कभी सरकारों को नाको चने चबवाने वाला प्याज आज किसानों को रुला रहा
कृषकों को प्याज पर 5 रु./ किलो का घाटा..!
रतलाम 1 जून (इ खबरटुडे) भले ही आज देश की राजधानी दिल्ली में प्याज खेरची में 20-25 रु. प्रतिकिलो खरीदकर उपभोक्ता राहत महसूस करें…या इंदौर-भोपाल की पॉश कालोनियों में ठेलों पर प्याज का भाव 10-15 रु. सुनकर ग्राहक भले ही मोलभाव न करें, लेकिन मध्यप्रदेश में प्याज उत्पादक कृषक इस बार प्याज 25 पैसे प्रतिकिलो से 3.50 रु. प्रतिकिलो बेचकर भी प्रतिकिलो कम से कम 5 रु. का घाटा उठा रहा हैं..! क्योंकि प्याज उत्पादन की औसत लागत ही 7 से 7.50 रु. प्रतिकिलो आती है…कभी सत्तासीन सरकारों को आसमानी भाव के चलते नाको चने चबवाने वाला प्याज इस बार मध्यप्रदेश के ‘अन्नदाताÓ किसानों को भी रुला रहा है… यह जान लेना समसामयिक होगा कि प्याज आज अपने ही पालक ‘कृषकोंÓ को नुकसान पहुंचाने का कारण कैसे बन गया..?
1 एकड़ कृषि भूमि में प्याज की लागत आती है 50 हजार रु…, इस मामले में पूरी प्रक्रिया का गणित यूं है…
– किसान ही नहीं, कृषि विशेषज्ञ भी मानते हैं कि प्रति एकड़ प्याज की खेती पर लगभग 50 से 55 हजार रु. की लागत आती है…प्रति एकड़ 80 से 100 क्विंटल प्याज उत्पादन होता है…और जिसकी प्रतिकिलो लागत कम से कम 7 से 7.50 रु. आती है…
-1 एकड़ प्याज की खेती के लिए करीब 4 किलो बीज की जरूरत पड़ती है…जिसका बाजार भाव किसानों को कम से कम 10 से 12 हजार रु. चुकाना पड़ता है…
– प्याज के 1 एकड़ खेत को तैयार करने में 3500 से 4000 रु. खर्च आता है…जबकि खेत में रसायनिक उर्वरकों के उपयोग पर भी 3500 से 5000 रु. खर्च बैठता है…
– प्याज की खेती के लिए पहले बीज को नर्सरी में तैयार किया जाता है.., यहां पर पौधा तैयार करने पर करीब 2000 रु. का खर्च आता है…
– प्याज नर्सरी से खेत में पौधा रोपाई पर प्रति एकड़ खर्च 3000 से 3500 रु. बैठता है.., प्याज तैयार होने पर इसकी 3-4 बार की सिंचाई पर कम से कम 7,500 से 8,000 रु. खर्च आता है…
– प्याज फसल को कीड़े-मकोड़े से बचाने के लिए कीटनाशकों के छिड़काव पर 3500 से 5000 रु. लागत आती है…और निदाई-गुड़ाई पर भी करीब 2000 से 2500 रु. खर्च बैठता है…
-140 दिनों की कठोर मेहनत के बाद (अच्छा उत्पादन हुआ तो 80 से 100 क्विंटल) प्याज की खुदाई तथा बोरीबंद का पूरा खर्च 5000 से 10,000 रु. आता है…
-1 एकड़ कृषि पर प्याज उत्पादन की यह पूरी प्रक्रिया सिर्फ खेतों से प्याज को बोरी तक भरने तक ही है…अगर किसी कृषक ने खेत किराया (लीज) पर लिया है.., किसान के परिवार की मेहनत और बाजार तक ले जाने का खर्चा इसमें शामिल नहीं है…
किसानों को दोतरफा परेशानी…
1. उत्पादन अधिक, भंडारण की समस्या :- इस बार जिस किसान के यहां प्याज का बम्पर उत्पादन हुआ, वह भी नुकसान में है.., क्योंकि भाव तो लागत के मान से भी नहीं मिल पा रहा है…यानी उत्पादन अधिक, लेकिन भाव कम..? भाव का इंतजार नहीं कर सकते.., क्योंकि भंडारण की व्यवस्था नहीं…2-4 माह रोकें कैसे..?
2. उत्पादन कम, गुणवत्ताविहीन :- प्रदेश में ऐसे किसानों की भी 50 फीसदी संख्या है, जो पानी की कमी एवं मावठा न गिरने के कारण कम प्याज उत्पादन के साथ ही गुणवत्ताविहीन प्याज (नींबू से भी कम आकार) तो कहीं इनके सडऩे की समस्या ने भी किसानों को ऐसी फसल खेत में ही छोडऩे को मजबूर कर दिया है…