उज्जैन के व्यापारियों को जितना किराना लगेगा इंदौर मंडी उपलब्ध कराएगी
सिंहस्थ में तेल, घी व ड्रायफूट की आपूर्ति
उज्जैन 03 अप्रैल (इ खबरटुडे)।भले ही शासन तथा प्रशासन सिंहस्थ 2016 की ब्राण्डिंग राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कर रहा हो। सिंहस्थ मेले में 5 करोड़ साधु-संतों और आमजन के आने का अनुमान लगा रहा हो। परंतु कोई भी दावे के साथ यह कहने की स्थिति में नहीं है कि साधु-संतों और श्रद्धालुओं की वास्तविक संख्या क्या होगी?
ऐसी स्थिति में उज्जैन के बड़े व्यापारियों को इस बात का अंदाजा लगाना कठिन हो रहा है कि स्थानीय बाजारों से किराना, खाद्यान्न आदि सामग्री की वास्तविक खपत क्या रहेगी? जब दैनिक अवंतिका ने इस बारे में व्यापारियों से चर्चा की तो यही स्थिति सामने आई।
6 से 8 लाख टन तेल की खपत सिंहस्थ मेले में
दौलतगंज स्थित तेल के बड़े और पुराने व्यापारी माणकलाल एंड संस के प्रोप्रायटर जयंतीलाल जैन तेल वाले बताते हैं कि हम जो सिंहस्थ 2016 के दौरान तेल-घी की खपत का अंदाजा पिछले सिंहस्थ में हुए खपत तथा आगत श्रद्धालुओं की संख्या के आधार पर ही लगा सकते हैं। इसके अतिरिक्त और कोई पैमाना नहीं है। पैमाने के आधार पर हम तेल की खपत के बारे में अनुमान लगाएं तो कहा जा सकता है कि लगभग 6 से 8 लाख टन तेल की खपत सिंहस्थ मेले में होगी। इसमें मूंगफली, सोयाबीन, सरसो आदि तेल शामिल है। उप्र, बिहार आदि राज्यों से आने वाले संत महात्मा तथा श्रद्धालु सरसों के तेल का सेवन ज्यादा करते हैं।
इसी प्रकार 20 से 30 हजार टन वनस्पति घी की खपत का अनुमान है। देसी घी की खपत 5 से 8 हजार टन के बीच अनुमानित की जा सकती है। उज्जैन में तेल-घी की बड़ी मंडी नहीं है। इस कारण उज्जैन के अलावा इंदौर, देवास आदि स्थानों से उज्जैन में तेल-घी की आवक होती है। देसी घी की आवक स्थानीय बाजार के अलावा ग्रामों से भी होती है। इसके अलावा गुजरात, राजस्थान, दिल्ली आदि अन्य प्रदेशों से भी देसी घी की आवक रहती है। व्यापारियों के सामने परेशानी यह है कि ज्यादा माल भरने के लिए बड़ी पूंजी की जरूरत होती है।
उज्जैन शहर में इतने बड़े व्यापारी हैं ही नहीं, जो सिंहस्थ में अनुमानित घी-तेल की खपत से माल का स्टाक कर सकें। आज ेक ट्रक तेल मंगाना 5-7 लाख रुपए की पूंजी का निवेश मांगता है। इसीलिए तेल-घी व्यापारियों ने तय किया है कि वे कम माल का स्टाक रखेंगे। यदि खपत बढ़ेगी तो बाहर से तुरंत माल मंगवा लेंगे। प्रशासन ने भी हमें आश्वस्त किया है कि माल लेकर आ रहे ट्रकों को आवागमन हेतु सहूलियें दी जाएगी।
दौलतगंज में ही ड्राय फ्रूट के एक बड़े व्यापारी गिरधारी ब्रदर्स के गिरधारीलाल कहते हैं कि सिंहस्थ मेले में ड्राय फ्रूट की सबसे ज्यादा खपत साधु-संतों के डेरों में ही होगी। इसके अलावा स्थानीय मांग काफी कम रहेगी। जहां तक साधु-संतों को ड्राय फ्रूट की आपूर्ति का सवाल है तो मार्केट रिपोर्ट यह बता रही है कि इंदौर के बड़े ड्राय फ्रूट व्यापारी सीधे बड़े-बड़े शिविरों में पहुंचकर सीधे ही ड्राय फ्रूट की आपूर्ति करने वाले हैं। उज्जैन में लगे बड़े-बड़े शिविरों में उनके एजेंट लगाकर घूमकर रहे है और आर्डर हासिल करने के प्रयास कर रहे हैं। इंदौर के बड़े व्यापारी कितना ड्राय फ्रूट की आपूर्ति यहां करेंगे, यह तो उन्हीं को पता होगा।