उज्जैन:चार धाम मंदिर से महाकाल को जोडने के लिए आकर्षक ब्रिज बनेगा
महाकालेश्वर मन्दिर क्षेत्र विकास योजना पर जनप्रतिनिधियों ने किया मंथन
उज्जैन,02 नवंबर(इ खबर टुडे/ब्रजेश परमार)।सोमवार को बृहस्पति भवन में महाकाल मन्दिर क्षेत्र विकास योजना एवं शहर में किये जा रहे अण्डर ग्राउण्ड डक्टिंग के कार्य की समीक्षा की गई।
रूद्र सागर पर चारधाम मन्दिर की ओर से महाकालेश्वर मन्दिर को जोड़ने के लिये एक नया आकर्षक ब्रिज बनाने का निर्णय लिया गया। साथ ही त्रिवेणी संग्रहालय से चारधाम मन्दिर की टंकी तक मार्ग की चौड़ाई 24 मीटर से बढ़ाकर 40 मीटर करने का निर्णय लिया गया।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव, सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक पारस जैन, कलेक्टर आशीष सिंह, नगर निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल, एडीएम एवं श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति के प्रशासक नरेन्द्र सूर्यवंशी, स्मार्ट सिटी सीईओ जितेन्द्रसिंह चौहान की मौजूदगी में समीक्षा के उपरान्त कई कार्यों को अंजाम देने के लिए निर्णय लिए गए। इनमें
मृदा फेज-1 व 2 एवं महाकालेश्वर मन्दिर विकास पर आधारित प्रोजेक्टेड वीडियो का प्रदर्शन किया गया। वीडियो में दर्शाये गये पार्किंग स्थल, फेसिलिटी सेन्टर, पाथवे, महाराजवाड़ा क्षेत्र का विकास, धर्मशाला एवं अन्नक्षेत्र का निर्माण आदि सभी कार्यों पर सहमति व्यक्त की गई।
महाकालेश्वर मन्दिर के सामने की ओर 70 मीटर लम्बाई में सर्वे किया गया है। इस सर्वे में 82 मकान आ रहे हैं। मकानों के अधिग्रहण पर 70 करोड़ रुपये का खर्च होगा। जनप्रतिनिधियों ने इन मकानों के अधिग्रहण के बाद मुक्त हुई जमीन पर किस तरह के निर्माण एवं सौंदर्यीकरण किया जायेगा और इस पर कितना व्यय आयेगा, इस पर आधारित ब्रोशर बनाने को कहा है। ब्रोशर के आधार पर मंत्री, सांसद व विधायक अपने स्तर से राज्य शासन एवं निजी संस्थानों से इसके लिये राशि प्राप्त करने का प्रयास करेंगे। जमीन अधिग्रहण के बाद यहां पर भव्य महाकाल द्वार बनाने की योजना बनाने के लिये कहा गया है।
कमरी मार्ग से लालबाई-फूलबाई मार्ग तक, जीरो पाइंट ब्रिज से कोयला फाटक, कोयला फाटक से गोपाल मन्दिर तक अण्डर ग्राउण्ड डक्टिंग का कार्य आगामी एक माह में शुरू होगा। इसी के साथ जीरो पाइंट ब्रिज से कोयला फाटक एवं कोयला फाटक से गोपाल मन्दिर तक तथा कमरी मार्ग से लालबाई-फूलबाई मार्ग तक मास्टर प्लान के अनुसार सड़क को फोरलेन में तब्दील करने पर सहमति व्यक्त की गई।
बैठक में निर्णय लिया गया कि जब तक नये महाकाल प्रवचन हाल का कार्य शुरू नहीं हो जाता, तब तक पुराने को डिसमेंटल नहीं किया जाये।