एक ही दिन में हाजिरी लग गई ठेके के सफाई श्रमिकों की,80 से 90 फीसदी उपस्थिति दी मेटों ने
श्रमिक इतने फीसदी तो संसाधन कहां? कोई बताने को तैयार नहीं,
उज्जैन,22 मार्च (इ खबरटुडे)। सिंहस्थ-2016 में सफाई के लिये ठेके पर व्यवस्थाएं दी गई हैं। ठेके के सफाई श्रमिकों की उपस्थिति प्रमाणित की जाना है। इसमें बड़ा लोचा सामने आ रहा है। 80 से 90 फीसदी उपस्थिति भरवाई गई है। एक साथ मेटों को बुलाकर यह सब करवाया गया।
पार्षद दरकिनार, कोई बोलने को नहीं तैयार
किस वार्ड क्षेत्र में कितने सफाई श्रमिक हैं, पार्षदों को ही पता नहीं है। अधिकारी अपने हिसाब से ही पूरी गोटी बैठाकर बैठे हुए हैं। इसी का परिणाम यह है कि पूरा मामला गोलमाल से परे नहीं जा रहा है।
नगर निगम उज्जैन में एक पखवाड़े पूर्व नगर में सफाई व्यवस्था के लिये ठेके के सफाई श्रमिकों का ठेका तीन एजेंसियों को दिया है। इन एजेंसियों की प्रारंभिक स्थिति पूर्व में ही सामने आ चुकी थी। बताये गये क्षेत्रों में गिनती के सफाई कर्मी सामने आ रहे थे। वर्दी के पते नहीं हैं। संसाधनों की स्थिति यह है कि झाड़ू के अतिरिक्त इनके पास कुछ नहीं था। इसके बावजूद सोमवार को ताबड़तोड़ एक पखवाड़े की हाजिरी प्रमाणित की गई है। यह हाजिरी एक आदेश पर सभी मेटों को बुलाकर एक ही स्थान पर भरवाई गई। सूत्रों का कहना है कि इस दौरान 80 से 90 फीसदी हाजिरी एक ही दिन में पूर्ण कर दी गई। वास्तविकता से परे मात्र 10-20 फीसदी ठेका सफाई श्रमिकों की अनुपस्थिति बताई गई है।
उपायुक्त के आदेश पर हुई कार्रवाई
सोमवार को उपायुक्त स्वास्थ्य ने एक आदेश जारी किया। आदेश क्र. 661 दिनांक 21 मार्च से जारी इस आदेश में समस्त मेटों को संबोधित करते हुए कहा गया कि आउटसोर्सिंग एजेंसियों से जो श्रमिक लिये गये हैं, उनके उपस्थिति प्रमाणीकरण के लिये पूर्व आदेशित किया चुका है। उपस्थिति की जानकारी मोबाइल के माध्यम से दी जाए। पूरे माह की अटेंडेंस पूर्ण की जाए। इसी आदेश की पूर्णता के लिये ताबड़तोड़ उपस्थिति दर्ज की गई। एक ही दिन में उपस्थिति पूर्ण कर दी गई। पखवाड़े भर की जानकारी भर दी गई।
यह स्थिति आई है सामने
पूरे माह की उपस्थिति के अनुसार एक एजेंसी के 810 श्रमिकों की उपस्थिति दर्शाई गई है। 151 श्रमिक अनुपस्थित बताये गये हैं। वहीं दूसरी एजेंसी के 300 श्रमिक उपस्थित बताए गए हैं। 63 अनुपस्थित बताये गये हैं।
ऐसे उठ रहा सवाल
40 फीसदी से अधिक उपस्थिति नहीं
नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्र जानकारी दे रहे हैं कि हाजिरी जरुर 80 फीसदी के लगभग दर्शाई गई है। इसके उलट वास्तविक स्थिति यह है कि 40 फीसदी से अधिक उपस्थिति नहीं है। यह भी संबंधित ठेका एजेंसी को जितने श्रमिकों का ठेका दिया गया है, उसका अनुपात है। सूत्र बता रहे हैं कि शनिवार तक एक ही रिपोर्ट आई थी, सोमवार को सभी रिपोर्ट पूर्ण हो गई।
पार्षदों को जानकारी नहीं
सफाई श्रमिकों के ठेके के मामले से नगर निगम के पार्षदों को दरकिनार रखा गया है। उन्हें न तो यह जानकारी दी गई है कि उनके क्षेत्र में कौन सी एजेंसी काम कर रही है, कितने ठेका श्रमिक क्षेत्र में कार्य करेंगे। यह स्थिति एक-दो पार्षदों की नहीं सभी की है। पार्षदों की इसमें मदद न ली जाना स्पष्ट कर रहा है कि कहीं न कहीं बड़ा गोलमाल उपस्थिति के नाम पर होने वाला है।
दो उपायुक्त बदले
सफाई श्रमिकों के ठेके दिये जाने को अभी एक पखवाड़े से अधिक समय नहीं हुआ है। इस बीच उपायुक्त स्वास्थ्य के पद पर तीसरी बार तब्दीली हो चुकी है। उपायुक्त रवि भट्ट के समय में इसके टेण्डर हुए थे, उसके बाद कार्यादेश की स्थिति बनी थी। बाद में एस.एन. मिश्रा के समय कार्यादेश जारी हुए, अब नये उपायुक्त सुनील शाह स्वास्थ्य की जिम्मेदारी देख रहे हैं।
30 ही कर्मचारी अनुपस्थित
सूत्रों के मुताबिक 20 मार्च को मक्सी रोड के एम.आर.-5 होते हुए आगर रोड क्षेत्र में 30 श्रमिकों में से एक भी श्रमिक उपस्थित नहीं हुआ। सुपरविजनकर्ता ने इसकी पूरी रिपोर्ट बनाई है। उपस्थिति पत्रक भरा है। पतीली के एक चावल को देखने पर स्पष्ट होता है कि पकवान पका है या नहीं। एक स्थान पर पूरे 30 श्रमिक अनुपस्थित हैं एक भी उपस्थित नहीं है, तो अन्य स्थान के क्या हाल होंगे।
पूरे मामले को अधिकारियों ने हाईजेक कर रखा है। पार्षदों को तो ठीक है स्वास्थ्य प्रभारी को भी संभवत: जानकारी नहीं है कि उनके क्षेत्र में कहां-कहां, कितने ठेका सफाई श्रमिक किस एजेंसी के लगाये गये हैं। जनप्रतिनिधियों से आखिर इस व्यवस्था में सहयोग क्यों नहीं लिया जा रहा है। यह मामला पूरी तरह से संदिग्ध है और जाँच के लायक भी।