आंगनवाड़ी के नन्हों के वास्ते स्व-सहायता समूह की परोसगारी
रबर सी पुड़ी, तड़के का पानी, लुगदी जैसी खीर
महिला बाल विकास विभाग का नियंत्रण नहीं, कलेक्टर ने देखा तो भड़के, जनप्रतिनिधियों ने पकड़ा घालमेल
उज्जैन,8 अप्रैल(इ खबरटुडे)। आंगनवाड़ी पर जाने वाले नन्हे-मुन्ने बच्चों के लिए जो खाना स्व-सहायता समूह ने बनाकर भेजा था, उसमे पुड़ी ऐसी थी कि बच्चे सुबह से शाम तक उसे तोड़े तो न टूटे। कहने के लिए तड़के वाली दाल थी, पर उसमें दाल का पता नहीं था, तड़के का पानी था। खीर चावल की लुगदी बनी हुई थी। इसमें साफतौर पर हीक आ रही थी। पावडर का उपयोग भी उसमें किया गया बताया गया है। अक्षम्य अपराध पर सिर्फ स्व-सहायता समूह का अनुबंध निरस्त करने की कार्यवाही की गई है। खास बात यह है कि एक समूह से लेकर यह काम अपने ही बाजू के दूसरे समूह को दे दिया गया है। सबकुछ मिलीभगत, पूरे विभाग में ही घालमेल का घोटाला साफतौर पर सामने आ रहा है।
महिला बाल विकास विभाग के जिम्मे कुपोषण को दूर करने की जिम्मेदारी दी गई है। मध्यप्रदेश में देश के सर्वाधिक बच्चे कुपोषित स्थिति में सामने आए है। इसके बावजूद मध्यप्रदेश का महिला बाल विकास विभाग इस काम पर नियंत्रणहीन स्थिति में है। उज्जैन में पूर्व में भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके है। मंगलवार को जनप्रतिनिधियों की जागरुकता से जो मामला सामने आया है, उसके बाद विभागीय स्तर पर पूरी परत खुलना जरुरी बन पड़ा है।
जिसने देखा उसने कहा हीनतम कृत्य
मंगलवार को झोन क्रमांक 5 अध्यक्ष राजेश जारवाल और पार्षद प्रतिनिधि दिलीप भार्गव ने निरीक्षण के दौरान टेम्पो में आंगनवाड़ी के बच्चों के लिए ले जाए जा रहे भोजन को देखा। इस भोजन को देखने के बाद उनकी आंखे खुल गई। पुड़ी, दाल और खीर देखकर उनसे रहा नहीं गया। सीधे पूरा टेम्पो निवास ले जाकर कलेक्टर डॉ. कवीन्द्र कियावत को दिखाया गया। कलेक्टर ने जब पुड़ी तोड़ी तो उन्हें भी दम लगाना पड़ा। दाल और खीर देखकर कलेक्टर से रहा नहीं गया। उन्होंने जिला कार्यक्रम अधिकारी रजनीश सिन्हा को तलब किया। जांच के मौखिक आदेश देते हुए शाम तक बताने के लिए कहा गया।
अनुबंध निरस्त
जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री सिन्हा के मुताबिक 107 आंगनवाड़ियों को शहरी क्षेत्र में नागझिरी का सम्मान स्व-सहायता समूह बच्चों के लिए भोजन सप्लाय करता है। गुणवत्ताहीन भोजन सप्लाय करने के मामले में समूह से जवाब लिया गया। इसमें उन्होंने बताया कि मुख्य खानसामा छुट्टी पर था, सहायक भी नहीं आया, अनगढ़ लोगों ने भोजन बनाया है। इस जवाब के बाद सम्मान स्व-सहायता समूह का अनुबंध निरस्त कर दिया गया है। इसका काम अन्य स्व-सहायता समूह में वितरित किया जाएगा।
5 समूह सप्लाय करते है उज्जैन शहर में
विभागीय सूत्र जानकारी दे रहे है शहरी क्षेत्र की 375 आंगनवाड़ियों में बच्चों के लिए पोषण आहार सप्लाय करने की जिम्मेदारी वर्तमान में 5 स्व-सहायता समूह निभा रहे है। इनमें सम्मान स्व-सहायता समूह, नूतन स्व-सहायता समूह, नर्मदा महिला मंडल, प्रमिला महिला मंडल, माँ पृथ्वी सांवरी महिला मंडल शामिल हैं। सम्मान स्व-सहायता समूह का अनुबंध निरस्त करने के बाद इसके स्थान पर विभागीय सूत्रों के मुताबिक नूतन स्व-सहायता समूह को इसका काम सौंपा गया है।
वर्षों से एक ही समूह
विभागीय सूत्र जानकारी दे रहे है कि कई वर्षों से एक ही समूह को काम मिल रहा है। विभागीय स्तर पर अच्छी-खासी पैठ होने के चलते विभाग के बाबूओं और स्व-सहायता समूह के कर्ता-धर्ताओं के बीच गहरे संबंध है। येन-केन-प्रकारेण इन संबंधों के चलते वर्षों से एक ही समूह पोषण आहार सप्लाय का कार्य कर रहे है। इनकी गुणवत्ताहीन कार्यों को लेकर निचले स्तर पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी सवाल उठाने से डरती है। जिला मुख्यालय कार्यालय में पदस्थ बाबूओं के बीच आपस में तालमेल होने से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता प्रश् उठाने पर प्रताड़ना का शिकार बनती है।
पदोन्नति के बावजूद बाबू जिले में डटा
प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक महिला बाल विकास विभाग में सबकुछ ताक पर रखते हुए काम हो रहे है। यही कारण है कि पोषण आहार सप्लाय की शाखा देख रहे क्लर्क की पदोन्नति सहायक ग्रेड-1 पर संभागीय कार्यालय में होने के बावजूद अब भी संबंधित बाबू जिला कार्यालय में कई सारे महत्वपूर्ण कार्यों को बड़ी तरकीब से देख रहा है। आईसीडीएस शाखा में पोषण आहार खरीदी सहित कई सारे कार्यों को इनके द्वारा देखा जा रहा है।
खिलौने सेम्पल से बदले हुए
विभागीय स्तर पर छन-छन कर जो जानकारी बाहर आ रही है उसमें साफतौर पर सिर्फ पोषण आहार में ही गुणवत्ता का सवाल खड़ा नहीं हो रहा है। कुछ दिनों पूर्व विभागीय स्तर पर आंगनवाड़ी में आने वाले बच्चों के लिए खिलौने खरीदे गए थे। खरीदी के लिए जो सेम्पल सप्लायरों ने दिए थे, उससे हटकर खिलौने सप्लाय किए जाना बताया जा रहा है।
आज से निरीक्षण का दौर
मंगलवार को गुणवत्ताहीन पोषण आहार सप्लाय का मामला सामने आने के बाद जिला कार्यक्रम अधिकारी के मुताबिक बुधवार से वे स्व-सहायता समूह के किचनों का निरीक्षण करने पहुंचेगे। उनके मुताबिक प्रत्येक बच्चे पर 4 रुपये खाने का तथा 2 रुपये नाश्ते का स्व-सहायता समूह को भुगतान किया जा रहा है। इस मान से प्रतिमाह लाखों रुपये का बिल स्व-सहायता समूह बनाकर दे रहे है। सूत्र बताते है कि इसमें भी मात्र 30 फीसदी बच्चे ही आंगनवाड़ी पहुंचते है, यह आंकड़ा भी विशेष अवसरों का है। शेष आंगनवाड़ी क्षेत्र के सभी बच्चों के नाम संबंधित आंगनवाड़ी में दर्ज किए जाते है। संख्या के मुताबिक पोषण आहार की खपत बताकर स्व-सहायता समूह आंगनवाड़ी केन्द्र और परियोजना कार्यालय से लेकर जिला कार्यालय तक घालमेल की श्रृंखला चलती है।
पूर्व कर्मी मास्टरमाईंड
सूत्रों के मुताबिक विभाग का एक पूर्व कर्मी इस पूरे मामले में मास्टरमाईंड है। इन्हीं के माध्यम से विभिन्न नामों से स्व-सहायता समूह चलाए जा रहे है। विभागीय बाबू एक जैसे प्रोफार्मा पर इनसे भरपाई करवाते है। सूत्र जानकारी दे रहे है कि अगर वास्तविक रुप से देखा जाए तो विभागीय बाबू ही इन स्व-सहायता समूहों का संचालन मास्टरमाईंड के साथ कर रहे है।
नागदा में भी अमानक पोषण आहार मिला
नागदा एसडीएम राजीवरंजन मीणा ने वार्ड 3 में आंगनवाड़ी का निरीक्षण किया था। यहां खामियां सामने आई है। बच्चों को दिए जाने वाला पोषण आहार गुणवत्ताहीन था। इसे लेकर एसडीएम श्री मीणा ने संबंधित कुमकुम स्व-सहायता समूह को नोटिस जारी कर जवाब देने के निर्देश दिए थे। साथ ही आंगनवाड़ियों पर अनियतिता के विरुध्द कार्यवाही करने के निर्देश परियोजना अधिकारी को दिए गए थे। श्री मीणा के मुताबिक गड़बड़ी करने वाले स्व-सहायता समूहों को एक अवसर दिया गया है। इसके बाद कार्यवाही की जाएगी।
पोषण आहार गबन का मुद्दा दबा
सूत्र जानकारी दे रहे है कि जिले के महिदपुर विकासखण्ड में डेढ-दो वर्ष पूर्व पोषण आहार गबन का मामला सामने आया था। करीब तीन ट्रक पोषण आहार गबन का मामला सामने आने के बाद विभागीय रुप से हड़कम्प मचा था। इस हड़कम्प के बाद भी यह मामला फाईलों के कागज में दबा दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक इस मामले को लेकर अब कोई बोलने वाला तक नहीं है।
सेम्पलिंग के नाम खानापूर्ति
विभागीय सूत्र जानकारी दे रहे है कि विभागीय स्तर पर पोषण आहार की सेम्पलिंग की प्रक्रिया सिर्फ खानापूर्ति स्तर पर की जा रही है। सेम्पल की चैकिंग होने के लिए कहीं बाहर नहीं भेजे जाते है। विभागीय स्तर पर कुल्हड़ में गुड़ फोड़ लिया जाता है। यहां तक कि कलेक्टर को भी इसकी जानकारी नहीं दी जाती है।
इनका कहना
वास्तव में पुड़ी कड़क थी, बच्चों के खाने के लायक तो नहीं थी। हम इस बात को मानते है, जो लोग ऐसा काम कर रहे है, उन्हें कीड़े पड़ेंगे। नन्हें बच्चों के लिए पोषण आहार शुध्द और गुणवत्ता वाला होना चाहिए। शासन भरपूर पैसा दे रहा है। ठेका निरस्त किया गया है, मुझे यहां आए कुछ माह हुए है। यहां किस तरह का आपसी तानाबाना चल रहा है, मेरी जानकारी में नहीं है। मैं आपको आश्वस्त करता हूं, 15 दिन में पूरी व्यवस्थाएं सुधार दी जाएगी।
– रजनीश सिन्हा, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग उौन