आरएसएस मुख्यालय में बोले प्रणब मुखर्जी- भारत की पहचान एकता और सहिष्णुता में है
नागपुर ,07 जून(इ खबरटुडे)। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) मुख्याल्य में कहा कि भारत की पहचान एकता और सहिष्णुता में है। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि ‘मैं आज यहां राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रवाद पर अपने विचार रखने आया हूं। भारत एक स्वतंत्र समाज है, देशभक्ति में सभी का समर्थन होता है। समुद्र, पहाड़, नदियों और लोगों से देश बनता है। देशभक्ति का मतलब देश के प्रति आस्था है।’
पूर्व राष्ट्रपति ने आगे कहा ‘राष्ट्रवाद किसी भी देश की पहचान होती है। भारतीय राष्ट्रवाद में एक राष्ट्रीय भावना रही है। सहिष्णुता और विविधता हमारी सबसे बड़ी ताकत है। इतिहास में ह्नेनसांग से लेकर फाह्यान तक ने माना कि भारत एक उदार देश है।’
प्रणब ने कहा ‘विचारों में समानता के लिए संवाद जरूरी है, संवाद के जरिए हर समस्या का समाधान हो सकता है। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि देशभक्ति में सभी लोगों का साथ जरूरी है। राष्ट्रवाद किसी भी देश की पहचान है जो किसी धर्म और भाषा में बंटा नहीं है।’
भाषण से पहले पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस संस्थापक डॉ. हेडगेवार के जन्मस्थल पर उन्हें श्रद्धांजलि भी अर्पित की। इस दौरान उनके साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे।
देश में कोई दुश्मन नहीं, देश की माता सबकी माता
प्रणब मुखर्जी के भाषण से पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी अपने विचारों को साझा किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि ‘संघ समाज को संगठित करता है। भारत में जन्म लेने वाला हर व्यक्ति भारतीय है। एक भारतीय किसी दूसरे के लिए पराया कैसे हो सकता है।’
भागवत ने कहा ‘संघ केवल हिंदू के लिए नहीं सबके लिए काम करता है। सरकारें बहुत कुछ कर सकती है मगर सबकुछ नहीं कर सकती। हमने सहज रूप से उन्हें (प्रणब मुखर्जी) आमंत्रण दिया और उन्होंने हमारा स्नेह पहचान कर इसपर सहमति दी। हम विविधता में एकता को लेकर चल रहे हैं। देश में कोई दुश्मन नहीं, देश की माता सबकी माता है।’