November 15, 2024

एथलेटिक्स की नेशनल मास्टर्स चैम्पियन स्पर्धा में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करेंगे जूलियस चाको

रतलाम,17 जनवरी(इ खबर टुडे)। जोश जुनून और जज्बा हो तो फिर किसी भी सफलता के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती। इसी बात को साबित किया है रेलवे के डिप्टी स्टेशन मैनेजर जूलियस चाको ने। उनसाठ वर्षीय श्री चाको 5 से दस फरवरी तक आन्ध्र प्रदेश के गुन्टूर में होने वाली चालीसवीं नेशनल मास्टर्स एथलेटिक चैम्पियनशिप में 55 से 60 वर्ष आयुवर्ग में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करेंगे। वे रतलाम रेल मण्डल के पहले उम्रदराज खिलाडी है,जिनका चयन राष्ट्रीय स्पर्धा के लिए हुआ है।
59 वर्ष की उम्र आमतौर पर बूढा कहलाने वाली उम्र होती है। इस उम्र में जूलियस चाकों प्रतिदिन दो घण्टे से अधिक समय तक मैदान में दौड लगाते है। नेशनल चैम्पियनशिप के लिए उनका चयन गत 17 दिसम्बर को भोपाल में हुई प्रदेश स्तरीय स्पर्धा में हुआ था। गुन्टूर की नेशनल चैम्पियनशिप में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिस्पर्धियों का चयन 4 से दस दिसम्बर 2019 को मलेशिया में होने वाली एशियन एथलेटिक चैम्पियनशिप के लिए किया जाएगा।
श्री चाको के चयन की सूचना स्टेट मास्टर्स एथलेटिक्स एसोसिएशन एमपी के सचिव पीके सैम्यूअल ने एक पत्र के माध्यम से पश्चिम रेलवे के वरिष्ट खेल अधिकारी को दी। श्री चाको की इस उपलब्धि पर मण्डल रेल प्रबन्धक आरएन सुनकर,एडीआरएम केके सिन्हा,रतलाम रेल मण्डल के खेल सचिव वरिष्ट मण्डल परिचालन प्रबन्धक विपुल सिंघल.वरिष्ठ मण्डल वाणिज्य प्रबन्धक सुनील मीणा,मण्डल परिचालन प्रबन्धक अजय ठाकुर,कोच लोकपाल सिंह सिसौदिया,नितिन कलंकी,खेलकूद निरीक्षक शंभूसिंह भाटी आदि ने उन्हे बधाई दी है।

40 की उम्र में एथलेटिक्स से जुडे चाको

श्री चाको ने बताया कि वे अपने कालेज जीवन में फुटबाल खेला करते थे और 1978 से 1982 तक विक्रम विश्वविद्यालय की फुटबाल टीम में शामिल रहे। 1981 में उनकी कप्तानी में विक्रम विवि की टीम ने इंटर यूनिवर्सिटी वेस्टर्न झोन की प्रतियोगिता जीती थी। एम काम एलएलबी तक शिक्षित श्री चाको ने 1985 में रेलवे में नौकरी कर ली। रेलवे में उनका चयन खेल कोटे में नहीं होकर सीधी परीक्षा से हुआ था। श्री चाको के अनुसार,रेलवे में नौकरी के बाद खेलों से उनका नाता टूट गया था। करीब पन्द्रह वर्षों तक वे खेल और मैदान से दूर रहे। लेकिन चालीस वर्ष की उम्र में उन्हे महसूस हुआ कि वे अनफिट हो गए है और लम्बे समय तक स्वस्थ रहने के लिए खेल मैदान से जुडे रहना जरुरी है। इसके बाद वे फिर से खेलों में सक्रिय हुए। लेकिन इस बार उन्होने फुटबाल को नहीं बल्कि एथलेटिक्स को अपनाया। उन्होने दौडने की शुरुआत की। चालीस वर्ष की प्रौढावस्था में उन्होने अपने आपको फिर से फिट करना शुरु किया।
श्री चाको बताते है कि 55 वर्ष की उम्र में उन्होने केरला समाज की एक प्रतियोगिता में युवा लडकों को हराते हुए जीत हासिल की थी। वे जब अ_ावन वर्ष के थे,तब रतलाम रेलवे मण्डल के खिलाडियों के ट्रायल में उन्होने युवा खिलाडियों के बीच भाला फेंक में प्रथम स्थान प्राप्त किया,जबकि सौ मीटर फर्राटा दौड में तीसरा स्थान प्राप्त किया। इसी दौरान उन्हे भोपाल में आयोजित एथलेटिक्स चैम्पियनशिप प्रतियोगिता की जानकारी मिली,तो वे वहां जा पंहुचे। भोपाल की इस स्पर्धा में उन्होने 55 से 60 वर्ष आयु वर्ग में अपने से कम आयु वाले कई खिलाडियों को पछाडते हुए जीत हासिल की और इस तरह उनका चयन राष्ट्रीय स्पर्धा के लिए कर लिया गया। अब उनका लक्ष्य है कि वे राष्ट्रीय स्पर्धा में जीत हासिल कर एशियन चैम्पियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करें।

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