असुरक्षित गर्भपात की समस्या से निपटने के लिए पहल जरूरी- कलेक्टर डा.गोयल
आईपास द्वारा आयोजित कार्यशाला संपन्न
रतलाम 30 अप्रैल (इ खबरटुडे)। कलेक्टर डा.संजय गोयल ने कहा कि असुरक्षित गर्भपात की समस्या के निराकरण के लिए ठोस कदम उठाए जाना जरूरी है। इसके लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में संबंधित कानून के मुताबिक सुरक्षित गर्भपात की सुविधाओं में इजाफा करना होगा।
डा.गोयल आज यहां अन्तर्राष्ट्रीय संस्था आईपास द्वारा सुरक्षित गर्भपात पर आयोजित कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि ारत में होने वाले गर्भपात में से आधे असुरक्षित होते हैं जो अस्वच्छ स्थितियों और अप्रशिक्षित लोगों द्वारा कराए जाते हैं। असुरक्षित गर्भपात ारत में मातृत्व मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण है। हालांकि कलेक्टर ने साफ तौर पर कहा कि भारत को परिवार नियोजन के एक तरीके के रूप में नहीं अपनाया जा सकता। इसके लिए गर्भनिरोधी उपायों को अपनाया जाना निश्चित रूप से बेहतर विकल्प है। अपने उद्बोधन में डा.गोयल ने कहा कि एमटीपी एक्ट में 2002 में किए गए संशोधनों से किसी निजी संस्थान को गर्भपात के लिए दी जाने वाली स्वीकृति की प्रक्रिया का विकेन्द्रीकरण किया गया है। जिला स्तरीय समिति एमटीपी सेवाएं देने के लिए किसी निजी संस्था को अनुमति देने के लिए सक्षम बनाई गई है। हालाकि इसके लिए एमटीपी नियम 2003 के प्रावधानों का पालन किया जाना आवश्यक होगा।
कार्यशाला के दौरान सुरक्षित गर्भपात सेवाओं में बढोतरी करने से जुड़े वििन्न पहलुओं पर भी विचार-विमर्श किया गया। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित गर्भपात की सुविधा की उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने पर जोर दिया गया। इसके लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जरूरी कार्य-योजना तैयार करेंगे। कार्यशाला में जिले में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं के परिप्रेक्ष्य में सुरक्षित गर्भपात की मौजूदा सुविधाओं का ब्यौरा भी प्रस्तुत किया गया। कार्यशाला में बताया गया कि गर्पात के लिए ओव्हर द काउन्टर दवाएं लेने की प्रवृŸिा को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। इसके लिए सुरक्षित दवाएं निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी ताकि किसी प्रकार की जटिलता पैदा होने से बचा जा सके।
कार्यशाला में शासकीय चिकित्सकों को सुरक्षित गर्भपात के लिए प्रशिक्षण देने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया। साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों,सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों और जिला अस्पताल में पदस्थ चिकित्सकों को सुरक्षित गर्भपात सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। हालाकि कार्यशाला में स्पष्ट किया गया कि किए जा रहे प्रयास किसी भी रूप में गर्पात को बढ़ावा नहीं देंगे। इस तथ्य पर जोर दिया गया कि प्रशिक्षित डाक्टर के अाव में महिलाएं नीम-हकीम के पास गर्पात के लिए पहुंचती हैं और इसी कारण गर्भपात के दौरान मृत्यु की दर काफी अधिक है। वक्ताओं ने जानकारी दी कि आईपास देश के 13 राज्यों में और 13 देशों में भी सुरक्षित गर्भपात के लिए काम कर रही है।
कार्यशाला के आयोजन का अहम् मकसद जिले को असुरक्षित गर्भपात से मुक्ति दिलाने की दृष्टि से माॅडल बनाए जाने पर केन्द्रित था। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों सहित सी सरकारी अस्पतालों में सुरक्षित गर्भपात सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे। इसके लिए जिला अस्पताल में सुरक्षित गर्भपात के लिए प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करने पर ी चर्चा हुई ।
कार्यशाला में दिल्ली से आईं डा. संगीता बात्रा,मध्यप्रदेश के राज्य कार्यक्रम अधिकारी राजकमल शर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा.पुष्पेन्द्र शर्मा,सी खण्ड चिकित्सा अधिकारी व डा.एल.एस.चैहान तथा जिला अस्पताल के अन्य डाक्टर्स मौजूद थे ।