November 15, 2024

आदिवासी महिला लीलाबाई करती है फ्लोराइड रिमूवल प्लांट का संचालन

ग्रामीणों को फ्लोराइड के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक भी करती है

रतलाम,25 अप्रैल(इ खबरटुडे)। रतलाम जिले की आदिवासी महिला लीलाबाई अपने गांव कचारी में लगाए गए इडीएफ फ्लोराइड रिमूवल प्लांट का संचालन कर रही है। साथ ही अपने गांववालों को फ्लोराइड के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक भी करती है। अल्पशिक्षित लीलाबाई डामर ने प्लांट संचालन के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से बकायदा प्रशिक्षण प्राप्त किया है। अब लीलाबाई यह सुनिश्चित करती है कि उसके गांववालो को फ्लोराइड मुक्त शुद्ध पेयजल मिले।

रतलाम जिले के आदिवासी विकासखण्डों सैलाना तथा बाजना के कई गांवों में बड़ी समस्या पेयजल गुणवत्ता की थी। इन गांवों में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा खनन किए गए पेयजल स्त्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने तथा कम गहराई के हैण्डपंपों में पर्याप्त पानी नहीं मिलने से शुद्ध पेयजल की समस्या बनी रहती थी। समस्या के समाधान व फ्लोराइड मुक्त शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए विभाग द्वारा इडीएफ फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाए गए हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल गुणवत्ता अनुश्रवण एवं निगरानी कार्यक्रम के तहत गांवों में स्थापित किए गए यह प्लांट अब आदिवासी बाशिंदों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करा रहे हैं। लगभग 85 गांवों में इडीएफ प्लांट शासन द्वारा लगाए गए हैं।
रतलाम मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूरस्थ ग्राम पंचायत केलदा के ग्राम कचारी में जब दो वर्ष पूर्व स्कूल के समीप लगे नलकूप पर इडीएफ प्लांट लगाया गया, तब संबंधित कंपनी को प्लांट के संचालन हेतु स्थानीय व्यक्ति की आवश्यकता पड़ी। गांव का कोई भी व्यक्ति इस कार्य के लिए तैयार नहीं हुआ, तब लीलाबाई इस कार्य के लिए आगे आई। उसने प्लांट संचालन हेतु सहमति दी। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने अपने तकनीशियनों को कचारी गांव में भेजकर लीलाबाई को प्रशिक्षित करवाया।

अब लीलाबाई मोटर चालू करने, बंद करने फिल्टर में रखी टंकी की सफाई के साथ ही महत्वपूर्ण रूप से पानी में फ्लोराइड की मात्रा का फ्लोराइड कीट के माध्यम से टेस्ट करती है। टेस्ट के परिणामों से लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को नियमित रूप से अवगत कराती है। लीलाबाई अपने गांववालों को फ्लोराइड की स्वीकार्य तथा अस्वीकार्य मात्रा तथा फ्लोराइड की अधिकता से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में भी समझाती है। उसकी मेहनत से 349 जनसंख्या वाले कचारी के आदिवासी बाशिंदे शुद्ध पेयजल प्राप्त कर रहे हैं। फ्लोराइड के संबंध में जागरूक भी हुए हैं।
लीलाबाई अपने काम से खुश है। वह कहती है कि उसके गांववालों को शुद्ध पानी उपलब्ध कराने में योगदान देकर वह पुण्य कार्य कर रही है। लीलाबाई का परिवार भी उसको पूर्ण सहयोग करता है।

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