September 29, 2024

रतलाम,15 फरवरी (इ खबरटुडे)।  कलेक्टर बी. चंद्रशेखर को जनसुनवाई में परिवहन विभाग में व्याप्त गड़बड़ियों की  शिकायत मिलने पर उन्होंने बड़ी कार्यवाही कर डाली। पहले आरटीओ एजेंट के यहां छापा मारने के लिए एक दल भेजा और मंगलवार देर रात पुलिस ने एजेंट और उसके कर्मचारी के साथ जिला परिवहन अधिकारी के खिलाफ 420 सहित अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज कर लिया। इस मामले में तत्काल कोई गिरफ्तारी नही की गई, लेकिन जांच के बाद पुलिस की गाज आरोपियों के साथ अन्य लोगों पर भी गिर सकती है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार पटवारी तेजवीर सिंह चौधरी की रिपोर्ट पर आरटीओ राजेश गुप्ता, आरटीओ एजेंट विनोद झालानी और उसके कर्मचारी ईश्वर मालवीय के खिलाफ धारा 419, 420, 467, 468, 472 व 34 के तहत मामला दर्ज किया है। मंगलवार को एक शिकायत पर कार्यवाही करते हुए एसडीएम और तहसीलदार ने महू रोड स्थित झालानी यातायात एजेन्सी पर छापामार कार्यवाही की। इसमें बड़ी मात्रा में कई राज्यो के रजिस्ट्रेशन कार्ड ,लाइसेंस बरामद किये गए। आरटीओ ऑफिस की कई फाइले भी जब्त हुई  है। इससे पूर्व जन सुनवाई में कलेक्टर बी.चंद्रशेखर को पूनम विहार निवासी वैभव सिंह जादोन ने आरटीओ एजेंट द्वारा गाड़ी के रजिस्ट्रेशन के लिए 600 रूपये की जगह 2300 रूपये मांगे जाने की शिकायत की थी. प्रशासन के दल को कार्यवाही में दूसरे राज्यो के आरटीओ रजिस्ट्रेशन कार्ड और सरकारी सीले मिली। इसके अलावा कई गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन कार्ड ,लाइसेंस आदि भी बरामद किए गए। प्रशासन को आशंका है कि एजेंट द्वारा समानांतर आरटीओ ऑफिस चलाया जा रहा था। उसने झालानी यातायात एजेन्सी को सील कर करीब तीन पेटी दस्तावेज जब्त किए है। पुलिस ने सभी आरोपियों को जल्द गिरफ्तार कर लेने का दावा किया है।

दलाल से ही चलता है,आरटीओ

रतलाम ही नही, कमोबेश सभी जगह आरटीओ को दलाल ही चला रहे है। पिछले दिनों रतलाम में दलालों पर रोक के लिए कलेक्टर ने आरटीओ ऑफिस में कैमरे लगवा दिए थे, लेकिन इसके बाद भी कोई फायदा नही हुआ। दलाल अपने ऑफिस से आरटीओ चलाने लगे है। इसका जीता-जागता उदाहरण मंगलवार को हुई कार्यवाही में सामने आ गया है। इससे पहले आरटीओ द्वारा की जाने वाली वाहनों की जांच में भी दलालो के साथ रहने की खबरे प्रकाश में आ चुकी है। जानकारों के मुताबिक शासन में आरटीओ को सबसे कमाऊ जगह माना जाता है। इसमें बिना लेनदेन के हस्ताक्षर भी नही किए जाते है, जिससे दलाल आम लोगो से चार गुना राशि वसूलकर अपना और पूरे महकमे की जेब भरते है। इस महकमे में शामिल होने के लिए अधिकारी और कर्मचारी भी मोटी रकम चुकाते है, इसलिए खुलेआम लूट होती है।
लूट रोकने वाला कोई नही रहता, क्योंकि उसमें सबका हिस्सा नियत रहता है।

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