November 15, 2024

कश्मीर में मोदी सरकार का बड़ा एक्शन, यासीन मलिक के JKLF को किया बैन

नई दिल्ली,22 मार्च(इ खबरटुडे)। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) को आतंक विरोधी कानून के तहत बैन कर दिया है. केंद्र का यह फैसला अलगाववादियों पर बड़ी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है. बता दें कि अलगाववादी नेता यासीन मलिक जेकेएलएफ के प्रमुख हैं. बता दें कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पुलवामा हमले के 8 दिन बाद 22 फरवरी को यासीन मलिक को गिरफ्तार किया था.

जेकेएलएफ पर आतंकी गतिविधियों को समर्थन करने का आरोप लगता रहा है. गृह सचिव राजीव गाबा ने जेकेएलएफ पर बैन की जानकारी देते हुए बताया कि जेकेएलएफ के खिलाफ 37 एफआईआर दर्ज हैं. जिनमें वायुसेना के चार अधिकारियों की हत्या का मामला और मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबैया सईद के अपहरण का मामला शामिल है.

उन्होंने कहा कि यह संगठन आतंक को बढावा देने के लिए अवैध तरीके से धन मुहैया कराने के लिए जिम्मेवार रहा है. यह संगठन चंदा एकत्र कर घाटी में अशांति फैलाने के लिए हुर्रियत के कार्यकर्ताओं और पत्थरबाजों के बीच धन के वितरण और विध्वंसकारी गतिविधियों को बढावा देने के कार्य में भी सक्रिय रूप से लिप्त रहा है.

JKLF को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली हुई थी और इसके खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया तीन महीने से चल रही थी. इससे पहले जमात ए इस्लामी पर भी बैन लगाया जा चुका है. ये साफ संदेश देता है कि अलगाववाद के खिलाफ सरकार की कड़ी नीति जारी है और इसे और कड़ा किया जा रहा है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी इस सिलसिले में पिछले कई दिनों से जम्मू कश्मीर में छापेमारी कर रही थी. इस कड़ी में ईडी ने यासीन मलिक के कई ठिकानों पर भी छापेमारी की थी.

गौर हो कि मोदी सरकार ने हाल ही में जमात-ए-इस्लामी संगठन को अलगाववादियों का पीछे से समर्थन कर के आरोप में बैन कर दिया था. साथ ही 26 फरवरी को टेरर फंडिंग के मामले में एनआईए ने घाटी में कई जगहों पर छापेमारी की थी, जिसमें यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मीरवाइज उमर फारुक, मोहम्मद अशरफ खान, मसर्रत आलम, जफर अकबर भट्ट और सैयद अली शाह गिलानी के बेटे नसीम गिलानी का नाम शामिल हैं.

छापेमारी के बाद 28 फरवरी को केंद्र की मोदी सरकार ने जमात-ए-इस्लामी (जेईआइ) पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था. इसके तहत गृह मंत्रालय की कार्रवाई में जेईआइ के प्रमुख हामिद फैयाज सहित 350 से ज्यादा सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था. बता दें कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार लगातार घाटी में मौजूद अलगाववादी नेताओं पर शिकंजा कसती जा रही है.

अलगाववादी नेताओं पर केंद्र की कार्रवाई लगातार जारी है. इससे पहले जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के ठिकानों पर अवैध तरीके से विदेशी मुद्रा रखने के आरोप में छापेमारी की गई थी, जिसके बाद गिलानी पर 14.40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था. साथ ही करीब 6.88 लाख रुपये कुर्क भी किए गए थे. इसी दौरान ईडी सूत्रों ने इस बात की जानाकारी दी थी कि गिलानी के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जम्‍मू-कश्‍मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के पूर्व अध्‍यक्ष यासीन मलिक पर भी कार्रवाई कर सकती है.

इसके अलावा गृह मंत्रालय के निर्देश पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 22 अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा और सरकारी सुविधाएं वापस ले ली गई थी. साथ ही घाटी के 155 नेताओं को दी गई सुरक्षा में बदलाव किया था. इस सूची में भी यासीन मलिक का नाम शामिल था. हालांकि, उस दौरान यासीन मलिक ने कहा था कि सरकार ने उसे कोई सुरक्षा दी ही नहीं थी.

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