कांग्रेस में भय तो भाजपा हर कीमत चुकाने को तैयार
जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर दोनों दलों में बड़े स्तर पर लॉबिंग, 12 मार्च को होगा निर्णय
उज्जैन, 8 मार्च (इ खबरटुडे)। जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव होने के पूर्व कईं राजनीतिक समीकरण बनते बिगड़ते रहे हैं। इस बार भी 5 वर्ष पूर्व जैसी स्थिति निर्मित हो गई है। 21 सदस्यी जिला पंचायत में 10 सदस्य कांग्रेस के निर्वाचित होकर आए हैं तथा एक बागी भी कांग्रेस के ही पाले में हैं। जबकि भाजपा में 8 सदस्य जो निर्वाचित होकर आये हैं उसमें से किसी का बनना संभव नहीं हैं। क्योंकि अध्यक्ष का पद आज वर्ग के लिये अनारक्षित है। भाजपा के दो बागी पर ही सारा दारोमदार नजर आ रहा है।
जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव 12 मार्च को होने जा रहा है। इस चुनाव को लेकर राजनैतिक बिसात बिछने लगी है। दोनों ही दलों के समर्थकों को बहुमत नहीं मिल पाने के कारण बाजी निर्दलियों के हाथों में आ गई है। 21 सदस्यीय जिला पंचायत में भाजपा के 8 सदस्य निर्वाचित हुए हैं। बाकी दो बागी के रूप में चुनाव जीते हैं। जबकि कांग्रेस में 10 सदस्य उसकी पार्टी के जीते हैं तथा एक सदस्य बागी जीता है। इस तरह दोनों ही दल अपनी पार्टी का अध्यक्ष बनने का दावा कर रहे हैं। पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू ने जहां नव निर्वाचित सदस्यों का सम्मान कर उन्हें अध्यक्ष बनाने की शपथ दिलाई वहीं भाजपा भी मंत्री जैन सहित वरिष्ठ नेता अपने कार्यालय में अध्यक्ष बनाने के लिये जोड़तोड़ कर बैठक कर रहे हैं। देखना है कि 12 मार्च को किस पार्टी के सदस्य की अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी होती है।
भाजपा तमाम जतन कर रही है कि जिला पंचायत में उसका कब्जा बरकरार रहे, इधर मंत्री जैन, जिलाध्यक्ष श्याम बंसल, नगर अध्यक्ष इकबालसिंह गांधी सहित जिले के विधायक अनिल फिरोजिया, पूर्व विधायक लालसिंह राणावत एवं वरिष्ठ नेता की मौजूदगी में बैठक आयोजित की गई। जिसमें भाजपा का अध्यक्ष हर हाल में बनाने का संकल्प व्यक्त किया। पार्टी से बगावत कर चुनाव जीते तराना के डॉ. मदन चौहान को भी बैठक में आमंत्रित किया गया था। वहीं भाजपा की अजा वर्ग से चुनाव में विजयी मानूबाई कैलाश बोडाना को भी बुलाया था। भाजपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। परंतु अंदरखाने की जो खबरे छन छनकर आ रही है उसके मुताबिक उन्होंने कांग्रेस के निर्वाचित जिला पंचायत सदस्यों पर डोरे डालने के लिये अपने गुप्तचरों को सक्रीय कर दिया है।
दूसरी तरफ कांग्रेस में भी जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिये बन्ते यादव को भी पर्यवेक्षक बनाया है। जो 8 मार्च को कांग्रेस कार्यालय में बैठक आयोजित कर कांग्रेस समर्थित नव निर्वाचित सदस्यों के साथ शाम 5 बजे बैठक आयोजित करेगी। जिसमें चुनाव संचालन के लिये बनाई गई केन्द्रीय संचालन समिति के संयोजक पूर्व सांसद सत्यनारायण पंवार सहित सभी सदस्य मौजूद रहेेंगे। चुनाव पूर्व संचालन समिति के कहने पर ही प्रत्याशी बनाये गये थे। संचालन समिति ने ऐसे योग्य लोगों को जाजम पर बैठाया और चुनाव में खडे करे इसी का नतीजा है कि आज कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष बनाने की स्थिति में आ गई है। इधर नगरीय निकाय एवं पंचायत चुनाव से नदारद रहे प्रेमचंद गुड्डू भी अचानक जिला पंचायत चुनाव के नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आने के बाद एकदम सक्रीय हो गये है। उन्होंने 7 मार्च को जिला पंचायत, जनपद पंचायत के नवनिर्वाचित सदस्यों का सम्मान समारोह कर यह बताने की कोशिश की है कि मैं अभी पार्टी में जिंदा हुं तथा चुनाव में सक्रीय नहीं रहने के बावजूद जिला पंचायत अध्यक्ष के पत्ते उन्हीं के हाथ में हैं। होली मिलन समारोह भी इसी के साथ जोड़कर शहर के वरिष्ठ नेताओं को आमंत्रित किया गया था।
यह है अध्यक्ष की दौड़ में
भाजपा में अध्यक्ष के रूप में डॉ. मदन चौहान पर पार्टी दाव लगा सकती है। संभावना भी डॉ. चौहान की ही है क्योंकि अजा वर्ग की मानुबाई के अलावा डॉ. चौहान ही निर्वाचित होकर आये हैं। देखना यह है कि कांग्रेस के सदस्य पेसों के चक्कर में पार्टी से गद्दारी कर परोसी गई जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी की बली लेते हैं या अपने ही सदस्यों को जिले में पांव रखने की जगह देंते है। कांग्रेस में यह तीसरी बार विजयी हुए महेश परमार के अध्यक्ष बनने की संभावना व्यक्त की जा रही है। वहीं दूसरे पायदान पर जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष स्व. राजाराम कुमारिया के बेटे करण कुमारिया भी हैं। इन दोनों के अलावा ऐसा कोई दावेदार अध्यक्ष के रूप मेें कांग्रेस में सामने नहीं आया।
कहीं परोसी थाली से निवाला छीन न जाये
कांग्रेस में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के पूर्व एक बार फिर गुटबाजी पनपती दिख रही है। पूरे चुनाव परिदृश्य से बाहर रहे एक इंदौरी नेता फिर सक्रिय हो गये हैं। हालांकि इनके रहते कांग्रेस को नगर निगम, मण्डी चुनाव, विधानसभा और लोकसभा सभी चुनावों में भारी पराजय का सामना करना पड़ा और जिले से कांग्रेस का सुपड़ा साफ हो गया था। लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने पुन: जिले में वापसी शुरू की है और जिला पंचायत में तो लगभग बोर्ड बनता भी दिख रहा है लेकिन उक्त नेता की हरकत से एक बार फिर पार्टी दो ध्रुवों में बंटती नजर आ रही है और यह गुटबाजी कांग्रेस से जीत छीन सकती है। भाजपा का चेहरा खिलता नजर आ रहा है कि अब गुटों में बंटी कांग्रेस अपना जिला पंचायत बोर्ड नहीं बन सकती। सौदेबाजी भी संभव है।