गुरु संस्कारवान पीढ़ी का निर्माण कर सम्मान बरकरार रखें
गुरु पूर्णिमा पर सम्मान समारोह में प्रो. हाशमी ने कहा
रतलाम,3 जुलाई (इ खबरटुडे)। गुरु प्रेम की पहचान, अपनत्व का अभिमान एवं चुनौतियों के लिए चट्टान की तरह होता है। टयूशन के टेंट में, फीस की फर्श पर, विद्या का व्यापार करने वाला गुरु नहीं हो सकता। गुरु अपने शिष्य को अंधकार से ज्योति की ओर ले जाता है।यह विचार प्रख्यात चिन्तक एवं साहित्यकार प्रो. अजहर हाशमी ने अपने निवास पर महाविद्यालय परिवार द्वारा गुरु पूर्णिमा पर आयोजित सम्मान समारोह में व्यक्त किए। प्रो. हाशमी ने कहा कि भारत पहले गुरुओं का देश था, लेकिन अब गुरु का सम्मान समाप्त होता जा रहा है। गुरु को संस्कारवान पीढ़ी क़ा निर्माण कर अपने सम्मन को बरकरार रखना चाहिए।
इसके पूर्व विद्यार्थी परिवार अध्यक्ष सतीश त्रिपाठी, प्रेस क्लब सचिव तुषार कोठारी, हेमन्त भट्ट, श्वेता नागर, रोशनी कटारा, रंजना कपासिया, गोवर्धनसिंह चौहान, पार्षद अदिति दवेसर, मनमोहन दवेसर एडवोकेट ने प्रो. हाशमी का श्रीफल एवं पुष्पमालाओं से अभिनन्दन किया।
वीआरएस को हुआ एक वर्ष – विद्यार्थी परिवार अध्यक्ष श्री त्रिपाठी ने बताया कि प्रो. हाशमी की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को एक वर्ष हो गया है। विद्यार्थी परिवार द्वारा 3 जुलाई को भव्य कार्यम आयोजित किया गया था जिसमें शहर की पचास से अधिक संस्थाओं ने प्रो. हाशमी का अभिनन्दन किया था ।