फिलहाल आधा दर्जन से ज्यादा गंभीर असाध्य रोगों से ग्रसित हैं। इसलिए उन्हें जमानत दी जाए।
बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव के लिहाज से लालू यादव की जमानत को काफी अहम माना जा रहा था। मगर दुमका मामले में सुनवाई लंबित है, जिस वजह से उन्हें रिया नहीं किया जा सकता। फिलहाल लालू यादव का रांची के रिम्स अस्पताल में भर्ती हैं। लालू प्रसाद यादव के बाहर निकलने से बिहार की राजनीति का समीकरण बदल सकता है।