December 26, 2024

गच्छाधिपति ने अपने हाथों से किया केशलोच

JinagamRatnaji ke pravchan

रतलाम 24 अगस्त(इ खबरटुडे)। जयन्तसेन धाम में बुधवार को राष्ट्र्र्रसंत, गच्छाधिपति श्री जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा.का 128 वां केशलोच हुआ। हजारों श्रृद्धालुओं की उपस्थिति में आचार्यश्री ने अपने हाथों से केश लुचन किया। श्रृद्धालुओं ने केशलोचन की अनुमोदना कर बड़ी संख्या में जीवदया की राशि लिखवाई। आराधकों ने विभिन्न प्रकार की तपस्या के प्रत्याख्यान लिए।

जैन शास्त्रों के मुताबिक केशलोच करवाने पर 6 महीनों के तप और किसी का लोच करने पर 3 उपवास का लाभ मिलता है। राष्ट्रसंतश्री ने इस मौके पर बताया कि केशलोच जैन साधु का आचार है। इसमें सभी साधु-साध्वीगण वर्ष में दो बार अपने हाथों से बाल खींचकर निकालते है। केशलुंचन का यह आचार बहुत कठिन होता है, लेकिन माना जाता है इस प्रक्रिया से ज्ञानतंतु खींचते है। बाहर की शुद्ध हवा शरीर में जाती है, जिससे ज्ञान और ध्यान में एकाग्रता बढ़ती है। आठ वर्ष से लेकर बड़े से बड़े वृद्धावस्था वाले साधु-साध्वी भगवंत प्रसन्नतापूर्वक केशलोच करवाते है। श्रावक-श्राविकाएं इस दौरान कई नियम ग्रहण कर अपने जीवन को धन्य बनाते हैं।

कर्मसत्ता को छोड़ धर्मसत्ता को अपनाएं- मुनिराजश्री
जीवन में एक काम ऐसा कर जाओ कि मृत्यु वक्त भी याद किया जा सके। संसार बुचडख़ाना है, इससे बचना जरूरी है। शरीर की चिंता करने वालों अब अपनी आत्मा की सोचो और कर्मसत्ता को छोडक़र धर्मसत्ता को अपनाओं, ताकि जीवन धन्य हो जाए। यह आव्हान जयन्तसेन धाम के प्रवचन पांडाल में प्रवचन देते हुए मुनिराजश्री जिनागमरत्न विजयजी म.सा.ने किया।

उन्होंने कहा कि भोजन बनाने और खाने सबकी कला परमात्मा ने सिखाई है, लेकिन यह कार्य करते वक्त परमात्मा याद नहीं आते। मोबाइल, टेलीविजन और अन्य भौतिक सुविधाओं में डूबकर जीने वाला मनुष्य एक क्षण भी अपनी आत्मा के बारे में नहीं सोचता, जबकि उसका कल्याण किए बिना मोक्ष मिलने वाला नहीं है। राग कभी वितराग नहीं बनने देता, इसलिए राग छोडक़र जीवन में ऐसे कार्य करने का प्रयास करना चाहिए जो हमेशा साथ रहे। उन्होंने कहा जिदंगी को जिसके पीछे दौड़ा रहे हो, वह मृत्यु के समय कुछ भी साथ जाने वाला नहीं है। इसलिए प्रवचन ज्यादा सुनने के बजाए कम सुनकर आत्मा को जागृत करना जरूरी है। मनुष्य बच्चे के जन्म से लेकर सारी चिंताए करता है, लेकिन आत्मा की चिंता कभी नहीं करता। चातुर्मास आत्मा को जागृत करने का समय है। मानव जीवन बहुत पुण्योदय से मिला है, इसे व्यर्थ नहीं जाने दे और अधिक से अधिक धर्म-आराधना व स्वाध्याय कर इसे सार्थक बनाएं। प्रवचन के अंत में दादा गुरूदेव की आरती की गई। उसका लाभ मंदसौर श्री संघ और जैन शिक्षण प्रसार समिति मंदसौर ने लिया।

राष्ट्रसन्तश्री जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में मासक्षमण करने वाले तपस्वियों के पारणा कार्यक्रम बुधवार को आयोजित हुए। मुकेश कुमार खिमेसरा, निकिता भूपेन्द्र कुमार लोढ़़ा व सोनाली शैलेन्द्र कुमार लोढ़़ा, साधना-अजय सिसौदिया, अर्चिता हर्ष राजावत व अजीत कटलेचा व ज्योति कटलेचा का पारणा हुआ। सभी कार्यक्रमों में चातुर्मास आयोजक व विधायक चेतन्य काश्यप परिवार की ओर से तपस्वियों को बहुमान कर पारणा कराया गया।

विद्यार्थियों ने लिया आशीर्वाद –
जयन्तसेन धाम में राष्ट्रसन्तश्री के दर्शन-वन्दन कर आशीर्वाद लेने कई श्रद्धालु आ रहे हैं। राणापुर में आचार्यश्री की प्रेरणा से संचालित राज राजेन्द्र विद्यापीठ के ४० विद्यार्थियों व १८ शिक्षक-शिक्षिकाओं ने बुधवार को गुरुदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया। अनूपनगर महिला रहवासी संघ इंदौर के २० सदस्यीय दल ने भी अध्यक्ष कामिनी जैन के नेतृत्व में जयन्तसेन धाम पहुंचकर राष्ट्रसन्तश्री से आशीष लिया।

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