May 20, 2024

उज्जैन से हटाई गई छिंदवाड़ा लाख कांड की आरोपित डीएफओ किरण बिसेन

-उज्जैन में नगर निगम दो करोड़ के वृक्षारोपण करवाने की तैयारी में था

उज्जैन,01अगस्त (इ खबरटुडे)।(इ खबरटुडे/ब्रजेश परमार)। छिंदवाड़ा पश्चिम वन मंडल में पदस्थ रहते लाख प्रशिक्षण में घोटाले की आरोपित उज्जैन डीएफओ किरण बिसेन को यहां से हटाकर इंदौर पदस्थ्‍ किया गया है।उज्जैन में दो करोड़ की पीएचई नगर निगम की योजना को यहां पलीता लगाने की तैयारी की जा रही थी।योजना स्वीकृति से पहले ही उन्हे हटा दिया गया।

लोकदेश समाचार पत्र ने 16 जुलाई एवं 27 जुलाई को डीएफओ की कार्यप्रणाली को लेकर छिंदवाड़ा एवं उज्जैन के मामले में अपनें पाठकों को तथ्य परक जानकारी उपलब्ध करवाई थी।इसके तहत 16 जुलाई को छिंदवाड़ा में वर्ष 2017-18 में एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना अंतर्गत ट्रायबल विभाग से पश्चिम वन मंडल को एक करोड़ का आवंटन किया गया था।इस राशि से बेगा आदिवासियों को लाख उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जाना था। इस प्रशिक्षण में बालाघाट के एनजीओ के साथ येनकेनप्रकारेण डीएफओ ने घालमेंल किया ।

मामला सामने आने पर छिंदवाड़ा कलेक्टर ने जांच बैठाई थी,लेकिन जांच को 9 माह होने आए नतीजा सिफर ही रहा।जांच से पहले ही डीएफओ तबादले पर उज्जैन आ जमी थीं।उज्जैन आने के साथ ही उन्होंने नगर निगम पीएचई अधिकारियों के साथ शिप्रा किनारे वृक्षारोपण की योजना बनाकर 2 करोड के लगभग का प्रस्ताव शासन स्तर पर भेजा था। इस बजट का हाल भी छिंदवाड़ा जैसा होता उससे पूर्व ही लोकदेश ने संज्ञान लेते हुए 27 जुलाई को मामले की खबर तथ्यों के साथ प्रकाशित की ।शासन स्तर से मामले को पूरी तरह समझते हुए उज्जैन डीएफओ को हटाते हुए इंदौर पदस्थ किया गया है।राज्य शासन ने इसके आदेश जारी किए हैं।

ये हुआ छिंदवाड़ा में-
वर्ष 201718 में एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना अंतर्गत ट्रायबल विभाग से पश्चिम वनमंडल को करीब एक करोड़ रुपए का आवंटन किया गया। जिसके तहत दूरस्थ वनक्षेत्रों में निवासरत आदिवासी वनवासियों को लाख उत्पादन हेतु प्रशिक्षण और संवर्धन हेतु जागरुक करने का कार्य किया जाना था। इस काम की जिम्मेदारी बालाघाट के एनजीओ दिव्य सागर को सौंपी गई। जहां से डीएफओ के संबंध बताए जाते हैं। इस पूरे काम में जमकर गोलमाल किया गया था। प्रशिक्षण में फर्जीवाड़े को लेकर पिछले वर्ष ही शिकवा-शिकायतों का दौर शुरू हो गया था। इस पर तत्कालीन संभाग आयुक्त आशुतोष अवस्थी एवं कलेक्टर वेदप्रकाश सहित अन्य जिम्मेदारों ने नोटिस जारी किया था। इसके बाद

लगने के बाद कलेक्टर कलेक्टर श्री निवास शर्मा के सामने मामला आने पर उन्होंने इसकी जांच प्रारंभ कीथी । लाख प्रशिक्षण और संवर्धन के नाम पर हुए फर्जीवाड़े की जांच हेतु कलेक्टर ने नवंबर 2019 में जांच दल का गठन किया था । जांच दल में चार अफसरों को सम्मिलित किया गया । जुन्नारदेव एसडीएम रोशन राय के संयोजन में गठित दल में सहायक आयुक्त एनएस बरकड़े, सिल्लेवानी, एसडीओ आरएस धुर्वे और जनपद सीईओ श्री अहिरवार को सम्मिलित किया गया था।

कुछ ऐसा है लाख प्रशिक्षण में अनियमितताओं का तानाबाना-

पूरे मामले में भंडार क्रय नियमो का उल्लंघन किया गया। बिना टेंडर के अपने चहेते एनजीओ को काम दिया व इसके माध्यम से केंद्र सरकार की शासकीय राशि का दुरुपयोग किया गया। प्रति हितग्राही दस हजार व्यय में शासकीय प्रक्रिया का पालन नही किया ।एनजीओ को समिति से भुगतान दिखाया गया । इस कार्य का सम्पादन रेंज ऑफिसर द्वारा एवम सत्यापन संबंधित अनुविभागीय अधिकारी वन द्वारा किया जाना था जो नही किया गया।मनमाना खर्च करने व हेराफेरी के उद्देश्य से प्रबंध संचालक ,लघुवनोपज कोआपरेटिव सोसाएटी के खाते में डाली गई।

इस खाते में राशि जमा करने के लिए वनमंडलाधिकारी अधिकृत नहीं है।नोटशीट के अनुसार राशि डीएफओ को दी गयी ।कार्य का सोशल ऑडिट नही हुआ ।जिस स्थान पर पूर्व में वन विभाग ने कार्य किया उसी जगह पुनः एनजीओ द्वारा लाख उत्पादन दिखाया गया ।दस हजार प्रति आदिवासी खर्च बताकर आदिवासियों के हितों में कुठाराघात किया। षड्यंत्र पूर्वक आदिवासी समुदाय को देय राशि एनजीओ को ट्रांसफर कर केंद्र सरकार की राशि का पूर्ण दुरुपयोग किया गया।जनजातिय कल्याण विभाग ने वनमंडलाधिकारी को राशि दी गयी । इन्होंने इस राशि को बिना वरिष्ठ की स्वीकृति के एफडीए खाते की जगह तेंदूपत्ता या लघुवनोपज के खाते में राशि डाली गई।लघुवनोपज से राशि वन समिति के खाते में डाली गई।

यह राशि शासकीय राशि थी अतः इसका व्यय शासकीय नियमों अंतर्गत किया जाना चाहिये था ।तामिया ब्लॉक के इन एक हजार आदिवासियों के साथ धोखाधड़ी की गई। प्रत्येक हितग्राही के नाम पर 10हजार रुपये खर्च किये ।एनजीओ ने मनमाने रेट से अदिवादियो को घटिया सामग्री प्रदाय की गई। गुणवत्ता प्रमाणपत्र प्राप्त किये बिना भुगतान कर दिया गया। प्रोजेक्ट में संशोधन या अप्रूवल के बिना यह सब किया जाना गलत है। प्रोजेक्ट की तकनीकी स्वीकृति और उसकी शर्तों का पालन जांच के गर्भ में हैं। लघुवनोपज में सरकारी राशि डालना ही वित्तीय नियमो का उल्लंघन की श्रेणी में है । षड्यंत्र के तहत ऐसा किया गया। इसीलिए एसडीओ,रेंजर को शामिल न कर एनजीओ से कार्य करवाया जिसका की रेट भी स्वीकृत नहीं था। थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन नही कराया। समिति अध्यक्षों व सदस्यों को जानकारी दिए बगैर हस्ताक्षर करवाकरएनजीओ के माध्यम से 90 लाख से ज्यादा राशि का दुरूपयोग किया गया।

-सीवर लाईन प्रोजेक्ट के तहत शहर में कुछ पेड़ पौधे प्रभावित होंगे ।उनकी भरपाई के लिए नदी किनारे पौधा रोपण करवाने के लिए वन विभाग ने पीएचई नगर निगम को 2 करोड़ की योजना का प्रस्ताव दिया है। इसमें 3 वर्ष तक पौधों की साज संभाल का जिम्मा भी वन विभाग का रहेगा। प्रपोजल मुख्यालय को भेजा गया है।-धर्मेन्द्र वर्मा,कार्यपालन यंत्री,पीएचई नगर निगम ,उज्जैन

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