उत्तर प्रदेश की मनोरोगी लक्ष्मी को घर वालों से मिलवाया समाजसेवी गोविंद काकानी ने
रतलाम,28 जुलाई (इ खबरटुडे)। बचपन में सुंदर दिखने वाली लक्ष्मी को दिमागी बुखार ने ग्रसित कर लिया जिससे वह मनोरोगी हो गई | एक दिन खाना बनाते वक्त मनोरोग का दौरा पड़ा जिसमें उसका चेहरा बुरी तरह झुलस गया|मनोरोगी लक्ष्मी भटकते भटकते रतलाम पहुंच गई। उसके परिजन उसे खोज रहे थे लेकिन उन्हें पता नहीं था की वह कहा है ? रतलाम में समाजसेवी गोविन्द काकानी के प्रयास रंग लाये और लक्ष्मी अपने परिजनों से मिल पाई।
काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के सचिव गोविंद काकानी ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि लक्ष्मी पिता शोबरन पासी उम्र 20 वर्ष को 108 ने जिला चिकित्सालय में 17 जुलाई को भर्ती कराया | हालत बहुत कमजोर ,नाजुक होने से बोल नहीं पा रही थी| चेहरा विकृत होने के कारण उसके पास जाने में हर कोई घबरा रहा |अस्पताल से सूचना मिली उसे आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया और गोविंद काकानी द्वारा जानकारी एकत्रित करना शुरू हुआ| उसकी बोली समझना बहुत मुश्किल लग रहा था ,टूटी फूटी जानकारी से मालूम पड़ा कि वह उत्तर प्रदेश सीतापुर जिले के थाना खैराबाद की रहने वाली है | गूगल पर खैराबाद थाने का नंबर लेकर संपर्क किया | वहां के थाना प्रभारी मेघनाथ यादव ने पूरे खैराबाद में ढूंढवा लिया परंतु उसका घर नहीं मिला | फिर काकानी ने लक्ष्मी की मोबाइल से मेघनाथ यादव से बात करवाई ,यूपी की भाषा में जब उन्होंने पूछा तब उसने चौबेपुर गांव का नाम बताया | तत्काल मेघनाथ यादव ने उनके गांव संपर्क कर उसके भाई अमित से बात करवाई ,अमित ने बताया वह बहुत गरीब है | इतनी दूर आना संभव नहीं है क्योंकि वह साइकिल पर आम बेचने जाते हैं | प्रतिदिन आम बेचने से ही उनका घर चल रहा है | फिर उन्होंने अपनी बहन निर्मला उर्फ नीलम जोकि गाजियाबाद रहती है को फोन पर बहन का मिलने का समाचार दिया और गोविंद काकानी के मोबाइल नंबर दिए | मोबाइल फोन पर संपर्क होते ही वीडियो कॉलिंग पर बहन से बात करवाई | लक्ष्मी ने रोते हुए बहन को घर पहुंचाने का कहां जिस पर आज दोपहर बहन नीलम एवं परिचित पिंटू लेने रतलाम पहुंचे | जिला अस्पताल में लक्ष्मी को देखकर नीलम फूट-फूट कर रोने लगी दोनों की आंखों में आंसू बह रहे थे | बहन नीलम ने बताया की लक्ष्मी लगभग 3 माह पूर्व घर से बिना बताए निकल गई थी इसे सब दूर खोजा परंतु सफलता नहीं मिली | भाई अमित का फोन आते ही मैं इसे लेने के लिए यहां आई हूं इसे साथ लेकर गांव छोड़कर पुनः गाजियाबाद जाऊंगी | अस्पताल से रवाना होने के पूर्व लक्ष्मी को काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन की सबसे छोटी सदस्य कुमारी प्रिशा रत्नेश राठी ने अपने पहले जन्मदिन की राशि से वापस जाने का टिकट ,नए कपड़े ,दवाई एवं रतलामी सेव दी गई |लक्ष्मी को घर पहुंचाने में काकानी सोशल वेलफेयर फाउंडेशन ,जिला चिकित्सालय डॉक्टर , स्टाफ , पुलिस प्रशासन आदि के सहयोग की बहन नीलम ने भूरी भूरी प्रशंसा की एवं आभार व्यक्त किया |