कोरोना पाजिटिव ही निकला तीन दिन पहले दफन हुआ मृतक,शहर पर मण्डराया कोरोना का गंभीर खतरा,घटना ने खोली प्रशासनिक दावों की पोल
रतलाम,08 अप्रैल(इ खबरटुडे)। अब तक कोरोना से बचे हुए रतलाम शहर पर अब कोरोना का गंभीर खतरा मण्डराने लगा है। तीन दिन पहले दफनाए गए मोहम्मद कादरी की कोरोना रिपोर्ट पाजिटिव आई है और प्रशासन ने इसकी पुष्टि भी कर दी है। मृतक के सम्पर्क में रहे व्यक्ति पिछले तीन दिनों में ना जाने कितने स्थानों पर घूम चुके होंगे और ना जाने कितने लोगों के सम्पर्क में आ चुके होंगे। ऐसी स्थिति में शहर के लिए अब कोरोना का खतरा गंभीर रुप ले चुका है। लाक डाउन की स्थिति में मृत व्यक्ति को रतलाम लाकर दफनाए जाने की घटना ने प्रशासनिक दावों की भी पोल खोल दी है।
लोहार रोड पर स्वास्थ्य अमले की सक्रियता के बाद जैसे ही यह खबर प्रकाश में आई कि तीन दिन पहले दफनाए गए व्यक्ति के कोरोना पाजिटिव होने की आशंका है,पूरे शहर में हडकंप मच गया था। इ खबरटुडे द्वारा यह समाचार प्रसारित किए जाने के कुछ ही समय बाद प्रशासन ने अधिकारिक तौर पर इस बात की पुष्टि कर दी कि मृत मोहम्मद कादरी उर्फ बाबू भाई 60 वर्ष कोरोना पाजिटिव था। प्रशासन द्वारा जारी अधिकारिक प्रेस जानकारी के अनुसार,मृत मो. कादरी पिछले एक वर्ष से इन्दौर में निवासरत था। उसकी मृत्यु 4 अप्रैल को हुई थी और 4 अप्रैल को ही उसे रतलाम लाकर दफना दिया गया था। कोरोना पाजिटिव रिपोर्ट मिलने के बाद प्रशासन ने उसके परिवार तथा जनाजे में शामिल व्यक्तियों की मेडीकल जांच करवा कर उन्हे आइसोलेट कर निगरानी में रखा गया है। इसके साथ ही संक्रमण की आशंका को देखते हुए पूरे इलाके को कन्टेनमेन्ट एरिया घोषित कर दिया गया है।
पोल खुली प्रशासनिक दावों की
लोहार रोड पर सामने आई घटना ने प्रशासनिक दावों की पोल खोल कर रख दी है। इन्दौर में निवासरत व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद उसे इन्दौर से रतलाम लाया जाना और रतलाम में उसे दफनाए जाने के तीन दिन बाद प्रशासन को इस बात की जानकारी मिलना अपने आप में कई सवाल खडे करता है।
पूरे देश को पिछले दो सप्ताहों से लाक डाउन किया गया है। प्रशासन का दावा है कि जिले की सीमाएं सील कर दी गई है। ऐसी स्थिति में किसी मृत शरीर को कोरोना के हाट स्पाट इन्दौर से लाया जाना कैसे संभव है? इन्दौर से किसी मृत देह को रतलाम शहर में लाने के लिए सीमा पर बनाई गई चैकपोस्ट से गुजरना पडता है। चैक पोस्ट पर तैनात पुलिसकर्मियों की लापरवाही से ही यह संभव है। अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक लाक डाउन में मृत शरीर लेकर आए लोगों को रतलाम में प्रवेश कराने में एक कथित पत्रकार की भूमिका थी। इतना ही नहीं मृतक को रतलाम लाए जाने के बाद उसे दफना भी दिया गया और पुलिस व प्रशासन को इसकी खबर तक नहीं लगी। मृतक को लोहार रोड से नजदीकी सुभाष नगर रेलवे फाटक स्थित कब्रिस्तान ले जाया गया होगा। लोहार रोड से कब्रिस्तान तक के रास्ते के बीच में हाट की चोकी स्थित पुलिस चौकी भी पडती है। लाक डाउन की स्थिति में कब्रिस्तान तक जनाजा लेकर जाना और जनाजे में कई लोगों का शामिल होना भी चिंता का विषय है। इतना सबकुछ होने के बाद तीन दिन तक प्रशासन और पुलिस को इसकी खबर नहीं मिलना भी कई सवाल खडे करता है। इस पूरी घटना से यही साबित होता है कि जिले की सीमाओं को सील करने और लाक डाउन का सख्ती से पालन करवाए जाने के दावे पूरी तरह खोखले है।
गंभीर हुआ खतरा
प्रशासन के अधिकृत प्रेस बयान में यह तो बताया गया है कि मृतक के परिजनों और जनाजे में शामिल लोगों की मेडीकल जांच करवाई गई है। लेकिन मृतक के जनाजे में कितने लोग शामिल थे और इनमें इन्दौर से आए हुए कितने थे,इसकी जानकारी प्रशासन ने नहीं दी है। अब तक रतलाम में कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया था,लेकिन यह घटना हो जाने के बाद अब यह तय हो गया है कि कोरोना का खतरा गंभीर हो गया है। आने वाले दिनों में रतलाम में भी कोरोना के संक्रमित मिलने की आशंका से कतई इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में सवाल यह भी है कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों पर क्या कार्यवाही होगी?
दफनाने के नियमों का भी पालन नहीं
कोरोना संक्रमण से मृत व्यक्तियों को दफनाने के लिए भी नए नियम बनाए गए है। इन नियमों के मुताबिक कोरोना संक्रमित मृत शरीर को सुरक्षित पोलिथिन कव्हर में रख कर ले जाया जाना चाहिए और ऐसे मृतक को कम से कम दस फीट गहरा गड्ढा खोदकर दफनाया जाना चाहिए। चूंकि इस मामले में प्रशासन को कोई सूचना ही नहीं थी इसलिए यह भी तय है कि मृतक को दफनाने के मामले में भी नियमों का पालन नहीं हुआ होगा। ऐसी स्थिति में कब्रिस्तान में भी संक्रमण फैलने के खतरे से इंकार नहीं किया जा सकता।