अरविंद केजरीवाल सरकार को बड़ा झटका : चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के इन 20 विधायकों को अयोग्य घोषित किया
नई दिल्ली,19 जनवरी (इ खबरटुडे)। लाभ के पद के मामले में चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है. यह दिल्ली की केजरीवाल सरकार के लिए बड़ा झटका है. 70 में से 67 सीटें जीतकर दिल्ली के मुख्यमंत्री बने अरविंद केजरीवाल के लिए यह बड़ा झटका है. चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के विधायकों को अयोग्य करने की सिफारिश राष्ट्रपति से कर दी है. हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि केजरीवाल सरकार चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख अपना सकती है.
आपको बता दें कि दिल्ली सरकार ने मार्च 2015 में 21 आप विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया था. जिसको प्रशांत पटेल नाम के वकील ने लाभ का पद बताकर राष्ट्रपति के पास शिकायत करके 21 विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी. राष्ट्रपति ने मामला चुनाव आयोग को भेजा और चुनाव आयोग ने मार्च 2016 में 21 आप विधायकों को नोटिस भेजा, जिसके बाद इस मामले पर सुनवाई शुरू हुई. केजरीवाल सरकार ने पिछली तारीख से कानून बनाकर संसदीय सचिव पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन राष्ट्रपति ने बिल लौटा दिया था. वहीं अरविंद केजरीवाल के मीडिया एडवाइजर नागेंदर शर्मा ने चुनाव आयोग के फैसले पर हैरत जताते हुए आरोप लगाया कि बिना किसी सुनवाई के फैसला दे दिया गया.
कौन हैं विधायक और कहां से चुने गए हैं
आदर्श शास्त्री- द्वारका
अलका लांबा- चांदनी चौक
संजीव झा- बुराड़ी
कैलाश गहलोत- नजफगढ़
विजेंदर गर्ग- राजेंद्र नगर
प्रवीण कुमार- जंगपुरा
शरद कुमार चौहान- नरेला
मदन लाल खुफिया- कस्तुरबा नगर
शिव चरण गोयल- मोती नगर
सरिता सिंह- रोहतास नगर
नरेश यादव- मेहरौली
राजेश गुप्ता- वजीरपुर
राजेश ऋषि- जनकपुरी
अनिल कुमार बाजपेई- गांधी नगर
सोम दत्त- सदर बाजार
अवतार सिंह- कालकाजी
सुखवीर सिंह डाला- मुंडका
मनोज कुमार- कोंडली (सुरक्षित)
नितिन त्यागी- लक्ष्मी नगर
जरनैल सिंह- रजौरी गार्डेन
इसी बीच ‘आप’ के 21 विधायकों के संसदीय सचिव के मामले से जुड़ा केस खत्म करने की याचिका को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया था. चुनाव आयोग ने कहा कि विधायकों पर केस चलता रहेगा. आप विधायकों ने याचिका दी थी कि जब दिल्ली हाई कोर्ट में संसदीय सचिव की नियुक्ति ही रद्द हो गई है तो ऐसे में ये केस चुनाव आयोग में चलने का कोई मतलब नहीं बनता. 8 सितंबर 2016 को दिल्ली हाइकोर्ट ने 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद्द कर दी थी.