अधिकारों के लिए राजधानी में किसानों की हुंकार
किसान संघ की किसान अधिकार रैली संपन्न,देश भर से आए एक लाख से अधिक किसान
नई दिल्ली। किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने,कृषि के लिए पृथक से बजट प्रस्तुत किए जाने और कृषि नीतियों को किसानों के हित में बनाए जाने ैजैसी अनेक मांगों को लेकर देश के कोने कोने से आए लाखों किसानों ने विगत दिनों नई दिल्ली में डेरा डाला। देश के कोने कोने से पंहुचे ये किसान भारतीय किसान संघ के आव्हान पर नई दिल्ली के रामलीला मैदान पर किसान अधिकार रैली में हिस्सा लेने आए थे। रामलीला मैदान पर एकत्रित हुए एक लाख से अधिक किसानों ने अपने अधिकारों के लिए केन्द्र सरकार को कडी चेतावनी दी।
किसान अधिकार रैली को सम्बोधित करते हुए भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिरुध्द मुरकुटे ने कहा कि फारेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेन्ट(एफडीआई) और विश्व व्यापार संगठन(डब्ल्यूटीओ) देश को गुलामी की ओर धकेल रहे है। देश के लाखों किसान आत्महत्या करने को मजबूर है और कृषि घाटे का सौदा बनकर रह गई है। केन्द्र की कृषि नीतियों की कडी आलोचना करते हुए श्री मुरकुटे ने कहा कि
केन्द्र की कृषि विरोधी नीतियों का विरोध करने के लिए देश भर के लाखों किसान यहां एकत्रित हुए है।
किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री प्रभाकर केलकर ने कहा कि देश में कृषि के लिए पृथक से बजट प्रस्तुत किया जाना चाहिए। देश की सत्तर प्रतिशत जनता जीवन यापन के लिए कृषि पर निर्भर है,लेकिन केन्द्रीय बजट में कृषि के लिए मात्र चौदह हजार करोड रुपए का प्रावधान रखा गया है। उन्होने कहा कि किसान संघ चाहता है कि देश की नीतियां कृषि केन्द्रित हो,क्योकि करोडों लोगों का जीवन यापन इससे जुडा है। भारतीय किसान संघ की मांग है कि देश का आर्थिक माडल कृषि केन्द्रित होना चाहिए। किसानों को फसलों का लाभकारी मूल्य दिलाने की गारंटी दी जाना चाहिए। फसलों का मूल्य उनके लागत मूल्य पर कम से कम बीस प्रतिशत मुनाफा जोडकर तय किया जाना चाहिए।
किसान संघ के संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी ने कहा कि देश में चल रही गलत कृषि नीतियों के कारण चालीस प्रतिशत किसान कृषि छोडने के लिए बाध्य किए जा रहे है। पिछले कुछ वर्षो में कृषि की लागत में सौ से दो सौ प्रतिशत की वृध्दि हो चुकी है,लेकिन उपज का मूल्य नहीं बढा। किसानों को फसलों का लाभकारी मूल्य दिलाया जाना चाहिए।
किसान अधिकार रैली के मौके पर भारतीय किसान संघ ने केन्द्र द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले भूमि अधिगृहण कानून में अनेक सुधार किए जाने की जरुरत पर भी जोर दिया। किसान संघ की मांग है कि भूमि अधिगृहण कानून को भूमि उपयोगिता कानून बनाते हुए किसानों को उनकी भूमि में सांपत्तिक अधिकार दिए जाए और भूमिका अधिग्रहण किए जाने की बजाए उसे लीज पर लिए जाने की व्यवस्था की जाए। जिससे कि भूमि का अधिकार किसान के ही पास रहे।