December 24, 2024

एएनएम चंदन मेहता को था सिविल सर्जन का संरक्षण

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ राठौर की जांच रिपोर्ट पर सीएमएचओ ने दी टीप

मंदसौर 7 सितम्बर(इ खबरटुडे)।  वर्ष 2009 में टीकाकरण कार्यक्रम में एएनएम पद पर पदस्थ हुई श्रीमती चंदन यति के विरुध्द हुई शिकायत की जांच में कई  लापरवाहियां उजागर हुई है । शिशु रोग विशषज्ञ डॉ. केएल राठौर की जांच में श्रीमती यति/मेहता द्वारा मंदसौर में बिताई गई कालावधि के दौरान की गई अनेक लापरवाहियां और शासकीय त्रुटियां उजागर हुई है । इस जांच रिपोर्ट में सिविल सर्जन की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं ।उल्लेखनीय है कि चन्दन मेहता वर्तमान में रतलाम जिले में पदस्थ है और इन दिनों रेलवे के लदान ठेकेदार सुभाष जैन और उनके भतीजे संजय जैन के आपसी विवाद में चर्चाओं में आई है। चंदन यति मेहता अपने पति को छोडकर संजय जैन के साथ रह रही है।

यही कारण है कि जांच प्रतिवेदन पर अपनी टीप में सीएमएचओ ने लिखा है कि ‘जांच अभिमत से सहमत, उपरोक्त जांच से ऐसा प्रतीत होता है कि सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक के ज्ञान में यह बात थी और उनके द्वारा एएनएम चंदन मेहता को संरक्षण प्रदान किया गया है ।’

उल्लेखनीय है कि एएनएम श्रीमती चंदन यति द्वारा रतलाम से डेली अपडाऊन करने और अवकाश पर रहने के बावजूद हस्ताक्षर पंजी में हस्ताक्षर करदेने को लेकर कई शिकायतें हुई थी । इन शिकायतों को लेकर डॉ. राठौर को जांच अधिकारी बनाया गया था, जिस पर जांच प्रतिवेदन में डॉ. राठौर ने इन शिकायतों को सही पाया है । 23 बिन्दुओं के जांच प्रतिवेदन और  6 बिन्दुओं के निष्कर्ष से साफ जाहिर होता है कि श्री यति ने तो मंदसौर के अपने सेवाकाल में गंभीर लापरवाहियां की ही, सिविल सर्जन ने भी उन अनियमितताओं पर कार्रवाई की बजाय उनकी अनदेखी की ।

जांच रिपोर्ट में कहा गया कि श्रीमती मेहता को वर्ष 2010 में माह जून व सितम्बर तथा वर्ष 2011 में माह अप्रैल, मई व जुलाई में अनियमितताओं के बावजूद पूरा-पूरा वेतन आहरण किया गया है । श्रीमती मेहता ने  वर्ष 2010 मई तथा जून माह में बीएससी तृतीय वर्ष की परीक्षा दी थी तथा डयूटी पर उपस्थित होना भी नहीं दर्शाया गया है । इसके बावजूद वेतन का आहरण किया गया है । मुख्यालय पर निवास नहीं करने के बावजूद श्रीमती मेहता को वेतन आहरण किया गया है । मेहता ने बार-बार अनाधिकृत रूप से अवकाश लिया है, फिर भी कार्यालय ने उचित कार्रवाई नहीं की और वेतन आहरित कर दिया गया । जांच प्रतिवेदन में यह भी कहा गया कि अवकाश आवेदनों पर फर्जी हस्ताक्षर या हस्ताक्षर ना होना सामने आया है । इसके बावजूद सिविल सर्जन ने अवकाश स्वीकृत किए हैं ।

यह तो सिर्फ जांच के निष्कर्ष मात्र है, यदि पूरे जांच प्रतिवेदन को पढ़ा जाए तो पता लगेगा कि श्रीमती मेहता का सेवाकाल किस तरह मजाक की तर्ज पर किया गया काम जान पड़ता है । जांच में मेहता का ट्रेन पकड़ने के लिए डयूटी से जल्दी चले जाना, फर्जी हस्ताक्षर वाले आवेदनों को सिविल सर्जन द्वारा स्वीकृत करना, आकस्मिक अवकाश का आवेदन मेहता द्वारा ना लिखे जाने के बावजूद स्वीकृत किया जाना, एचक्यूएल व विकली ऑफ दोनों का लाभ दिया जाना जैसी अनियमितता व विभागीय चूक भी सामने आई है। 3 जुलाई 2012 को कलेक्टर व सीएमएचओ को सौंपी गई जांच रिपोर्ट पर अब तक विभाग ने क्या एक्शन लिया है ? इसकी प्रतीक्षा की जा रही है । अब देखना यह होगा कि इतनी गंभीर अनियमितताओं पर संबंधित एएनएम व टीप में संरक्षणकर्ता करार दिए गए सिविल सर्जन पर क्या कार्रवाई की जाती है ?

 

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