December 24, 2024

गुरूकुल सम्मेलन के मंच पर साक्षात साकार हुई आत्मरक्षा की कला

kalaripattu

उज्जैन,30 मई (इ खबर टुडे ).। विराट गुरूकुल सम्मेलन में अंतिम दिन कई राज्यों के विद्यार्थियों ने योग के माध्यम से अलग-अलग शानदार प्रस्तुतियां दी। इन्ही प्रस्तुतियों में आत्मरक्षा की कलरीपयटू की कला को  दर्शकों ने मंच पर साकार होते साक्षात रूप से देखा तो दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबुर हो गए । बालक ओर बालिकाओं ने अलग अलग इस कला का प्रदर्शन किया । कलरीपयटू के माध्यम से युद्धकला का शानदार प्रदर्शन किया गया।

अंतरराष्ट्रीय विराट गुरूकुल सम्मेलन के तीसरे दिन समापन के पूर्व  प्रात: शारीरिक प्रस्तुतियों के  अंतर्गत वेदान्त्याक्षरी प्रतियोगिता, कृष्ण लीला सामूहिक नृत्य, रोप (रस्से पर) मलखम्भ, कलरीपयटू, धनुरविद्या, देशभक्ति के गीत की कई राज्यों के विद्यार्थियों के द्वारा शानदार प्रस्तुतियां दी गई। योग पर आधारित विद्यार्थियों के द्वारा दी गई। इन प्रस्तुतियों की उपस्थित जनसमुदाय ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सराहना की गई।

कलरीपयटू आत्मरक्षा की दक्षिण भारतीय कला

कलरीपयटू का प्रदर्शन गुजरात के कर्णावती के गौ तीर्थ विद्यापीठ के विद्यार्थियों के द्वारा अंतरराष्ट्रीय गुरूकुल सम्मेलन के तीसरे दिन समापन के पूर्व प्रात: किया गया। कलरीपयटू कला मुख्य रूप से दक्षिण भारत में बहुत प्रचलन में है और इसमें कुंफू
मार्शल आर्ट का उद्भव हुआ है। यह विधा ऐसी है जो शरीर, मन और आत्मा पर कार्य करते हुए व्यक्तित्व का विकास करती है। कलरीपयटू विधा आत्मरक्षा की शारीरिक कला है जो परमशक्ति की उपासना के लिए मन की एकाग्रता और शरीर को तंदुरूस्ती देती है। यह उन्नति के सरंक्षण एवं आयुर्वेद को साथ जोड़कर एक श्रेष्ठ योग बनाती है। ऋषिमुनियों के द्वारा दी गई कलरीपयटू कला भारत का गर्व है। भगवान शिव के ताण्डव में से कलरीपयटू कला का उद्भव हुआ है और अगत्स्य ऋषि ने इस कला को ग्रहण किया। दक्षिण भारत में आज भी ऋषि परंपराओं के द्वारा इस कला को बरकरार रखा गया है।

वेदान्त्याक्षरी प्रतियोगिता

अंतरराष्ट्रीय गुरूकुल सम्मेलन में वेदान्त्याक्षरी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। प्रतियोगिता ऋग्वेद-शाकल शाखा, शुक्लयजुर्वेद मध्यन्दिन शाखा, शुक्लयजुर्वेद काण्वशाखा, सामवेद तथा अथर्ववेद की हुई। ऋग्वेद-शाकल शाखा प्रतियोगिता में प्रथम श्री वेधपाठशाला कराड, द्वितीय श्रीमुनिकुल ब्रम्हचर्याश्रम वेद संस्थान बरुन्दनी एवं तृतीय स्थान पर श्रीवेदशाला कराड रहे। शुक्लयजुर्वेद मध्यन्दिन शाखा प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर स्वामी नारायणानन्द तीर्थ वेद विद्यालय वाराणसी, द्वितीय स्थान पर वेदमूर्ति विश्वनाथदेव गुरूकुल वाराणसी तथा तृतीय स्थान पर महर्षि कण्व वेद विद्याधाम उज्जैन रहा। शुक्लयजुर्वेद काण्वशाखा प्रतियोगिता में प्रथम स्वामी नारायणानन्द तीर्थ वेद विद्यालय वाराणसी, द्वितीय स्थान पर श्री ब्रम्हा वेद विद्यालय वाराणसी तथा तृतीय स्थान पर वेद आगम संस्कृत पाठशाला बेंगलूरु रहा। इसी प्रकार सामवेद प्रतियोगिता में प्रथम  एवं द्वितीय स्थान पर श्री मुनिकुल ब्रम्हचर्याश्रम वेद संस्थान बरुन्दनी और तृतीय स्थान पर स्वामी नारायणानन्द तीर्थ वेद विद्यालय वाराणसी रहे। इसी तरह अथर्ववेद प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर स्वामी नारायणानन्द तीर्थ वेद विद्यालय वाराणसी, द्वितीय स्थान पर श्री मुनिकुल ब्रम्हचर्याश्रम वेद संस्थान बरुन्दनी तथा तृतीय स्थान पर भागीरथी वेद विद्यापीठ गाजियाबाद रहे हैं।

रोप (रस्से) पर विद्यार्थियों के शानदार करतब

सम्मेलन के तीसरे दिन प्रात: उज्जैन के सांदीपनि वेदविद्या प्रतिष्ठान के द्वारा वेद अंतराक्षरी में भाग लिया गया। इसी तरह उज्जैन की “सर्वोत्तम भक्ति गुरूकुल” की बालिकाओं ने सामूहिक कृष्णलीला की शानदार प्रस्तुति दी। राजस्थान के जोधपुर की “वीर लोंकाशाह संस्कृत ज्ञानपीठ” तथा गुजरात के “कर्णावती” के विद्यार्थियों ने रस्से पर मलखंभ में शानदार करतब दिखाया, जिसकी उपस्थित जनसमुदाय ने भूरि-भूरि प्रशंसा की। इसी तरह गुजरात की कर्णावती के गौतीर्थ विद्यापीठ विद्यार्थियों ने कलरीपयटू माध्यम से युद्धकला का शानदार प्रदर्शन किया। राजस्थान के जोधपुर के वीरलोंकाशाह संस्कृत ज्ञानपीठ के विद्यार्थियों ने तीरंदाजी की कला में अपना शानदार जौहर दिखाया। इसी तरह हरियाणा के जिंद की बालिकाओं ने हरियाणवी भाषा में देशभक्ति के गीत की प्रस्तुति दी।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds