अब ट्रेन और प्लेटफॉर्म पर खाने-पीने की चीजों पर लगेगा 5 फीसदी जीएसटी
अंबाला,07 अप्रैल(इ खबरटुडे)। भारतीय रेल में अब “खाने में खेल” नहीं चलेगा। ट्रेन, प्लेटफॉर्म और स्टेशन पर खाने-पीने की कीमतों में वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) अब समान रूप से महज पांच फीसदी देना होगा। पांच अप्रैल को मीडिया दवारा मामला उजागर किया था। जुलाई, 2017 से यात्रियों से मोबाइल कैटेरिंग के नाम से 18 फीसदी जीएसटी लिया जा रहा है, जबकि स्टेशन पर उन्हीं खाद्य पदार्थों पर महज पांच फीसदी जीएसटी लिया जा रहा है।
इसके ठीक दूसरे दिन वित्त मंत्रालय ने सफाई देकर खाने-पीने की कीमतों में एकरूपता लाने के आदेश जारी कर दिए गए। शताब्दी, राजधानी और दुरंतो में टिकट में ही 18 फीसदी वसूला जा रहा था। वित्त मंत्रालय द्वारा पांच फीसदी जीएसटी वसूल करने का आदेश जारी करने के बाद अब इन ट्रेनों का किराया भी घटेगा।
एक जुलाई 2017 से शताब्दी-राजधानी में तो टिकट में ही यात्रियों से 18 फीसदी जीएसटी लिया जा रहा है जबकि अन्य ट्रेनों की पैंट्री कार में भी 18 फीसदी जीएसटी लिया जाता रहा। इस गड़बड़झाले को उजागर किए जाने के बाद सरकार तुरंत हरकत में आई, वित्त मंत्रालय ने गड़बड़ी को सुधारने का आदेश जारी कर दिया है। अब रेलवे जल्द ही इस पर अमल करेगा, जिसके बाद जहां राजधानी, दुरंतो, शताब्दी का किराया कम हो जाएगा, वहीं अन्य ट्रेनों की पैंट्री कार में भी यात्रियों को 18 की जगह पांच फीसदी ही जीएसटी देना होगा।
वित्त मंत्रालय की ओर से 31 मार्च को रेलवे बोर्ड को भेजे गए पत्र के अनुसार ट्रेनों, स्टेशनों और प्लेटफार्मों पर आईआरसीटीसी, रेलवे अथवा उनके लाइसेंसधारियों द्वारा की जाने वाली खाने और ड्रिंक की सप्लाई पर इनपुट टैक्स के बगैर पांच फीसदी की दर से जीएसटी लागू होगा।
बड़ा सवाल अब भी बरकरार
सरकार ने गलती तो सुधार ली, लेकिन बड़ा सवाल यह कि पिछले नौ माह से लाखों-करोड़ों यात्रियों की जेब पर इसका जो असर पड़ा, उसकी जवाबदेही कौन तय करेगा? यह चूक है या जानबूझकर की गई चूक, इसका जवाब कौन देगा?