April 27, 2024

अमेरिका ने पाक से कहा- हथियारों के लिए नहीं है भारत की NSG सदस्यता

वाशिंगटन28 मई (इ खबरटुडे)। भारत के परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) के सदस्य बनने को लेकर पाकिस्तान की ओर से जताए जा रहे विरोध पर साफ नाराजगी जाहिर करते हुए अमेरिका ने कहा है कि भारत का इस समूह का सदस्य बनना हथियारों की दौड़ से जुड़ा नहीं है. यह परमाणु उर्जा के असैन्य इस्तेमाल के बारे में है.

असैन्य कामों के लिए परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता मार्क टोनर ने शुक्रवार को कहा कि यह हथियारों की दौड़ के बारे में और परमाणु हथियारों के बारे में नहीं है. यह परमाणु उर्जा का इस्तेमाल शांतिपूर्ण असैन्य कार्यों में करने के बारे में है. इसलिए हम निश्चित तौर पर यह उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान इसे समझेगा.
बेबुनियाद है पाकिस्तान की दलील
टोनर दरअसल एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत के आवेदन और इस पर पाकिस्तान के जताए जा रहे विरोध से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे. पाकिस्तान इस आधार पर विरोध कर रहा है कि भारत को इस समूह की सदस्यता मिलने से क्षेत्र में परमाणु हथियारों की दौड़ को गति मिलेगी.
राष्ट्रपति बराक ओबामा हैं भारत की सदस्यता के साथ
48 देशों वाले एनएसजी की अहम बैठक से पहले अमेरिका सब कुछ अच्छा होने की कामना कर रहा है. टोनर ने कहा कि देखिए, मैं बस इतना ही कह सकता हूं कि राष्ट्रपति बराक ओबामा की साल 2015 में हुई भारत यात्रा के दौरान उन्होंने इस बात की पुष्टि की थी कि अमेरिका मानता है कि भारत मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था की अनिवार्यताओं को पूरा करता है.
अमेरिका मानता है कि भारत एनएसजी सदस्यता के लिए काबिल
उन्होंने कहा कि हमारे मुताबिक तो भारत सदस्यता के लिए तैयार है, लेकिन यह एक सर्वसम्मति वाली संस्था है. इसलिए हम इंतजार करेंगे और देखेंगे कि मत किस ओर जाते हैं. उन्होंने कहा कि एनएसजी में नए सदस्यों के शामिल होने की संभावनाओं पर चर्चा मौजूदा सदस्यों का आंतरिक मसला है. मुझे लगता है कि वे नियमित रूप से बैठकें करते हैं और इससे आगे मुझे कुछ नहीं कहना है.
सबकी सहमति से लिया जाएगा फैसला
एनएसजी की अगली बैठक इस मकसद के लिए नहीं रखी गई है. टोनर ने कहा कि यह कोई विशेष बैठक नहीं है. मेरा मानना है कि इसे प्रमुख तौर पर इस मुद्दे पर चर्चा के लिए नहीं बुलाया गया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने अपनी दिलचस्पी को सार्वजनिक कर दिया है और निश्चित तौर पर कोई भी देश सदस्यता के लिए आवेदन कर सकता है. हम सर्वसम्मति से लिए फैसले के आधार पर गौर करेंगे.

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